निजी मोबाइल कंपनियों ने कई टावर किए बंद

निजी मोबाइल कंपनियों ने सोमवार रात से सभी सरकारी व निजी स्कूलों में लगे मोबाइल टावर बंद करने की घोषणा तो की,लेकिन इस पर पूरी तरह से अमल नहीं किया। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मोबाइल ऑपरेटर्स ने सोमवार को यह फैसला किया था,लेकिन आज टावर बंद करने के बजाय कुछ की तो फ्रीक्वेंसी कम कर दी और कुछ बंद भी किए। हालांकि अधिकारिक रूप से इस बारे में बोले के लिए ऑपरेटर्स की ओर से कोई ना तो कल तैयार हुआ और ना ही आज किसी ने अधिकारिक रूप से बयान दिया। राज्य में स्कूल और अस्पतालों के निकट लगे टावरों की संख्या 199 है। इनमें जयपुर के करीब 110 टावर हैं। इन कंपनियों में बीएसएनएल शामिल नहीं है। हाईकोर्ट के 22 अगस्त के फैसले के बाद मोबाइल कंपनियों को शिक्षा विभाग की ओर से मोबाइल टावर हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश की पालना में कंपनियों के संयुक्त संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने राज्य के सभी 33 जिलों में लगे स्कूलों के मोबाइल टावर बंद करने की घोषणा की।

ऑपरेटर्स के प्रतिनिधियों ने अनाधिकृत रूप से बातचीत में बताया कि राज्य के 40 छोटे शहर-गांव ऐसे हैं, जहां केवल एक ही टावर है, वह भी स्कूल परिसर में। यहां कनेक्टिविटी पर बुरा असर पड़ने का भी दावा किया जा रहा है। राज्य के 34 लाख मोबाइल उपभोक्ताओं पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। कंपनियां पूरा कर रही है। गौरतलब है कि 4 जुलाई को शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों से मोबाइल टावर हटाने का निर्देश दिया था। 22 अगस्त को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि स्कूलों से टावर हटाए जाएं। इसके अलावा रिहायशी क्षेत्रों और अस्पतालों से टावर हटाने के संबंध में दस दिन में नियम बनाने को कहा था। इस आदेश को सेल्युलर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 7 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक से इनकार कर दिया था और 15 दिन में स्कूलों से टावर हटाने को कहा था। इसके बाद एसोसिएशन ने अपनी याचिका वापस ले ली थी।

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