नीमराना में विकसित होगा इलेक्ट्रॉनिक हब

राजस्थान के अलवर जिले में तेजी से विकसित हो रहे नीमराना शहर में जल्द ही औद्योगिक विकास की एक और नई कड़ी जुड़ सकती है। ताइवान के व्यवसायी यहां इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में निवेश के इच्छुक हैं और उन्होंने यहां विशेष जापानी जोन की सफलता के बाद इस शहर को इलेक्ट्रॉनिक हब के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा है।

उन्होंने राजस्थान सरकार से इसके लिए कुछ विशेष सुविधाओं की मांग है, जिस पर सरकार ने विचार करने का भरोसा दिया है। नीमराना को इलेक्ट्रॉनिक हब के रूप में विकसित करने की इच्छा ताइवानी व्यवसायियों ने सोमवार को यहां के दौरे के बाद जताई। उन्होंने कहा कि यहां निवेश की अपार सम्भावनाएं और अनुकूल माहौल हैं।

ताइवानी व्यवसायियों के इस दल ने ताइवान सरकार के आर्थिक मंत्रालय में निवेश सेवा विभाग के उपमहानिदेशक टेरी ली के नेतृत्व में शहर का दौरा कर यहां निवेश की परिस्थितियों का आकलन किया। इस मौके पर राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम के अधिकारियों ने उन्हें क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

शहर के दौरे और अधिकारियों से बातचीत के बाद ली ने कहा कि ताइवानी कम्पनियां इस तरह का प्रयोग फिलीपींस में कर चुकी हैं, जो सफल रहा। इसे राजस्थान में भी दोहराया जा सकता है।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि ताइवानी इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनियां यहां विनिर्माण, खासकर सौर ऊर्जा उपकरण के क्षेत्र में आधार तलाश कर सकती हैं, क्योंकि ताइवान सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहती है और राजस्थान में इसके लिए पर्याप्त सम्भावना है।

रीको के प्रबंध निदेशक राजेंद्र भनावत ने क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में प्रतिनिधिमंडल को जानकारी देने के बाद कहा, ”हम ताइवानी उद्योग को कुछ विशेष सुविधाएं देने पर विचार कर सकते हैं। नीमराना में पहले से ही एक विशेष जापानी जोन है और राजस्थान में तथा देश के लिए यह एक सफल उदाहरण है। इस जोन का विस्तार अतिरिक्त 500 एकड़ क्षेत्र में किया जा रहा है।”

भनावत ने कहा कि नीमराना-भिवाड़ी-खुशखेड़ा जोन, दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारे में शामिल होने वाली औद्योगिक विकास की पहली कड़ी है। राज्य सरकार इनके बीच सीधा सड़क सम्पर्क बनाने पर काम कर रही है, ताकि व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा सके। फिलहाल इन औद्योगिक क्षेत्रों के बीच आवागमन हरियाणा के रास्ते है।

उन्होंने कहा, ”यह इस क्षेत्र में निवेश का सही समय है, क्योंकि अगले पांच वर्षो में इस इलाके का परिदृश्य बिल्कुल अलग होगा। एक बार सीधा सम्पर्क स्थापित हो जाने के बाद यह पूरे जोन की औद्योगिक इकाइयों के लिए लाभकारी हो जाएगा।”

प्रतिनिधिमंडल में ताइवान इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के 30 सदस्य थे। यह 3,700 कम्पनियों की प्रतिनिधित्व करने वाली इकाई है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में ताइवान के कपड़ा, बैंकिंग एवं रबर उद्योगों के सदस्य भी शामिल थे।

टीमा के निदेशक फ्रांसिस टीसै ने कहा कि उन्हें निवेश के लिए भारत की परिस्थितियां अनुकूल लगीं। लेकिन कर्मचारियों के आवास एवं माल ढुलाई की व्यवस्था, आपूर्ति श्रृंखला तथा सहायक इकाइयों की स्थापना के मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है। इन परिप्रेक्ष्यों में नीमराना के औपचारिक सर्वेक्षण के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

ताइवानी व्यवसायियों को जयपुर में नवम्बर 2012 से फरवरी 2013 के बीच आयोजित होने वाले मेलों, वस्त्र-2012, सीरेग्लास इंडिया-2012 और इंडिया स्टोनमार्ट-2013 में आने का निमंत्रण भी दिया गया है।

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