बीकानेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली गर्भवती महिलाओं की समय पर पहचान कर उनका उचित उपचार सुनिश्चित किया जा रहा है। जिला कलक्टर आरती डोगरा के निर्देशन में इस दिशा में किये गए प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सम्मुख आने लगे हंै तथा मातृ मृत्यु अनुपात में प्रभावी कमी लाई जा सकी है। बीकानेर में वर्ष 2011 में मातृ मृत्यु अनुपात प्रति एक लाख पर 343 था जो अब घटकर 215 रह गया है।
लेबर रूम में हाईजीन प्रोटोकॉल का रखा जा रहा है ध्यान-
जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के लेबर रूम में हाईजीन प्रोटोकॉल के तहत ही कार्य किया जा रहा है। लेबर रूम में फोकस लाईट, रेडीएंट वार्मर, एल्बो टेप, आवश्यक टे्र मय उपकरण व दवाईयां आदि उपलब्ध हंै। प्रसव के उपरांत स्तनपान शुरू करवाने के समय को भी अनिवार्य रूप से डिलीवरी रजिस्टर में अंकित किया जा रहा है तथा इसकी छायाप्रति सीएमएचओ और बीसीएमओ को भेजी जा रही है। प्रसव के पश्चात बच्चों को विटामिन (के)े का इंजेक्शन लगाया जा रहा है।
दी जा रही है नि:शुल्क परिवहन सुविधा
सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे केसेज को आवश्यकतानुसार उच्च इलाज के लिये रैफर करने के निर्देश दिए गए हंै जिससे हाई रिस्क गर्भवती माताओं का सुरक्षित प्रसव संभव हो सके। ग्रामीण क्षेत्रों की जिन हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली चिन्हित महिलाओं को जांच के लिए जिला स्तर पर राजकीय जिला चिकित्सालय में रैफर किया जा रहा है, उन्हें आने-जाने की परिवहन सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है, साथ ही एएनएम को भी आवश्यकतानुसार उनके साथ भेजा जा सकेगा।
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी जांच से बची जिन्दगी
बीकानेर से करीब 200 किलोमीटर दूर रणजीतपुरा के 1बीएलएम ढिंगाणिया ढेर की तीन महिलाओं में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी समय रहते चिन्हित कर ली गई। इन महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर काफी कम था, इसके इलाज के लिए तुरंत टीके लगवाए गए, जिससे उनके हीमोग्लोबिन स्तर में संतोषजनक वृद्घि हो गई। इन महिलाओं को पीबीएम अस्पताल तथा राजकीय जिला चिकित्सालय में रैफर किया गया जहां इनके स्वास्थ्य की सम्पूर्ण जांच की गई।
कोलायत के गांव सांखला बस्ती की निवासी श्रीमती रतन कंवर की उम्र 26 वर्ष है। उनकी दो लड़कियां क्रमश: तीन वर्ष व दो वर्ष की हैं। गर्भधारण के पश्चात्, वे स्वास्थ्य जांच करवाने के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पर समय पर नहीं आर्इं। प्रसाविका द्वारा उनकी जांच करने पर उनमें खून की कमी पाई गई तथा उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र में तुरन्त चैकअप करवाने का आग्रह किया गया। 22 जून 2014 को कोलायत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाने पर उनका हीमोग्लोबिन केवल 4.6 ग्राम आने पर उन्हें तुरन्त पीबीएम अस्पताल के लिए रेफर किया गया। वे यहां चार दिन भर्ती रहीं । उन्हें तत्काल दो यूनिट खून चढाया गया एवं समस्त प्रकार की जांचें की गर्इं। अब उनके स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार आ चुका है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी जांच के कारण ही आज श्रीमती रतन कंवर स्वस्थ हंै।
कोलासर की श्रीमती संतोष कंवर को सात माह की गर्भावस्था थी। जांच के उपरान्त संतोष कंवर का हिमोग्लोबीन केवल 2 ग्राम पाया गया व उनके पैरों पर अत्यन्त सूजन थी। उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गडिय़ाला पर भेजा गया व वहां से तत्काल पीबीएम अस्पताल बीकानेर के लिए रेफर किया गया। वहां उन्हें 3 यूनिट खून चढाया गया। अब उनका स्वास्थ्य सामान्य है तथा हिमोग्लोबीन बढकर 7 ग्राम हो चुका है।
इसी प्रकार गिर्राजसर की 20 वर्षीया महिला श्रीमती प्रकाश कंवर की प्रसव के उपरान्त स्वास्थ्य – जांच करने के बाद उन्हें 19 जुलाई को गडियाला से तत्काल पीबीएम अस्पताल रेफर किया गया वहां उन्हें नि:शुल्क दवा योजना के तहत 3 हजार रूपये की कीमत का एन्टी-डी इंजेक्शन लगाया गया तथा नि:शुल्क जांच व परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध करवायी गई। उन्हें 22 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई व इलाज के पश्चात् अब मां व बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा किए गए ये प्रयास जिले के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव के रूप में वरदान साबित हो रहे हैं।
-शरद केवलिया
सहायक जनसम्पर्क अधिकारी, बीकानेर