राजस्थान के शहरों में बांग्लादेशी घुसपैठ

असम में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा राजस्थान के लिए आफत बन रही है। वहां हिंसा के बाद चोरी-छिपे राजस्थान के शहरों में बांग्लादेशियों की घुसपैठ होने लगी है। राजधानी जयपुर, कोटा, जोधपुर में घुसपैठियों का जोर अधिक है। जयपुर में तो ऐसा कोई सा हिस्सा नहीं है जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों ने अपना कब्जा नहीं जमा रखा हो।

असम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से आने वाली ट्रेनों का जायजा लेने पर यह आशंका पुष्ट भी हो रही है। इनकी जयपुर में उपस्थिति शान्तिपूर्ण माहौल के खतरा है।

सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेशियों के चोरी-छिपे आने का सिलसिला कई सालों से चल रहा है, लेकिन असम में हिंसा के बाद रोज तीन-चार सौ बांग्लादेशी अलग-अलग समूह में जयपुर आ रहे है। जयपुर में रह रहे उनके परिचित उन्हें बुला रहे हैं।

बांग्लादेशियों के जयपुर पहुंचने का ऐसा ही नजारा पिछले दो दिनों में दैनिक जागरण प्रतिनिधि द्वारा रात को सियालदाह और हावड़ा एक्सप्रेस के जयपुर स्टेशन पर पहुंचने पर देखने को मिला। ये बांग्लादेशी अन्य यात्रियों को शामिल जाते है। ये बांग्लादेशी अन्य यात्रियों की तरह आए और बिना किसी रोक-टोक के ऑटो में बैठ रवाना हो गए।

रेलवे स्टेशन पर जब इनसे बातचीत की गई तो ये कतराने लगे। जोर देने पर ये खुद को बिहारी और बंगाली बताते हैं। किस जिले से हैं और पहचान पत्र दिखाने को कहा तो वे घबराकर चले गए। जयपुर रेलवे स्टेशन पर पिछली रात सियालदाह एक्सप्रेस से उतरे एक संदिग्ध युवक से परिचय पूछने पर उसने नाम बताने से भी इनकार कर दिया। कहां से आए हो? यह सवाल पूछने पर उसने बस इतना ही बोला कि कोलकाता से। इतनी ही देर में एक अन्य युवक उसे अपने साथ पकड़कर ले गया और दोनों ऑटो में बैठ रफूचक्कर हो गए। ऐसे में इन पर संदेह और गहरा जाता है।

शहर में कई गंभीर आपराधिक घटनाओं में बांग्लादेशियों का हाथ सामने आ चुका है। आधी रात के बाद जयपुर आने वाली इन ट्रेनों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी पहुंच रहे हैं। हालांकि बातचीत करने पर ये डरे-सहमे लगते हैं और खुद को बिहारी और पश्चिम बंगाल का रहने वाला बताते हैं, लेकिन हुलिए, हाव-भाव, पहनावे से ये बांग्लादेशी जैसे दिखते हैं। चिंताजनक बात यह है कि घुसपैठ की सूचना के बाद भी जीआरपी, पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने आंखें मूंद रखी हैं। देर रात पश्चिम बंगाल से आने वाली ट्रेनों से आने वाले यात्रियों के साथ बांग्लादेशी भी आ रहे हैं और छिपते-छुपाते शहर में गुम हो जाते हैं। कोटा और अलवर के उद्योगों में तो अधिकांश मजदूर बांग्लादेशी नजर आ जाते है।

ये लोग पश्चिम बंगाल का निवासी बता कर मजदूरी पर लग जाते है,कम मजदूरी लेने के कारण इन्हें लोग अपने यहां मजदूरी पर भी रख लेते है। पिछले एक साल में पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक कई चारी और हत्या के मामलों में बांग्लादेशी अपराधी साबित हुए है।

राजस्थान पुलिस के एडीजी इंटेलीजेंस दलपत सिंह दिनकर ने बताया कि ट्रेन से बांग्लादेशियों के आने के पूर्व में भी मामले आए हैं। अभी और लोगों के आने को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है। पूर्व में रह रहे परिवारों की निगरानी और बढ़ाई जाएगी।

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