जयपुर, 5 दिसम्बर। विकाय पत्रकारिता की अपनी चुनौतियां है, आज हर मीडिया संस्थान विकास संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता दे रहा है, अंशकालिक पत्रकार जमीनी हकीकत को मीडिया के माध्यम से उजागर करने में सक्षम है। यह कहना था वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही का। यह बात उन्होंने शनिवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के जन संचार केन्द्र में यूनिसेफ के सहयोग से अंशकालिक पत्रकारों की क्षमतावर्धन के लिए आयोजित कार्यशाला के दूसरे एवं अंतिम दिन कही।
विद्रोही ने कहा कि टेलीविजन न्यूज चैनल की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती जा रही है, क्योंकि अब खबरें मोबाइल व अन्य वैकल्पिक साधनों से मिलने लगी है। उन्होंने कहा कि विकास संबंधी खबरों को समाज तक पहुंचाने के लिए दृश्य माध्यम विशेष प्रभावी हो सकते हैं। उन्होंने विकास संबंधी समाचारों में विशेष शोध की आवश्यकता महसूस की।
वरिष्ठ पत्रकार यशवंत व्यास ने कहा कि पत्रकारिता में पत्रकार के पास खबरों के लिए एक विशेष दृष्टि होनी चाहिए। आज पत्रकारिता कलम व कैमरे से भी आगे बढ़ गई है। और इसमें ‘आइडिया’ की विशेष महत्ता है। उनका मानना था कि देश में अभी तक पत्रकारिता के शिक्षण व प्रशिक्षण का कोई मॉड्यूल विकसित नहीं हो पाया है।
जन संचार केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने अंशकालिक पत्रकारों से अपेक्षा की कि वे सूचना क्रांति के इस दौर में नई तकनीक को अपनाते हुए अपने आपको ‘अपडेट’ करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहें। तकनीकी विशेषज्ञ दिलनवाज खान ने मीडिया में नई तकनीक के प्रयोगों की चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया ने समाज में सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रभाव डाले हैं। इन माध्यमों पर प्रसारित होने वाली सूचनाओं के स्रोतों की विश्वसनीयता की जांच करना आवश्यक है।
परियोजना निदेशक कल्याण सिंह कोठारी ने बताया कि कार्यशाला में राज्य के विभिन्न अचंलों से 50 से अधिक अंशकालिक पत्रकारों व विद्यार्थियों ने भाग लिया।
(प्रो. संजीव भानावत)
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