निरंकारी भवन में विशाल आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन

badmer newsबाड़मेर। शहर के जैसलमेर रोड़ पर स्थित निरंकारी भवन में रविवार सुबह करीब 10
बजे होली के दिन निरंकारी मिशन के प्रचारक महात्मा अजीत सिंह दीवाना की
उपस्थिति में सत्संग का आयोजन किया गया। निरंकारी भक्तो द्वारा भजन, हे
सावरिया घरे आजा रे धोरा रे धरती में मारो गांव, मै रोज संगत विच आवा गुरु की
रहमत है, रंग चड़ेया दातार मेरे रंग चड़ेया, सांजो बाबो हरदेव होज मालो, खुशियों
के खुल गए द्वार गुरु को मनाने से, तथा महात्मा गुलजिन्दर गुलु के द्वारा
अन्तिम भजन सतगुरु माँ का सपना साकार करना है आपस में हमें सभी को प्यार करना
ऐसे कई प्यार भरे भजन व विचार रखे गए तथा भजनों के इसी दौर में प्यार से भरे
भजनों से सभी भक्तो के द्वारा अपनी ख़ुशी को नाच कर सत्गुरु के सामने रखा गया।
इस दौरान सत्संग के अन्तिम क्षण में महात्मा अजीत सिंह दीवाना ने अपने प्रवचनो
में कहा कि,दूर दराज एव स्थानीय भक्तों के समय मुस्कुराहट की बड़ी महता है,जो
खुश, सुखी है वही मुस्कुरा सकता है जो भक्ति करता है वही आज सुखी है। एक दूसरे
से तो सभी प्रेम करते है, हमे उनसे भी प्रेम करना जो हमारे से प्रेम नही करता
है। सभी का कल्याण और भला चाहने वाला ही सन्त होता है। जीवन जीने की कला हमे
संत महात्मा सिखाते है। पशु कभी मुस्कुरा नही सकते, जीवित मनुष्य ही
मुस्कुराने का गुण रखते है। जो मानव अहंकार रहित होता है वही श्रेष्ठ जीवन
व्यर्तित करता है। तभी मानव प्रेम कर सकता है तथा ईश्वर को भी प्राप्त कर सकता
है। सेवाभाव भी उत्कृष्टठा से बढ़ता है। सतगुरु द्वारा दिया गया ज्ञान ही भक्त
का श्रंगार है। ज्ञान को करम में ढालना ही सुन्दर जीवन का परिचायक है। जो
सन्तों की शरण में रहता है वो अहंकार को छोड़ कर सहनशीलता, नम्रता, अपनाता है
तथा उसके चहरे पर हमेशा ख़ुशी रहती है। हम निरंकारी है हमे किसी से वैर, नफरत
नही है हमें निरंकार का नशा चढ़ा हुआ है।
इस दौरान सत्संग में निरंकारी मण्डल के सभी सेवादल, शहर के महाबार, भीलों का
पार, उत्तरलाई, धोरीमन्ना ऐसे कई गाँवो के भक्त भी उपस्थित रहे।

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