सुचारू रहें पीबीएम अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं

पीबीएम अस्पताल की आरएमआरएस बैठक आयोजित

बीकानेर, 9 फरवरी। संभागीय आयुक्त तथा पीबीएम आरएमआरएस कमेटी अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि पीबीएम अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं सुचारू रहें, इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, पीबीएम अधीक्षक तथा सभी विभागाध्यक्ष प्रभावी मॉनिटरिंग करें। विभागाध्यक्ष वार्डों में नियमित विजिट के दौरान अस्पताल की साफ-सफाई, कार्मिकों की उपस्थिति, उपकरणों की स्थिति सहित प्रत्येक छोटी से छोटी व्यवस्था का फीडबैक लें। व्यवस्था में किसी स्तर पर ढिलाई पाई जाए, तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। किसी भी स्थिति में मरीज को परेशानी नहीं हो तथा संसाधनाें का अधिकतम उपयाग हो, यह सुनिश्चित करें।

     गुप्ता ने शुक्रवार को सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के सभागार में पीबीएम अस्पताल की राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हृदय रोग विभाग में ट्रॉप आई की जांच के दौरान मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। ट्रॉप आई की जांच अस्पताल में ही हो सके, इसके लिए आवश्यकता के अनुरूप टेक्निशियन की व्यवस्था के लिए कॉलेज प्राचार्य को निर्देश दिए। आरएमआरएस सदस्य विजय मोहन जोशी द्वारा हल्दीराम मूलचंद अस्पताल के ए.सी. बंद होने तथा अस्पताल परिसर में सफोकेशन होने की जानकारी दी गई। इस संबंध में जिला कलक्टर ने कहा कि अस्पताल का कोई भी ए.सी. बंद नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। ए.सी. तथा रेफ्रिजरेटर आदि को समयबद्ध ठीक करवाने के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध किया जाए।

     कैथ लैब में काम करने वाले चिकित्सकों, तकनीकी कर्मचारियों को रेडियेशन से बचाव के लिए लैड एप्रन खरीदने संबंधी प्रस्ताव का अनुमोदन बैठक के दौरान किया गया। सेवानिवृत कार्मिकों की सेवाएं बढ़ाने के संबंध में गुप्ता ने कहा कि इन कार्मिकों को जिन स्थानों पर लगाया जाना प्रस्तावित है, उसकी सूची उपलब्ध करवाई जाए। पीबीएम अस्पताल परिसर में 3 नए कैंटीन बनाने के प्रस्ताव उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। आरएमआरएस सदस्य जोशी द्वारा लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर के प्रभावी क्रियान्वित नहीं होने की जानकारी दी गई। इस संबंध में गुप्ता ने कहा कि 31 मार्च तक इसे पूर्णतया प्रारम्भ किया जाए। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो। लाइफ सेविंग स्टोर में नहीं मिलने वाली दवाइयां होलसेल भंडार से खरीदी जाएं। उन्होंने अस्पताल परिसर में जन औषधि केन्द्र खोलने संबंधी कार्रवाई के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत अस्पताल परिसर में सबस्टोर के प्रस्ताव तैयार करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि ड्रग वेयर हाउस में आने और वितरित की जाने वाली दवाआें का स्पष्ट लेखा-जोखा होना चाहिए। यदि कोई दवाई उपलब्ध होने के बावजूद ‘नोट अवेयलेबल’ लिखा पाया जाए तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

     अस्पताल में विभिन्न प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा कार्मिकों की संख्या अथवा अवधि बढ़ाने के संबंध में गुप्ता ने कहा कि इससे संबंधित संपूर्ण विवरण उपलब्ध करवाया जाए। कार्मिक की नियुक्ति कब की गई, इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई, कब संख्या अथवा अवधि बढ़ाई गई, कहां-कहां से प्रस्ताव आए आदि की जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्मिक की मॉनिटरिंग हो। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने नेत्र चिकित्सालय के सामने कियोस्क की किराया राशि पुनः तय करने के निर्देश दिए तथा कहा कि इसमें प्रतिवर्ष नियमानुसार वृद्धि की जाए। पूर्व की बैठकों में दिए निर्देशों की अनुपालना नहीं होने पर नाराजगी जताई तथा इसे पूर्ण गंभीरता से लिया जाए। आरएमआरएस सदस्य सलीम भाटी ने कहा कि अस्पताल परिसर में साफ-सफाई, महिला शौचालय, यूरोलॉजी विभाग में आरओ प्लांट दुरूस्त करने, संविदा पर कार्यरत समस्त कर्मचारियों की प्रभावी मॉनिटरिंग करने, अस्पताल परिसर में लपकों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित विभिन्न बिंदु उठाए।

     बैठक क दौरान वर्ष 2017-18 की वास्तविक आय एवं व्ययक तथा 2018-19 के बजट प्रावधानों पर चर्चा की गई। हृदय रोग विभाग में कार्डियक कैथ लैब की एक्स रे ट्यूब के रिपलेसमेंट, ऑक्सीजन सिलेंडर्स के त्वरित परिवहन के लिए वाहन किराया करने, 220 सीएफटी तथा 40 सीएफटी ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर तथा ए.सी. क्रय करने सहित विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल, पीबीएम अधीक्षक डॉ. पीके बेरवाल, वित्त नियंत्रक संजय धवन, डॉ. एलए गौरी, डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एचएस बराड़, कोषाधिकारी डॉ. अरूणिमा सिन्हा, डॉ. रंजन माथुर आदि मौजूद थे।

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सहकारी संस्थाआें का ऑडिट सुनिश्चित करने के निर्देश

बीकानेर, 9 फरवरी। संभाग के चारों की जिलों की सहकारी सोसाइटियों को ऑडिट सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।

     क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी राजेश कुमार टाक ने बताया कि राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 54 के अन्तर्गत प्रत्येक सहकारी सोसायटी की प्रतिवर्ष ऑडिट होनी आवश्यक है।  वर्तमान में वर्ष 2016-17 के लेखो की लेखा-परीक्षा का कार्य चल रहा  है। कुछ सोसाइटियों की ऑडिट हेतु उस सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ऑडिटर को रिकॉर्ड उपलब्ध न करवाने से ऑडिट समय पर नहीं हो पा रही है।  जिन समितियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों द्वारा ऑडिटर्स को रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है, वे ऑडिटर्स लिखित में रिकॉर्ड प्राप्ति हेतु ऑडिट मीमो संबंधित मुख्य कार्यकारी को तामील करवाएं।

     यदि मीमो के अनुसार रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाया जाता है और ऑडिटर को ऎसा महसूस होता है कि सासाइटी की निधियों तथा सम्पति का दुर्विनियोग तथा दुरूपयोग किए जाने की सम्भावना है या ऑडिट हेतु आवश्यक पुस्तकों, लेखाओं, दस्तावेजो को नष्ट कर दिए जाने या बिगाड़ दिए जाने की संभावना है, तो, ऑडिटर जिले के उप रजिस्ट्रार को इसके संबंध में निवेदन करे जिससे उप रजिस्ट्रार द्वारा स्वयं या किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करके सोसायटी के अभिलेखों की तलाशी, अभिग्रहण और कब्जे में लेने के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन किया जा सके।

     इसके अलावा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ऑडिट के मामले में, रिकॉर्ड प्राप्त न होने पर संबंधित केन्द्रीय सहकारी बैंक लि. के अधिशाषी अधिकारी को तथा दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के मामले में, संबंधित दुग्ध संघ के प्रबंध संचालक को भी अवगत करावें जिससे उनके द्वारा रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने हेतु कार्रवाई की जा सके ।

     उन्होंने बताया कि ऑडिट करवाना प्रत्येक सोसाइटी के संचालक मण्डल का भी दायित्व हैे और ऑडिट न करवाने पर अधिनियम की धारा 28(11) के तहत सोसाइटी के संचालक मंण्डल के ऎसे दायित्वाधीन किसी भी सदस्य या सभी सदस्यों को छः साल के लिए निरर्ह(अयोग्य)घोषित किया जा सकता हैं । ऎसा निरर्ह घोषित सदस्य आगामी 6 साल तक उस सोसाइटी का निर्वाचन नहीं लड़ सकता है । रिकॉर्ड उपलब्ध न करवाने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अधिनियम की धारा 109(1)(ज)एवं 109(2)(ज)के तहत तीन से 12 माह तक के कारावास एवं पच्चीस हजार रूपय के जुर्माने का प्रावधान भी है। अधिनियम की धारा 110 में वर्णित प्रक्रिया की पालना की जाकर ऎसी कार्रवाई भी करवाई जा सकती हैं।

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