हिन्दी भाषा में स्वर एवं व्यजनों की क्रमिकता शानदार: डॉ. गुप्त

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में हिन्दी पखवाड़े का समापन कार्यक्रम आयोजित
DSC07216बीकानेर, 28 सितम्बर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में हिन्दी दिवस, 2017 के उपलक्ष्य पर आयोजित हिन्दी पखवाड़े का पुरस्कार वितरण/समापन समारोह रखा गया। केन्द्र में (14-28 सितम्बर) तक चले इस हिन्दी पखवाड़े के समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.उमाकांत गुप्त, प्राचार्य, एम.एस.कॉलेज,बीकानेर तथा विशिष्ट अतिथि श्री जसवंत खत्री, अधीक्षण अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, बीकानेर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्र निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने की।
हिन्दी पखवाड़े के पुरस्कार वितरण/समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.उमाकान्त गुप्त ने कहा कि किसी भी देश की पहचान पहले भाषा, फिर उसकी संस्कृति से होती है। हिन्दी विश्व की ऐसी भाषा है जो कि संस्कृति की छवि रखती है, इसमें स्वर एवं व्यजनों की क्रमिकता शानदार है, पर्याप्त शब्द संपदा है। इसमें विश्व की सभी भाषाओं का उच्चारण हो सकता है, अतः हिन्दी भाषा को गौरव के रूप में लिया जाना चाहिए। डॉ.गुप्त ने हिन्दी भाषा की आधुनिक व बाजारवाद की स्थिति को सदन के समक्ष रखते हुए इसे रोजगार दिलाने वाली भाषा बताया तथा कहा कि इसकी लिपि कम्प्यूटर पर भी सटीक बैठती है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री जसवंत जी खत्री ने कहा कि भाषा संवाद की गहराई व उसकी स्पष्टता के लिए है। व्यक्ति द्वारा उच्चारित ‘संबोधन‘ हमारे अन्तस को खटखटाते हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी, हिन्दुस्तानियों को ‘माटी‘ से जोड़ती है। अतः अधिकांश क्षेत्र में सुनी/समझी जाने वाली हिन्दी भाषा को लोक भाषा/व्यवहार का हिस्सा बनाया जाना ही चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने हिन्दी पखवाड़ा-2017 के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी पखवाड़ा जैसे आयोजन नितांत आवश्यक है अपने आप को समझने/ढालने/कार्य प्रकृति में लाने के लिए। जब आप अपने कार्यक्षेत्र/व्यवहार में इसे अधिकाधिक अपनाएंगे तो प्राप्त ज्ञान/अनुभव का यह निचोड़, हिन्दी भाषा के माध्यम से एक कड़ी बनकर प्रवाहित होगा जो अन्ततः हमारे ऊँट पालकों को लाभ दिलाएगा।
इस अवसर पर प्रभारी राजभाषा डॉ.अशोक कुमार नागपाल ने पूरे पखवाड़े की गतिविधियों को सदन के समक्ष रखा। इस कार्यक्रम से पूर्व, केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं पूर्व राजभाषा अधिकारी डॉ.राघवेन्द्र सिंह, का विदाई समारोह भी आयोजित किया गया। हिन्दी पखवाड़े का पुरस्कार वितरण/समापन समारोह कार्यक्रम का संचालन श्री हरपाल सिंह कौण्डल ने किया। धन्यवाद प्रस्ताव श्री नेमीचंद बारासा ने दिया।

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