एसीबी ने 16 सितम्बर को 3 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में उदयपुर स्थित खान निदेशालय के जिस अतिरिक्त निदेशक पंकज गहलोत को गिरफ्तार किया था, उस गहलोत के बैंक लॉकरों की तलाशी ली गई तो 23 किलो सोना भी बरामद हुआ। अब तक इस मामले में कोई पांच करोड़ रुपए नकद बरामद किए जा चुके हैं। खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी की गिरफ्तारी के बाद सरकार में भी खलबली मच गई है। सवाल उठता है कि करोड़ों रुपए के घोटाले क्या अफसरशाही अपने स्तर पर कर रही थी? कोई भी अफसर रिश्वत तभी खा सकता है, जब उसे सत्ता में बैठे प्रभावशाली लोगों का संरक्षण मिले। सरकार के प्रतिनिधियों के संरक्षण के बिना प्रशासनिक अमला 1 रुपए की भी रिश्वत नहीं ले सकता। क्या वर्तमान दौर में ऐसे जनप्रतिनिधि है, जो अफसर को तो रिश्वत खाने दे और खुद एक रुपया भी न लें? जो गुलाबचंद कटारिया विधानसभा में खड़े होकर सीएम वसुंधरा राजे को ललित मोदी के मामले में निर्दोष बता रहे हैं, उन्हीं कटारिया के गृह नगर उदयपुर में खान निदेशालय है और इस निदेशालय में ही 20-20 करोड़ की रिश्वत ली जा रही है। कटारिया के गृह नगर की बैंकों के लॉकर ही भ्रष्ट अफसरों का सोना उगल रहे हैं। राजनीति में कटारिया को एक ईमानदार राजनेता माना जाता है, लेकिन अब कटारिया भी यह बताना होगा कि उनके गृह नगर के खान निदेशायल में भ्रष्ट अफसरों को किन राजनेताओं का संरक्षण है। जहां तक आईएएस अशोक सिंघवी का सवाल है तो एसीबी ने जो सबूत जमा किए, उसमें अशोक सिंघवी गिरफ्तार होते ही। यह सरकार की नहीं, एसीबी की सफलता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511