मध्यस्थता विवाद निस्तारण की बेहतर प्रक्रिया

जिला परिषद के सभागार में रविवार को आयोजित विधिक चेतना कार्यक्रम में बोलते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या सीकर नीरज कुमार भारद्वाज
जिला परिषद के सभागार में रविवार को आयोजित विधिक चेतना कार्यक्रम में बोलते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या सीकर नीरज कुमार भारद्वाज
बीकानेर, 26 नवम्बर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को जिला परिषद के सभाकक्ष में मध्यस्थता के माध्यम से प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़,सीकर, झुंझनूं व चूरू के न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया तथा मध्यस्थता के माध्यम से प्रकरणों के निपटारे के संबंध में वृहद चर्चा की ।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या एक राम अवतार सोनी ने कहा कि विवादों के निपटारे में दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने का प्रयास होना चाहिए। झूठी प्रतिष्ठा, जातिद्वेष व प्रतिष्ठा और इगों आदि के कारण कई लोग एक दूसरों को मुकदमों में फंसा देते है। न्यायायिक अधिकारी व अधिवक्ता सचेष्ठता के साथ पक्षकारों की भावनाओं का पूर्ण अध्ययन कर श्रेष्ठ मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हुए प्रकरणों का निस्तारण करें। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी की तुलना में मध्यस्थता विवाद निस्तारण की बेहतर प्रक्रिया है। मध्यस्थता प्रक्रिया से विवाद का निस्तारण अर्थात समझौता होने की स्थिति में प्रकरण में पुनः सुनवाई तथा पुनरीक्षण की आवश्यकता नहीं रहती। प्रकरण का पूर्णतः निस्तारण हो जाता है ।
नोडल अधिकारी के रूप में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 2 अमित कड़वासरा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 3 घनश्याम शर्मा ने भी जागरुकता कार्यक्रम के तहत मध्यस्थता करते हुए प्रकरणों के निपटारे के विविध पक्षों के बारे में बताया । कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर सीकर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 2 नीरज कुमार भारद्वाज ने स्लाइड के माध्यम से प्रकरणों के निस्तारण में न्यायायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं की भूमिका के बारे में बताया। मास्टर ट्रेनर सीकर के अधिवक्ता पुरुषोत्तम शर्मा, जोधपुर के राजेन्द्र दाधीच ने मध्यस्था गतिविधियों की वर्तमान में आवश्यकता व उपयोगिता के बारे में जानकारी दी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार अग्रवाल ने प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और मास्ट्रर ट्रेनरों द्वारा बताए गये सभी बिन्दुओं पर अमल करते हुए, राजीनामा योग्य प्रकरण को चिन्हित कर उन पर सकारात्मक कार्य करने का संदेश दिया ।

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