कुलपति ने किया डॉ. मेघना शर्मा के बाल गीत संग्रह “मुट्ठी में आकाश” का लोकार्पण

20170522000445_IMG_1652बीकानेर की कवयित्री-कथाकार डाॅ. मेघना शर्मा के प्रथम बाल गीत संग्रह “मुट्ठी में आकाश ” का लोकार्पण सोमवार को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह के हाथों संपन्न हुआ। विशिष्ट अतिथि की भूमिका का निर्वाह केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित ख्यातनाम बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा तथा विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर मार्जिनल सोसायटी के निदेशक व इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. नारायण सिंह राव ने की। डाॅ. मेघना ने यह कृति अपने पांच वर्षीय पुत्र सौम्य ( सुमू ) को समर्पित की हैं जो बाल प्रतिनिधि के रूप में अति विशिष्ट अतिथि के तौर पर लोकार्पण समारोह का हिस्सा बने।
लोकार्पण के बाद कुलपति प्रोफेसर भगीरथ सिंह ने कहा कि बच्चों के मनोमस्तिष्क में गहरे तक पहरी कार्टून फिल्मों की स्मृतियों और आकर्षणों के चिन्ह मिटाकर सीख की नई इबारत लिखने और उन्हें पुस्तकों व बाल साहित्य की तरफ आकर्षित करने के क्षेत्र में ऐसे प्रयासों का स्वागत करना चाहिए ।
> शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ कवयित्री डॉ. मेघना शर्मा की सद्य प्रकाशित हिन्दी बाल काव्य कृति ” मुट्ठी में आकाश” पर टिप्पणी करते हुए केन्द्रीय साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने कहा कि बच्चों के लिए लिखना बच्चों का खेल नहीं है, लेकिन डॉ. मेघना शर्मा ने अपनी सद्य प्रकाशित इस बाल काव्य कृति में बाल मनोनुकूल विषयों पर इतने सरल, सहज और लयबद्ध रूप में लिखा है कि बच्चे इसे तुरन्त ही ग्रहण कर सकेंगे। बाल पाठक हमेशा सरल रचना पढ़ना पसंद करते हैं, चूंकि बच्चों के लिए सरल लिखना ही कठिन है. जबकि डॉ. मेघना शर्मा ने बाल मन के अनुरूप सरलतम रचनाएं सृजित कर बच्चों के लिए एक श्रेष्ठ कृति की श्रीवृद्धि की है।डॉ. नारायण सिंह राव ने ने कहा कि बाल साहित्य सृजन एक निराली विधा है जिसपर कार्य करना आज के मोबाइल -गैजेट्स युग में दुष्कर कार्य है ।
> डॉ. मेघना ने लोकार्पण के पश्चात कहा कि उनके आज तक के साहित्य के सफर में बाल साहित्य सृजन सबसे कठिन विधा रही। डॉ. मेघना की बाल साहित्य में यह पहली कृति है। इससे पूर्व वह स्त्री विमर्श आधारित साहित्य का सृजन कर चुकी हैं व दो दशकों से लेखन में संलग्न हैं। विकास प्रकाशन बीकानेर द्वारा प्रकाशित इस कृति में चार दर्जन से अधिक रचनाऐं सम्मलित हैं। लोकार्पण में टाबर-टोली, हनुमानगढ की संपादक कमलेश शर्मा, युवा साहित्यकार दुष्यंत शर्मा, अन्य साहित्यकार व साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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