रोज़गार की गारंटी के जन-अधिकार को कुचल रही है सरकार

न समय पर मिलता है काम, न उचित मजदूरी
प्रसिद्द अर्थशास्त्री जयति घोष नरेगा जनसुनवाई में कल जयपुर आएँगी; प्रेस वार्ता कल अपरान्ह 4 बजे

image1फ़िरोज़ खान ( राजस्थान ) । जयपुर, 5 जून
न नरेगा में आवेदन करने पर समय से काम मिलता है और न ही सही मजदूरी. मजदूरी मिलने में कई बार महीनों लग जाते हैं और हाथ आते हैं कभी 60 तो कभी 70 या कभी 100 या 120 रुपये. 181 रुपये की अधिकारिक मजदूरी तो कभी मिलती ही नहीं. मेट, सरपंच और सरकार मिलकर जनता के हकों का गला घोंटने में लगे हैं. सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान द्वारा पिछले १ जून से शहीद स्मारक पर दिए जा रहे धरने के पांचवे दिन आज ये मुद्दे उभर कर आये. राज्य के कोने-कोने से आये लोगों ने आज यहाँ नरेगा से सम्बंधित चर्चाओं में अपनी बात रखी.

प्रदेश भर से जयपुर में जुटे श्रमिकों ने बयां की अपनी पीड़ा
राज्य के विभिन्न जिलों से आये श्रमिकों ने आज धरने में अपनी नरेगा से जुडी तकलीफें बयां की. उदयपुर के खेरवाडा से आये लाडूराम ने बताया कि उनके यहाँ पिछले दो साल से नरेगा के कोई काम ही नहीं खुल रहे हैं. अजमेर के रलावता से आईं वृद्धा भंवरी देवी ने बताया कि जनवरी 2014 में उन्होंने दो बार नरेगा में काम किया. दो साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस काम की मजदूरी उन्हें नहीं मिली है. सरकारी सूचना तंत्र (एम आई एस) के अनुसार उनकी मजदूरी सितम्बर2014 में उनके बैंक खाते में भेजी गयी लेकिन भंवरी देवी का कहना था कि उन्हें आज तक कोई पैसा नहीं मिला है. यदि उनकी मजदूरी वाकई में सितम्बर माह में भेजी गयी थी तो भी उन्हें देरी से भुगतान का मुआवजा नियमानुसार मिलना चाहिए था जोकि नहीं मिला.
बड़ी संख्या में श्रमिकों को मजदूरी न मिलने का उदाहरण देते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े निखिल शेनॉय ने बताया कि जब उन्होंने नरेगा की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी निकाली तो पता चला कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में भीम (राजसमन्द) की चार पंचायतों – अजीतगढ़, टोगी, बरार और भीम – में 544 श्रमिकों की लगभग 5,49,000 रुपयों की नरेगा मजदूरी बकाया है. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2015-16 में भी अभी तक भीम के 361 नरेगा श्रमिकों के लगभग 98,044रुपये बकाया हैं.
इसी तरह बारां, नागौर, जोधपुर, डूंगरपुर, बीकानेर, बाड़मेर, सहित अन्य जिलों से आये श्रमिकों ने आज अपनी नरेगा सम्बन्धी पीड़ा बयां की.

अगर नरेगा ठीक से चलती, तो क्यूँ खाता दर-दर की ठोकरें
धरना स्थल पर जब राज्य के विभिन्न जिलों से आये श्रमिक बारी-बारी से अपने गाँवों में नरेगा की स्थिति साझा कर रहे थे तो आस-पास गुज़रने वाले राहगीर भी रुक कर सुन रहे थे. इन्हीं में से एक था दौसा के लालसोट तहसील के रिनोला कलां गाँव का हरकेश मीणा. जब मंच से घोषणा हुई कि दौसा जिले से आये लोग अपनी बात रख सकते हैं तो हरकेश से रहा नहीं गया. वह मंच पर पहुँच कर अपनी पीड़ा सबके साथ बांटने लगा. कुछ ही अरसे पहले मात्र 25 वर्ष की उम्र के हरकेश के सिर से उसके पिता का साया हट गया. उसकी माँ के दोनों हाथ लकवाग्रस्त हैं और हरकेश ही इस परिवार का अकेला पालनहार है. कई कोशिशों के बावज़ूद उसकी मां की विधवा पेंशन शुरू नहीं हो पाई है. हरकेश कमाने के लिए जयपुर आ तो गया लेकिन महीने में कभी १० तो कभी २० ही दिन उसे काम मिलता है. न काम की कोई गांरटी है और न ही मजदूरी की. उसके पास न रहने की कोई जगह है और न खाने-पकाने का कोई साधन. जैसे तैसे दो वक़्त की रोटी जुटाकर और सड़क पर ही सोकर वो अपने दिन काट रहा है. उसने कहा कि गाँव में उसकी माँ के नाम जॉब कार्ड तो है लेकिन मेट और सरपंच उसे नरेगा में काम नहीं देते. जब उससे पूछा गया कि क्या वो नरेगा में काम करना चाहता है तो उसका कहना था – “बेशक! अगर मुझे अपने ही गाँव में उचित मजदूरी पर नरेगा का काम मिलता तो क्यूँ मैं अपना गाँव और अपनी माँ को छोड़कर इस तरह दर-दर की ठोकरें खाता.”

कल होगी नरेगा पर राज्य-स्तरीय जन-सुनवाई
प्रसिद्द अर्थशास्त्री जयति घोष आएँगी जयपुर; प्रेस वार्ता अपरान्ह 4 बजे

सूचना रोज़गार अभियान से जुड़े मुकेश गोस्वामी ने बताया कि कल दिनांक 6 जून को धरना स्थल शहीद स्मारक पर प्रातः ११ बजे से नरेगा पर एक जन-सुनवाई आयोजित होगी. इस जन सुनवाई के पैनल में प्रसिद्द अर्थशास्त्री जयति घोष, प्रोफे. वी. एस. व्यास तथा अन्य जाने-माने अकादमिक, शोधार्थी, और अन्य क्षेत्रों के प्रबुद्ध जन शामिल होंगे.
साथ ही एक प्रेस-वार्ता अपरान्ह 4 बजे रखी गयी है. इस प्रेस वार्ता को जयति घोष के साथ अरुणा रॉय, निखिल डे, कविता श्रीवास्तव तथा अन्य संबोधित करेंगे.

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