पद्मभूषण अनिल बोर्दिया नहीं रहे

प्रख्यात शिक्षाविद् पद्मभूषण अनिल बोर्दिया का निधन रविवार को जयपुर में हो गया। वे 79 वर्ष के थे। बोर्दिया लोक जुम्बिश एवं दूसरा दशक कार्यक्रम के जनक थे। इन्होंने प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के साथ मिलकर भारत की नई शिक्षा नीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह देश के शिक्षा सचिव पद पर भी रहे। देश में शिक्षा का अधिकार को लागू करने के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के आग्रह पर वहां की शिक्षा नीति के निर्माण में भी योगदान दिया। उन्होंने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड प्लानिंग पेरिस में अध्यापन का कार्य किया। उन्हें एशिया का नोबल पुरस्कार अविसिन्हा मैडल से भी सम्मानित किया गया था। वह प्रदेश के डवलपमेंट कमिश्नर और अजमेर में कलेक्टर भी रहे। हाल ही में उन्होंने अजमेर जिले के पीसांगन विकासखंड में शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने के लिए भारत सरकार एवं यूनिसेफ की सहायता से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया। इसे पूरे देश में एक मॉडल के रूप में देखा गया।
बोर्दिया ने महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण के आदर्शों पर चलते हुए शिक्षा के माध्यम से ग्राम स्वराज्य के मॉडल को भी मूर्त रूप दिया। यह प्रदेश के 7 जिलों के 9 विकासखंडों में दूसरा दशक परियोजना के रूप में चलाया जा रहा है। बोर्दिया के परिवार में उनकी पत्नी ओटिमा बोर्दिया और एक पुत्र एवं पुत्री है। बोर्दिया का जन्म 5 मई 1932 में इंदौर में हुआ।

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