शाहबाद केलवाड़ा रेंज के जंगलों में पेड़ों पर चल रही कुल्हाड़ियां

पेड़ों को काटकर खेती योग्य बनाई जा रही है जमीन ,
वन विभाग के अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी बने अनजान।

फ़िरोज़ खान
IMG-20170615-WA0002बारां 15 जून । शाहबाद– केलवाड़ा वन रेंज के नाका गणेशपुरा समरानियां बिची सहरोल व शाहबाद के राजपुर मुंडियर क्षेत्र के जंगलों में हरे पेड़ों पर धनाधन कुल्हाड़ियां चल रही हैं और पेड़ों को काटकर उक्त भूमि को खेती योग्य तैयार किया जा रहा है सैकड़ों की तादात में हरे पेड़ों को काट दिया गया है और जंगली क्षेत्र को मैदानी क्षेत्र में तब्दील कर दिया है वन विभाग के आला अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी वन तस्करों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है इसके चलते उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं तथा जंगली क्षेत्र मैदानी क्षेत्र में तब्दील होता जा रहा है इसके चलते जंगली जानवर भी चारे पानी की तलाश में इधर उधर भाग रहे हैं एवं गांवों का रुख कर रहे हैं कल्याण सिंह मेहता रवि कुमार भूरा मेहता व अन्य लोगों का कहना है कि वन कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते जंगलों में हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ियां चल रही हैं वन विभाग द्वारा वन तस्करों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है इसके चलते हैं उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं अगर वन विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा शीघ्र कोई कार्यवाही नहीं की गई तो जल्द ही यह क्षेत्र मैदानी क्षेत्र बन जाएंगे लोगों ने वन अधिकारियों से उक्त पेड़ काटने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है बरसात के आने के पूर्व लोग बड़ी मात्रा में जंगलों को नुकसान पहुंचाते हैं जितना जंगलों का विनाश पूरे साल भर में नहीं होता है उतना विनाश बरसात आने के पहले लोग कर देते हैं यह क्यों होता है क्योंकि लोग खेती करने के लिए पेड़ों को काट कर वन भूमि क्षेत्र को खेती योग बनाते हैं और उसमें खेती करके अपना कब्जा जमा लेते हैं इस और वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती है इसके चलते शारदा साल-दर-साल भारी मात्रा में वन भूमि से पेड़ों का सफाया होता है और वन क्षेत्र को मैदानी क्षेत्र बनाकर अपना खेत लोग तैयार करते हैं ऐसा नहीं की इन् सब कारनामों की वन विभाग के आला अफसर एवं कर्मचारियों को जानकारी नहीं हो वन विभाग के कर्मचारी से लेकर अधिकारियों तक जंगलों में हो रही अवैध कारगुजारियों की जानकारी होती है उसके बावजूद भी वन विभाग के नुमाइंदे नजर अंदाज करते हुए यह सब जंगलों में हो रही अवैध कारगुजारियों को देखते रहते हैं लेकिन इन लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं करते हैं इसके चलते जंगलों का घनत्व तेजी से घटता जा रहा है तथा जंगली जानवर भी चारे पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं कई बार जंगली जानवर गावों का रुख करते हैं और ग्रामीणों द्वारा अकाल मौत के शिकार हो जाते हैं या फिर ग्रामीणों को या उनके जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी हर वर्ष वन महोत्सव के तहत पेड़ पौधे तो लगाते हैं लेकिन उससे ज्यादा जंगलों का विनाश हो जाता है अगर बारिश आने से पूर्व ही वन विभाग पूर्ण जिम्मेदारी के साथ जंगलों की सुरक्षा का जिम्मा ले ले तो भारी मात्रा में हो रहे जंगलों के विनाश का खामियाजा क्षेत्र के लोगों को नहीं भुगतना पड़ेगा पशु पक्षियों को चारे पानी के लिए मोहताज नहीं होना पड़ेगा जंगलों को नुकसान पहुंचाने वाले क्यों नहीं डरते हैं प्रशासन से क्योंकि पेड़ों को काट कर खेती के योग्य भूमि को तैयार कर लिया जाता है और उसमें खेती भी की जाती है उसके बाद वन विभाग द्वारा उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है

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