गहलोत सरकार का लोकतंत्र में नहीं है विश्वास:किरण

उदयपुर। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान की गहलोत सरकार का लोकतंत्र में किंचित भी विश्वास नहीं है। विधानसभा की षडयंत्र पूर्वक बैठकें कम रखना, सदन में चर्चा का वातावरण बिगाड़ना, विधेयकों को बिना चर्चा के पारित करवाना, यह सब लोकतंत्र का मखोल उड़ाना है। किरण यहाँ लेकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित कर रही थी।
किरण नें कहा कि विधानसभा में समयसारणी में उल्लेखित मंत्री उपस्थित ही नहीं रहते हैं। वसुंधरा सरकार की सभी लोक कल्याणकारी योजनाओं को अकारण ही बंद कर दिया गया है। इंदिरा आवास योजनाओं में चयनित परिवारों को समय पर अनुदान की किस्ते नहीं दी जा रही है। 24 घंटे बिजली का वादा करने वाली सरकार गाँवों में मात्र 3 से 4 घंटे बिजली दे रही है। समाज का प्रत्येक वर्ग कांग्रेस की नीतियों से त्रस्त एवं रुष्ट है।

4 वर्षों में मात्र 87 बैठके
किरण नें बताया कि विगत 4 वर्षों में विधानसभा की बैठके मात्र 87 दिन ही हुई है। इसमें भी कांग्रेसी विधायकों के शोरगुल के कारण 24 दिन सदन में कोई कार्य नहीं हो पाया। इसी औसत के आधार पर 13 वीं विधानसभा की कुल बैठके 110 दिन ही होगी। यह न्युनत्तम बैठकों का एक नया अभिलेख होगा।
सरकार विधायकों को अपनी बात कहने का कोई अवसर ही नहीं देना चाहती है। नोकरशाही पर नियंत्रण के लिए सदन में प्रभावी चर्चा आवश्यक होती है। कांग्रेस यह नहीं चाहती है। यही कारण है कि राजस्थान में नोकरशाही बेलगाम, भ्रष्ट और संवेदनहीन है। सदन की वर्ष में कम से कम 60 बैठके होनी चाहिए और 3 सत्र होने चाहिए। सरकार वर्ष में केवल 2 सत्र बुला रही है और बैठकों का औसत मात्र 22 दिन है।

प्रश्नों के नहीं दिए जाते है उत्तर
किरण नें इस बात पर भी गहरा रोष व्यक्त किया कि विधायकों के प्रश्नों को सरकार गम्भीरता से नहीं लेती है। कई प्रश्नों के उत्तर ही नहीं दिये जाते है। कई प्रश्नों के उत्तर भ्रामक एवं बला टालने वाले होते हैं। सरकार पुरा विवरण देने के स्थान पर छिपाने का ज्यादा प्रयास करती है। मैंने जुलाई 2009 में विधानसभा के तीसरे सत्र में उदयपुर में उच्च न्यायालय की पीठ के बारें में एक ताराकिंत प्रश्न पुछा था। इसका सरकार नें कोई भी उत्तर नहीं दिया। मेरे ही अब तक पूर्व सत्रों में पूछे गए50 से अधिक प्रश्नों के उत्तर बकाया है। अधिकांश प्रश्नों के उत्तर प्रायः 1 या 2 शब्दों में नहीं, सही नहीं, कार्यवाही जारी है, प्रक्रियाधीन है, आदि में दे कर ओपचारिकता पुरी कर दी जाती है। वर्तमान सत्र में मैंने 30 प्रश्न पूछे थे। अभी तक मात्र 5 प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

भ्रष्टाचार में शीर्ष पर है यह सरकार
किरण नें कहा कि कांग्रेस की राज्य एवं केन्द्र सरकार की भ्रष्टाचार की कथा जादुगर के लौटे में कभी समाप्त नहीं होने वाले पानी के समान है। भ्रष्टाचार अनंत, भ्रष्टाचार कथा अनंता कांग्रेस का चरित्र बन गया है। जमीन, आकाश, पाताल, सभी जगह इनके भ्रष्टाचार की पहूँच है। सरकार की सारी उर्जा भ्रष्टाचार को संरक्षण देने में लग रही है। देश जानना चाहता है कि प्रियंका गांधी परिवार की अकूत सम्पत्ति का रहस्य क्या है। राजस्थान में सरकारी ठेको में कैसे कुछ कम्पनीयों का एकाधिकार हो गया है। सौर उर्जा के नाम पर किस प्रकार मंहगी बिजली खरीदने के अनुबंध किए गए? कोयले की कालिख से देश को लुटने वाले देश की सत्ता चला रहे है। थोरियम बालु के अवैध निर्यात से देश को कितना नुकसान हुआ? कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा, जिसमें भ्रष्टाचार नहीं हो रहा हो। केन्द्रीय विधि मंत्री खुर्शिद के ट्रस्टों में हेराफेरी नें अंतुले के ट्रस्टों का स्मरण करा दिया है।

खुदरा व्यापार नें विदेशी निवेश देश हित में नहीं
किरण नें कहा कि खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश की अनुमति देश हित में नहीं है। इससे देश बेकारी और निर्धनता के दुष्चक्र में फंस जाएगा। कांग्रेस सरकार जब एक के बाद एक हो रहे घोटालों और जनविरोधी नीतियों के कारण अपनी छवि खोने लगी और देश-विदेश में उसकी अक्षमता पर टिप्पणियाँ होने लगीं तो सरकार ने अचानक से खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ को अनुमति देने का निर्णय किया। अभी इस फैसले का राजनीतिक विरोध हो ही रहा था कि सरकार ने बीमा और पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ को मंजूरी देने संबंधी कड़े फैसले ले लिए। यह स्पष्ट है कि यह सब बहुत सोची-समझी रणनीति थी। जब देश की आम जनता का ध्यान कोयला घोटाले में सरकार की भूमिका पर लगा था तो लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस विकल्प का उपयोग सरकार ने जादुई छड़ी के रूप में किया।
प्रश्न यह भी उठता है कि यदि ये फैसले वाकई देशहित में थे तो इस पर संसद में चर्चा कराने में कठिनाई क्या थी और पिछले नौ वर्षाे से इसे लम्बित क्यों रखा गया था? जब सरकार पर हर तरफ से प्रहार होने लगे तो शायद ही कभी बोलने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए देशवासियों को टीवी के माध्यम से बताया कि यह फैसला इसलिए जरूरी था, क्योंकि ऐसा न करने पर देश का राजकोषीय घाटा लगभग दो लाख करोड़ रुपये पहुंच जाता और इससे हमारा देश दुनिया के दूसरे देशों की तरह ही मंदी के दुष्चक्र में फंस सकता था।
जहां तक इससे नए रोजगारों के सृजन की बात है यह भी एक काल्पनिक और सैद्धांतिक अर्थशास्त्र की बात है। खुदरा क्षेत्र में आने वाली कंपनियां जितनी संख्या में युवाओं को रोजगार देंगी उससे कई गुना ज्यादा घरेलू और स्थानीय व्यापार को खत्म कर देंगी, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी, जबकि भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए छोटे उद्योग और व्यापार धंधे ज्यादा व्यावहारिक और रोजगारपरक हैं। हम कम जनसंख्या वाले सेवा प्रधान पश्चिमी देशों को अपना मॉडल बना रहे हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि उनकी आज हालत क्या है। स्पेन और ग्रीस जैसे देशों में आज बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है और लोग भूखों मरने की कगार पर हैं।

कांग्रेस भगाओ देश बचाओ
किरण ने बताया कि भाजपा सारे देश में ष्भ्रष्टाचार मिटाओ, महंगाई घटाओ, कांग्रेस भगाओ, देश बचाओष् अभियान चला रही है। इसके अन्तर्गत 11 अक्टूबर से 20 नवम्वर 2012 तक जिला एवं मण्डल मुख्यालयों पर वृहद रैलियां आयोजित की जा रही है। रैलियों के माध्यम से भ्रष्टाचार, घोटालों, महंगाई, सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था पर जनता को सचेत किया जा रहा है। वे कल जोधपुर में शहर एवं देहात की रैलियों को संबोधित करने जा रही है। 11 अक्टूबर को ही वे अम्बाला में एक वृहद रैली संबोधित कर चुकी है। कल ही जयपुर में प्रदेश महिला मोर्चा नें एक बड़ी रैली और सभा का आयोजन किया था। सारे देश में कांग्रेस के प्रति भ्रष्टाचार और जन विरोधी नीतियों के कारण भारी गुस्सा है। किरण नें अंत में आभार व्यक्त करते हुए कहा कि देश तेजी से मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस की विदाई से ही देश का भला हो सकता है।

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