डूंगर कॉलेज में आयोजित हुआ नवसंवत्सर कार्यक्रम

बीकानेर, 20 मार्च। राजकीय डूँगर महाविद्यालय में मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की महाविद्यालय इकाई द्वारा अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के आह्वान पर नव-संवत्सर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मुख्य-वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक डॉं. अन्नाराम शर्मा थे। उन्होंने संवत्सर की प्राचीन एवं गौरवमयी परंपरा के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए कालगणना के अनुसार विक्रम संवत् की श्रेष्ठता के बारे में बताया। उन्होंने भारतीय दर्शन में एकात्मवाद की श्रेष्ठता का प्रतिपादन करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा व्यक्तिवादी न होकर समाजोत्थानकारी एवं राष्ट्रोपयोगी चिन्तन से युक्त है। ’वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से ओतप्रोत है। प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रनिर्माण में योगदान देना चाहिए।
विशिष्ट-अतिथि के रूप में कवि एवं गीतकार श्री राजेन्द्र स्वर्णकार ने नवसंवत्सर के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। इससे पूर्व राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी देते हुए नव-संवत्सर के पौराणिक महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चैत्र प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्माजी ने इस सृष्टि का निर्माण किया। इसी दिन त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का राज्यारोहण हुआ तथा द्वापरयुग में धर्मराज युधिष्ठिर सिंहासनारूढ हुए। भारतीय जमीन पर अनेकानेक धर्मपरायण महात्माओं के कार्यों का उल्लेख करते हुए इस दिन के विशेष महत्त्व का प्रतिपादन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. बेला भनोत ने नव-संवत्सर के दार्शनिक महत्त्व का प्रतिपादन किया। उन्होंने इस दिन आत्म-चिन्तन की आवश्यकता पर बल दिया। व्यक्ति को निरंतर चिन्तनशील रहते हुए आत्मबोध करने करने की सीख दी और कहा कि हमें अपनी कमियों व अच्छाइयों का पता कर स्वयं का मूल्यांकन करना चाहिए।
कार्यक्रम का संयोजन करते हुए इकाई सचिव डॉ. उज्ज्वल गोस्वामी ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम के आयोजन को सफल बनाने हेतु महाविद्यालयीय शिक्षक साथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि संगठन की क्रियाशीलता के फलस्वरूप ही सभी शिक्षक साथी संगठन की वैचारिक पृष्ठभूमि से सदा जुड़े हुए रहे हैं और सदा संगठन के विचारों को अपना कर अपना सहयोग देते रहेंगे।

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