आदिवासी क्षेत्रों तक पहुंचा रेड कॉरिडोर!

पाकिस्तान की सीमा से सटा प्रदेश होने के बावजूद अपेक्षाकृत शांत मानी जाने वाले राजस्थान में अब आतंक की नई पौध सिर उठाने लगी है। राजस्थान और खासकर राजधानी जयपुर में पिछले कुछ समय में हुई आपराधिक वारदातों की तहकीकात बताती है कि इनमें नक्सली शामिल थे। कुछ को गिरफ्तार किया गया है और कुछ की तलाश जारी है।

खुफिया एजेंसियों ने पहले ही आदिवासी इलाकों में नक्सली संगठनों के पैर पसारने की रिपोर्ट दी थी। चौंकाने वाली बात ये है कि अब इनकी पहुंच सरकार की नाक के नीचे राजधानी तक हो गई है। देश के 250 जिले नक्सलवाद से ग्रस्त हैं। नेपाल से बिहार, झारखंड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र तक नक्सलियों का रेड कॉरिडोर फैला हुआ है।

राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ा नक्सली इस रेड कॉरिडोर में राजस्थान को भी शामिल करने का प्रयास कर रहे है। बांसवाड़ा और डूंगरपुर जैसे आदिवासी जिलों में तो पिछले दिनों आपराधिक गतिविधियों में नक्सली पकड़े भी गए है।

सूत्रों के मुताबिक नक्सल प्रभावित राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सख्ती के चलते नक्सली संगठनों के लिए धन उगाही मुश्किल होती जा रही है। ऐसे में शांत राज्यों जैसे राजस्थान को टारगेट किया जा रहा है। खुफिया पुलिस ने चार साल पहले रिपोर्ट दी थी कि अनदेखी से धौलपुर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में नक्सलवाद पनप सकता है। उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही के आदिवासी क्षेत्र और धौलपुर, करौली के डांग क्षेत्र में नक्सली ठिकाना बना सकते हैं। राजधानी में इस वर्ष जनवरी में एनआरआई एवं जवाहरात व्यवसायी की मां मुन्नी देवी और नौकर रघुवीर राठौड़ की हत्या कर लूटपाट की गई थी। मामले में दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, मगर सरगना राहुल सिंह फरार है। इससे पहले राहुल सिंह ने दिल्ली और कोलकाता में भी ऐसी वारदात की थी। उसकी तलाश में पुलिस टीम बिहार के जमुई जिले में उसके गांव बडियारपुर पहुंची तो पता चला कि पूरा गांव ही नक्सली गतिविधियों में लिप्त माना जाता है। यहां के खेरा थाना प्रभारी संजय बाबू के मुताबिक राहुल का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।

खुफिया पुलिस ने सुझाव दिया है कि इन क्षेत्रों में प्रमुख अधिकारी लगाते समय विशेष ध्यान रखा जाए। इन क्षेत्रों में सहकारी भण्डारों पर आवश्यक वस्तुएं सस्ती उपलब्ध करवाई जाए। क्षेत्रीय आदिवासियों के रहन-सहन, संस्कृति एवं आर्थिक विकास पर बल दिया जाए।

केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री और उदयपुर संभाग के दिग्गज नेता डॉ.सी.पी.जोशी ने इसी माह के पहले सप्ताह में एक समारोह में कहा भी है कि अगर युवाओं को रोजगार नहीं दिया गया तो यह बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दलपत सिंह दिनकर का कहना है कि पुलिस को इस मामले में जानकारी मिली है और किसी भी समस्या से निपटने के लिए पुलिस एवं खुफिया एजेंसियां सक्रिय है।

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