सैकड़ों लोगो ने किया विधान सभा पर कूच

सामाजिक सुरक्षा, जवाबदेही कानून की मांग , हक़ आधारित कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन व प्रदेश में बढ़ते अत्याचारों के विरोध में उठाई आवाज
राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा गृहमंत्री से मिला अभियान का प्रतिनिधिमंडल

IMG_20160901_121811(फ़िरोज़ खान)1 सितम्बर, 2016, जयपुर
राजस्थान के तमाम संगठनों के लोगों ने आज सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान के बैनर तले रैली निकालकर विधानसभा पर प्रदर्शन किया जिसमें 20 जिलों के 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया. प्रदेश भर से आये लोगों ने राज्य में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं राजनेताओं की जवाबदेही की मांग की. धरने को संबोधित करते हुए निखिल डे ने “कहा कि नरेगा में जाने वाले मजदूर को मजदूरी उसके द्वारा किये गए काम के नाप के आधार पर दी जाती है लेकिन सरकारी दफ्तरों में जाते हैं तो दफ्तरों में बैठे लोग काम नहीं करते हैं इनके काम का कोई नाप नहीं होता है इसलिए इनके लिए स्पष्ट जॉब चार्ट बनाना चाहिए और ये भी उसके अनुसार काम नहीं करे तो इनकी भी तनख्वाह कटी जाये. और एक शसक्त जवाबदेही कानून बनाया जाये.”

प्रदर्शन स्थल से से अभियान का एक प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय अधिकारिता मत्री श्री अरुण चतुर्वेदी से मिला और जो प्रमुख बात हुई इस प्रकार है:- अभियान का एक प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के मंत्री अरुण चतुर्वेदी से मिला. सामाजिक सुरक्षा पेंशन में में 10 लाख लोगों की पेंशन रोके जाने के मामले में उन्होंने विभागीय अधिकारीयों की भी बुलाया और लम्बी चर्चा की जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य में यदि कहीं एक भी पेंशनर मिलता है जो जिन्दा है और उसे कागजों में मृत घोषित कर रखा है तो ये सरकार के लिए बहुत बड़ी बात हैं. इस मामले में सरकार बहुत ही संवेदनशील है और इसे बहुत गंभीरता से लिया जायेगा.

प्रतिनिधिमंडल की 4 बिन्दुओं पर चर्चा हुई जिसमें सर्वप्रथम जिन 10 लाख लोगों की पेंशन रोकी गई है एवं निरस्त की गई है उनकी सूची को सार्वजानिक किया जाये और अभी जो वेरिफिकेशन जिलों से होकर आ रहा है उसे भी सभी के साथ पारदर्शी रूप से साझा किया जाये और ये सभी दस्तावेज विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध होने चाहिए. इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के लिए वेबसाइट को पब्लिक डोमेन में डाला जायेगाजिन भी व्यक्तियों की पेंशन गलत तरीके से रोक दी गई है या निरस्त कर दी गई हैं उन सभी की पेंशन फिर से शुरू करेंगे और जब से उनकी पेंशन रुकी है तब से उनको पिछला भुगतान भी किया जायेगा, इस प्रकार के आदेश सभी जिला कलाक्तार्स को दिए जायेंगे.उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार बीपीएल में शामिल लोगों के नाम वाले घरों पर यह लिखा जता है कि यह परिवार गरीबी रेखा से नीचे है उसी प्रकार पेंशन प्राप्त करने वाले परिवारों के घरों पर पेंशन प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के नाम लिखे जायेंगे.जब अभ्यं के साथियों ने यह बात रखी कि जिन्दा लोगों को मृत लिख दिया कागज में लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि राजस्थान जिले की भीम पंचायत समिति में सैकड़ों लगों को मृत मानकर पेंशन रोक दी गई. इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि जब पूरे राजस्थान का रीवेरिफिकेशन हो जायेगा तो जिन लोगों ने यह भयंकर गलतियाँ की हैं ऐसे सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी और उन सभी जवाबदेही तय की जाएगी.

प्रदर्शन स्थल से अभियान का एक पप्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री श्री गुलाब चंद कटारिया से मिला और निम्न मुद्दों पर चर्चा हुई:-

जवाबदेही यात्रा पर हमला करने वाले विधायक को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया है तो उन्होंने कहा कि लम्बा समय हो गया है मुझे ध्यान नहीं रहा है विधानसभा सत्र के बाद इस बारे में आपको कोई जानकारी दे पाउँगाइसी प्रकार उनसे यह भी जानना चाह कि जब 10 मार्च, 2016 को जवाबदेही यात्रा का समापन हुआ था उस समय भी एक प्रतीनिधिमंडल उनसे मिला था और राज्य में जवाबदेही के लिए गुड गवर्नेंस एक्ट को विधानसभा में लाकर लागू किये जाने की मांग की थी जिसमें अभियान द्वारा जवाबदेही कानून का एक मसौदा भी अभियान द्वारा बनाया गया है जो उनको उस समय दिया गया था. इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के बाद प्रशासनिक सुधर विभाग के अधिकारीयों के साथ बैठक की जाये जिसमें वे भी रहेंगे और इस जवाबदेही कानून पर बात की सकती है.

गौतलब है कि राजस्थान में विभिन्न मुद्दों और सरकार के कर्मचारियों, अधिकारीयों और जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही को लेकर सम्पूर्ण राजस्थान में 100 दिवसीय जवाबदेही यात्रा 1 दिसंबर 2015 से शुरू होकर 10 मार्च 2016 तक राजस्थान के प्रत्येक जिले में गई थी और हर जिले में वहां के स्थानीय नागरिकों के साथ कई नुक्कड़ सभायें की थीं.

सभी नुक्कड़ सभाओं के दौरान यह निकलकर आया था कि सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और नेता काम नहीं करते हैं जिसकी वजह से जनता के काम समय पर नहीं होते हैं और सरकार द्वारा जो सेवाएं दी जाती हैं वे भी ठीक से नहीं चल रही हैं इसलिए सरकार अपनी जवाबदेही से मुकरने के लिए उन सेवाओं को ठेके पर देना चाहती है. स्वास्थ्य जैसी अहम् सेवाओं में तो निजीकरण शुरू ही कर दिया है. इसी प्रकार बिजली, पर्यटन आदि में भी निजीकरण शुरू किया जा रहा है.

यात्रा के दौरान जो प्रमुख मुद्दे निकलकर आये थे उनको लेकर यात्रा की समाप्ति पर अभियान की ओर से राज्य सरकार को उस समय एक महीने का समय दिया गया था कि राज्य में एक सशक्त जवाबदेही कानून इसी सत्र में लाया जाये और जो विभिन्न मुद्दे हैं उन पर तुरंत कार्यवाही की जाये.

इसी सन्दर्भ में अभियान की ओर से 11 अप्रेल 2016 को राज्य के अधिकतर उपखंडों में प्रदर्शन किये थे और 1 जून 2016 से जयपुए में शहीद स्मारक पर 22 दिवसीय धरना दिया गया था जिसमें यात्रा के दौरान निकलकर आये मुद्दे और राज्य सरकार के कर्मचारियों,अधिकारीयों और राजनेताओं की जवाबदेही की मांग की थी. इस धरने के दौरान ही अभियान के साथियों को यह डाटा मिला जिसमें 10 लाख लोगों की पेंशन रोक दी गई थी और 7.5 लाख लोगों की पेंशन निरस्त कर दी गई थी और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों के साथ बैठकें हुई और कुछ निर्णय लिए गए थे परन्तु उनकी क्रियान्विति नहीं हुई है.

धरने के बाद राजसमन्द के भीम व राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मृत पेंशनर्स का वेरिफिकेशन किया गया तो पाया कि वास्तव लोग तो जिन्दा हैं लेकिन कागजों में उनको मृत घोषित कर दिया गया. इसी प्रकार सीकर जिले के नीम का थाना में सैकड़ों वर्षों से बनी हुई निजी हवेलियों को खनन माफियाओं की मिलीभगत से तोड़ दिया गया. राज्य के विभिन्न जिलों में वर्षाजनित हादसों में बहुत लोग मारे गए और बाढ़ के हालत पैदा हो गए हैं लेकिन सरकार की ओर से कोई खास इंतजाम नहीं किये गए. स्वास्थ्य में निजी सरकारी सहभागिता के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उप स्वास्थ्य केन्द्रों को ठेके पर दिया जा रहा है.

शिक्षा में अभी स्थानांतरण नीति लागू नहीं की जा रही है और स्कूलों में अन्य आधरभूत सुविधाओं के साथ-साथ अध्यापकों की भी कमी है जिनकी नियुक्ति नहीं की जा रही है एवं स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी अभाव है.

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