स्ट्रीट चिल्ड्रन की स्थिति का आकलन करने को कार्यषाला आयोजित

IMG_1486IMG_1488जयपुर। राजस्थान में सडक पर रहने वाले बच्चों (स्ट्रीट चिल्ड्रन)की दयनीय व चिन्तनीय स्थिति का आकलन करने के लिए आज विकास अध्ययन संस्थान में कार्यषाला आयोजित की गईं। अन्तरराष्ट्रीय संस्था एक्षन एड व राजस्थान बाल अधिकार आयोग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यषाला में यू एन की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि 6 करोड से अधिक बच्च े सडक पर जीवन यापन कर रहें हैं। इसी संदर्भ में कार्यषाला में विभिन्न स्तर पर किये गये सर्वेक्षण अनुसंधान व क्रियान्वयन के आधार पर नीतिगत सुझ्ााव प्रदान कर कार्ययोजना बनाने की संभावनाओं पर पर विचार किया गया।
प्रारंभ में एक्षन एड की राज्य सम्नवयक षबनम अजीज ने कार्यषाला के उदेष्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत में सडक पर रहने वाले बच्चों के बारे में अधिकृत आंकडे उपलब्ध नही हैं परन्तु वे नारकीय परिस्थिितयों में जीवन यापन कर रहे हैं। सडक पर रहने वाले बच्चों का यौनिक षोषण व मादक नषीले पदार्थों के सेवन की प्रवृति आम बात है ।
राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान के विजय गोयल ने जयपुर जौधपुर कोटा एवं अजमेर में रेल्वे स्टेषन और चौराहे पर रहने वाले बच्चों पर किये गये सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि सडक पर रहने वाले अधिेकांष (70 प्रतिषत) बच्चे परिवार के साथ रहते हैं परन्तु वे भीख मांगने कचरा बीनने के काम के साथ नषों के आदि हैं। इनमें 80 प्रतिषत बच्चों का यौन षोषण होता है और चर्मरोग से ग्रसित हैं।
एक्षन एड की बाल अधिकार ( चाइल्ड राइट ) हब द्वारा टाटा इस्टीटयुट ऑफ सोषल सांइस के सहयोग से मुंबई में सडक पर रहने वाले बच्चों पर किये गये सर्वेक्षण के भी निष्कर्ष लगभग समान ,होने की जानकारी प्रदान की गई।
प्रारंभ में प्रमुख विधिवेता राधाकांत सक्सेना ने सडक पर रहने वाले बच्चों को अंतिम जन की श्रैणी का बताते हुए जीवन निर्वाह करने की मुुुुुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने पर विचार प्रकट किए।
कार्यषाला में राजस्थान बाल संरक्षण अधिकार आयोग के सदस्य गोंविद बेनिवाल ,बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राम प्रकाष बैरवा सहित राज्य के कई जिलों से एन जी ओे के प्रतिनिधियों ने इस कार्यषाला में भाग लिया।
कल्याण सिंह कोठारी
( मीडिया सलाहकार )

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