झूठी प्रतिष्ठा व इज्ज़त के नाम पर हो रहे अपराधों के खिलाफ बने प्रभावी कानून

साहुल कुंडारा के हत्यारों को गिरफ्तार करो
वन अधिकार मान्यता कानून का हो प्रभावी क्रियान्वयन
जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकार की लड़ाई जब तक जारी रहेगी जब तक उन्हें पूरा हक़ नही मिल जाता है

jaipur samacharफ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान ) । जयपुर, 10 जून
पिछले 1 जून से शहीद स्मारक पर जारी ‘जवाब दो’ धरने में आज इज्ज़त के नाम पर नौजवानों पर हो रहे अपराध व हत्या के खिलाफ एक सम्मलेन आयोजित किया गया. महिला एवं जन संगठनों की ओर से आयोजित इस सम्मलेन में युगल दंपत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून व साहुल कुंडारा को न्याय दिलाने की मांग की गयी. आज पहले सत्र में धरना स्थल पर आदिवासी मुद्दों पर एक राज्य-स्तरीय जन संवाद हुआ जिसमें प्रदेश भर के सैकड़ों आदिवासियों ने भाग लिया.
धरना स्थल पर आज उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर से सैकड़ों आदिवासियों ने अपनी बात रखी. उनका कहना था कि प्रदेश में वन अधिकार मान्यता कानून, 2006 का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. इस कारण कानून में जो अधिकार आदिवासी समुदाय को मिलना चाहिए थे वह उन्हें नहीं मिल पा रहे हैं. जबकि ये समुदाय राजस्थान की कुल जनसँख्या का 13.47 हिस्सा है. इस समुदाय की प्राकृतिक सम्पदा ही जल जंगल और जमीन है और इसी को प्राप्त करने के लिए इन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है. वन अधिकार मान्यता कानून, 2006के आने के बाद राज्य में 71,200 वन अधिकार दावे प्रस्तुत हुए उनमें से सिर्फ 35,853 दावे ही स्वीकृत हुए और इन स्वीकृत दावों में भी जमीन दावे के अनुरूप नहीं दी गयी है और बिना किसी सूचना या कारण बताये अन्य दावे अस्वीकृत कर दिए गए हैं.
भारत जन आन्दोलन, पुणे से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता बिजोय पांडा ने कहा कि वन अधिकार कानून के तहत गाँव की गाँव सभा को सर्वोच्च ताकत दी गयी है और इसमें वन विभाग की भूमिका न के बराबर है. इसलिए वन विभाग द्वारा किसी भी आदिवासी के साथ जबरन बेदखली करने पर दलित आदिवासी अत्याचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करवानी चाहिए. इज्ज़त से जीने का अधिकार अभियान दिल्ली से जुड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता मधु सरीन ने भी खेद व्यक्त करते हुए कहा कि वन अधिकार मान्यता कानून के तहत राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा एक भी सामुदायिक वन अधिकार का अधिकार पत्र नहीं दिया गया है जो आदिवासियों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है.

साहुल कंडारा के हत्यारों को गिरफ्तार करो
इज्ज़त के नाम पर नौजवानों पर हो रहे अपराध व हत्या के खिलाफ महिला एवं जन संगठनों की ओर से आयोजित इस सम्मलेन में उन युगल दपत्तियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कैसे उन्हें पुलिस, समाज और परिवार इज्ज़त के नाम पर लगातार परेशान कर रहे हैं. सम्मलेन में एडवा की राष्ट्रीय महासचिव जगमती सांगवान, राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, एडवा से जुडी सुमित्रा चोपड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, ममता जेटली, कविता श्रीवास्तव, रेणुका पामेचा, आशा कालरा, कुसुम साईंवाल, निशा सिद्धू, सुमन देवातिया एवं जयपुर के कई युगल दम्पत्तियों ने भाग लिया. इस सम्मलेन में निम्न प्रस्ताव लिए गए –

युगल दम्पत्तियों को अपनी पसंद से शादी करने और शांत से जीने का हक हम दिलवाकर ही रहेंगे.
साहुल कुंडारा के हत्यारों को गिरफ्तार करवायंगे.
इज्ज़त के नाम पर अपराध और हिंसा पीड़ित युगल दम्पत्तियों को हम न्याय दिलवाएंगे.
अपनी इच्छा से विवाह करने के इच्छुक युगल दम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनवायेंगे.
ऐसे युगलों के संरक्षण व सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करवाएंगे.
इनकी सुरक्षा के लिए जिला स्तर पर अल्पावास गृह बनवायेंगे.

कल होगी वनाधिकारों और पेसा कानून आदि मुद्दों पर राज्य-स्तरीय जनसुनवाई; प्रेस वार्ता शाम 4 बजे
अभियान से जुड़े आर डी व्यास ने बताया कि कल धरना स्थल पर आदिवासी अधिकारों पर एक प्रदेश स्तरीय जन-सुनवाई प्रातः 11 बजे से होगी. इस सुनवाई में दक्षिणी एवं दक्षिण पूर्वी राजस्थान तथा राज्य के अन्य हिस्सों से आये आदिवासी लोग अपनी समस्याएं रखेंगे. साथ ही एक प्रेस वार्ता शाम 4 बजे होगी जिसे बिजोय पांडा, मधु सरीन, लाडू राम, निखिल डे, आर डी व्यास व अन्य संबोधित करेंगे l

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