बाल दिवस पर बच्चों के लिये मनाया गया कार्यक्रम ‘किरण’

bikaner samacharबीकानेर 14 नवम्बर 2017 । सरदार पटेल आयुर्विज्ञान महाविद्यालय के कैन्सर विभाग में आज बहुत अच्छी शुरूआत हुई जिसमें ल्युकीमिया, थेलेसीमिया, हिमोफिलिया, आई.टी.पी. अप्लास्टिक ऐनीमिया एवं अन्य रोग से ग्रसित बच्चो के लिये बाल दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें अनेक प्रतियोगितायें आयोजित की गयी। इन प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कई बच्चे तो ऐसे थे जिनके आज ही कीमोथैरेपी भी हुई थी। डॉंस प्रतियोगिता में महक, फैन्सी ड्रेस कम्पीटीशन में रूही एवं ड्राईंग कम्पीटीशन में स्नेहा एवं वेदप्रकाश विजेता रहे, जिन्हें अतिथियों ने पुरस्कृत किया।
इस अवसर पर डॉ. आर.पी. अग्रवाल ने केन्सर विभाग की ओर से ‘किरण’ जैसे कार्यक्रम के माध्यम से मरीज एवं चिकित्सक के बीच गहन सम्बन्धों की शुरूआत करने के लिये कैन्सर विभाग के सभी चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों आदि को बधाई दी। डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि इसी प्रकार सभी विभागों में मरीजों एवं चिकित्सकों के बीच ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन का सुझाव दिया। ऐसे आयोजनों से मरीज की बीमारी जल्द ठीक होने के अवसर बढ़ते है। डॉ. अग्रवाल ने कार्यक्रम आयोजन समिति के संयोजक डॉ. सुरेन्द्र बेनीवाल एवं डॉ. पंकज टांटिया की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजन किये जावें जिससे अन्य विभाग के चिकित्सक भी प्रेरित हो सकें।
कार्यक्रम में अतिरिक्त प्रधानाचार्य, डॉ. लियाकत अली गौरी, अधीक्षक-पी.बी.एम. चिकित्सालय डॉ. पी.के. बेरवाल, केन्सर संस्थान के निदेशक, डॉ. एम.आर. बरड़िया, केन्सर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एच.एस. कुमार सहित अनेक चिकित्सकएवं नर्सिंगकर्मी उपस्थित रहे।
डॉ. पंकज टांटिया ने बतलाया कि थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिये ऐसा कार्यक्रम करना काफी चुनौतिपूर्ण एवं ज्ञानवर्द्धक रहा। उन्होंने यह भी बतलाया कि इस आयोजन में ब्लड़ ट्रांस्फ्यूजन विभाग के डॉ. देवराज आर्य द्वारा ब्लड ट्रांसफ्यूजन में किये जा रहे सहयोग के बिना यह कार्यक्रम सम्भव नहीं था। साथ ही पैथोलोजी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. नीलू गुप्ता एवं डॉ. वनीता कुमार ने मरीजों के डायग्नोसिस में विशेष सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में मरीज बच्चों के माता-पिता का भी विशेष सहयोग रहा तथा उन्होंने बीमार बच्चों को ऐसे आयोजन में भाग लेने हेतु प्रेरित किया। इनमें विशेष रूप से श्री राजेन्द्र गहलोत एवं डॉ. गर्ग का सराहनीय सहयोग रहा ।

– मोहन थानवी

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