दो दिवसीय उष्ट्र पालन व्यवसाय प्रशिक्षण सम्पन्न

बीकानेर, 6 मार्च। आत्मा परियोजना के तहत राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ‘उष्ट्र पालन ः चुनौतियां एवं सम्भावनाएं‘ विषयक दो दिवसीय उष्ट्रपालन व्यवसाय प्रशिक्षण मंगलवार को सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि ऊँटनी के दुग्ध व्यवसाय में मार्केटिंग की प्रबल संभावनाएं छिपी हैं, जिसके माध्यम से ऊँटपालक अपनी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऊँटनी के दूध में औषधीय गुणधर्माें की भरमार है, जिसके चलते रहते यह मधुमेह, टी.बी., ऑटिज्म आदि के इलाज में महत्वपूर्ण है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा ऊँटनी के दूध को खाद्य पदार्थाें की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, इससे उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय में तेजी आने की संभावना है। उन्होंने ऊँट पालकों से ऊँटनी के दूध को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाने की अपील की।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के कोटड़ी एवं कल्याणसर गांव के 30 पशु पालकों व महिला किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में ऊँटों के विभिन्न पहलुओं जैसे पोषण, प्रजनन, जनन, नस्ल सुधार, शरीर कार्यिकी, स्वास्थ्य एवं प्रबन्धन के साथ-साथ चारा उत्पादन, ऊँटनी के दूध एवं विकसित दुग्ध उत्पादों के संबंध में वैज्ञानिक द्वारा व्याख्यानों के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। प्रशिक्षणार्थियों को उष्ट्र डेयरी प्रबंधन, उष्ट्र बाड़ों, उष्ट्र संग्रहालय, उष्ट्र दुग्ध पार्लर आदि का भ्रमण भी करवाया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी प्रधान वैज्ञानिक डॉ.आर.के.सावल एवं प्रशिक्षण अधिकारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राकेश रंजन उपस्थित थे।

गुजरात आंनद के वेटरनरी विद्यार्थियों के दल का राजुवास भ्रमण

बीकानेर, 6 मार्च। गुजरात की आंनद कृषि विश्वविद्यालय के वेटरनरी कॉलेज के स्नातक इन्टर्नशिप के 55 छात्र-छात्राओं का एक दल शैक्षणिक भ्रमण पर मंगलवार को वेटरनरी विश्वविद्यालय पहुँचा। दल में वेटरनरी के 41 छात्र और 14 छात्राओं ने राजुवास के मेडिसिन, गायनी, सर्जरी और क्लिनिक्स मेंं अत्याधुनिक पशुचिकित्सा और उपचार सेवाओं की विस्तृत जानकारी ली।

दल के प्रभारी प्रो. एम.टी. पंचाल ने बताया कि दल ने राजुवास में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों, सी.टी. स्केन मशीन, डिजीटल इमेंजिंग सहित विभिन्न पशुओं के पृथक से बने शल्य चिकित्सा कक्षों में उपचार सेवाओं को देखा। राजुवास में स्थापित पशुओं की रक्त बैंक और प्रयोगशालाओं के भ्रमण से विद्यार्थियों अत्याधिक लाभ पहुँचा। दल ने पोल्ट्री फॉर्म में एमू, बतख, मुर्गी, मछली पालन सहित उष्ट्र और मुर्रा भैंस की नस्लोें को देखा। प्रसार शिक्षा के सहायक प्राध्यापक डॉ. अतुल शंकर अरोड़ा ने राज्य के देशी गौ वंश की विभिन्न नस्लों और उनकी उत्पादक क्षमता सहित संवद्र्धन कार्यों से अवगत करवाया। दल में सहायक प्रभारी डॉ. के.ए. सादरिया भी मौजूद थे।

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