नकदीकरण का लाभ का भुगतान बकाया होने की दिनांक से ब्याज सहित भुगतान के आदेश

छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करने के उपरान्त बकाया वेतन के अन्तर की राशि एवम् वरिष्ठ तथा चयनित वेतनमान का लाभ एवम् बढ़े हुए मंहगाई भत्ते की अन्तर राशि तथा माह जुलाई 2000 से बढे हुए महंगाई भत्ते की बकाया राशि (यदि बकाया हो तो) एवम् नियमानुसार देय अंतिम वेतन के आधार पर उपदान की राशि तथा बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण का लाभ का भुगतान बकाया होने की दिनांक से ब्याज सहित भुगतान के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, के.डी जैन शिक्षण परिषद, मदनगंज किशनगढ (राज.) व प्रबन्ध समिति, के.डी. जैन सीनियर सैकण्डरी स्कूल, मदनगंज किशनगढ (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण को छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करने के उपरान्त बकाया वेतन के अन्तर की राशि एवम् वरिष्ठ तथा चयनित वेतनमान का लाभ एवम् बढ़े हुए मंहगाई भत्ते की अन्तर राशि तथा माह जुलाई 2000 से बढे हुए महंगाई भत्ते की बकाया राशि (यदि बकाया हो तो) एवम् नियमानुसार देय अंतिम वेतन के आधार पर उपदान की राशि तथा बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण का लाभ का भुगतान बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मुकेश चन्द राठी की नियुक्ति दिनांक 8-2-1997 को, प्रार्थी श्रीमती सीमा देवी मिश्रा की नियुक्ति दिनांक 4-10-1995 को, प्रार्थी श्रीमती सन्तोष चौधरी की नियुक्ति 7-12-1996 को, प्रार्थी उशवन्त कुमार सुराणा की नियुक्ति दिनांक 1-7-1975 को, प्रार्थी श्रीमती उषा जैन की नियुक्ति दिनांक 3-8-1996 को, प्रार्थी श्रीमती ललिता जैन की नियुक्ति 6-7-1974 को एवम् प्रार्थी श्रीमती शशि कला माहेश्वरी की नियुक्ति दिनांक 10-8-1990 को नियमानुसार प्रक्रिया अपनाये जाने के पश्चात् क्रमशः वरिष्ठ अध्यापक, सहायक अध्यापक एवम् व्याख्याता (गणित) के पद पर की गयी तत्पश्चात् उन्हें उक्त पर स्थायी किया गया। तत्पश्चात् प्रार्थीगण को राजस्थान स्वेच्छाया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के अनुसार राज्य सरकार की सेवा में आमेलित होने के कारण अप्रार्थी संस्था से क्रमशः दिनांक 1-7-2011/ 5-7-2011/6-7-2011 को कार्यमुक्त किया गया। प्रार्थी श्रीमती सीमा देवी मिश्रा को दिनांक 5-7-2011 एवम् प्रार्थी श्रीमती ललिता जैन को दिनांक 6-7-2011 को अप्रार्थी संस्था से कार्यमुक्त किया गया तथा सभी प्रार्थीगण ने कार्यमुक्त होने तक अप्रार्थी संस्था में कार्य किया। प्रार्थीगण द्वारा उक्त लाभ देने हेतु बार-2 अप्रार्थी संस्था से निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। तत्पश्चात् प्रार्थी ने जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से माननीय अधिकरण में प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलाने के लिए निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत होते हुए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है तथा 80 प्रतिशत से अधिक अनुदान की राशि भी राजस्थान सरकार से प्राप्त करती रही थी इसलिए उस पर राजस्थान गेर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है। प्रार्थीगण अधिनियम, 1989 की धारा 16 व नियम 1993 के नियम 82 एवं पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत उपदान की राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। प्रार्थीगण की नियुक्ति व कार्यरत रहने के दोरान अप्रार्थी संस्था के मान्यता प्राप्त व अनुदानित होने के कारण प्रार्थी भी राजस्थान गेर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 की धारा 29 और राजस्थान गेर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम 1993 के नियम 34 में मौजूद प्रावधानों के अन्तर्गत उक्त सभी लाभ प्राप्त करने के अधिकारी थे मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने प्रार्थीगण को सम्पूर्ण राशि पर बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से देय ब्याज सहित राशि अप्रार्थी संस्था को अदा करने के दायित्वाधीन पाया।

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