सामाजिक कार्यकर्ता ग्यारसी का निधन

फ़िरोज़ खान
बारां 13 जुलाई । जाग्रत महिला संगठन व संकल्प सोसायटी की वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ग्यारसी बाई सहरिया का आकस्मिक निधन हो गया । उनके निधन की सूचना मिलते ही सभी सामाजिक संगठनों में दुःख की लहर दौड़ गयी । शुक्रवार को उनकी शव यात्रा निजी आवास से निकली जिसमें में सैकड़ों लोग शामिल हुए । गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया । संकल्प सोसायटी के महेश बिंदल ने बताया कि ग्यारसी बाई 1992 से समाज के गरीब, वंचित, पीड़ित लोगों के साथ किशनगंज व शाहाबाद क्षेत्र में समुदाय के साथ कार्य कर रही थी । ग्यारसी के सम्पर्ण भाव को देखते हुए उनको राज्य स्तर पर कई बार सम्मान भी मिल चुका है । सत्यमेव जयते कार्यक्रम में भी अभिनेता आमिर खान द्वारा उनको सम्मानित किया गया था । उन्होंने सूचना का अधिकार, मजदूर हक यात्रा, जवाबदेही यात्रा, में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । मनरेगा योजना में सहरिया समुदाय के 200 दिन करवाने, खेरूआ समुदाय को राशन वितरण प्रणाली में सहरिया के समान लाभ दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका थी । और आज उसी का परिणाम है कि खेरूआ समुदाय को गेंहू, घी, तेल, दाल का पैकेज निशुल्क दिया जा रहा है । किशनगंज व शाहाबाद क्षेत्र में करीब 200 बंधुआ मजदूरों मुक्त करवाने में जाग्रत महिला संगठन की अहम भूमिका रही थी । आज इन 200 परिवारों के लोग आजाद है और अपने परिवार के साथ खुशाल जिंदगी बसर कर रहे है । उन्होंने संगठन के माध्यम से महिला हिंसा, मनरेगा, स्वास्थ्य, वन अधिकार, शिक्षा, दबी जमीन, सूचना का अधिकार जैसे कई मुद्दे उठाए और लोगो को लाभ दिलाने में सहयोग किया ।
नरेगा के सारी कमियों के बावजूद , यदि कोई संगठन नरेगा से भी सहारा ले , तो वह कितना काम आ सकता है , यह बारा जिले के सहरिया साथियों और संकल्प सोसायटी व जागृत महिला संगठन ने बंधुआ मजदूरी से मुक्ति के संघर्ष से कर दिखाया। सहेरियों को आज 200 दिन मजदूरी का हक है , और नरेगा नहीं होता तो ना ही 200 से ज्यादा परिवार बंधुआ मज़दूरी से मुक्ति छीन पाते , और ना ही वे अपने जमीन पर वापिस काबिज हो पाते । नरेगा एक संघर्ष है, जो लामबंद होने के लिए काम में लिया जा सकता है। आज ग्यारसी बाईं के आकस्मिक निधन से इतने संघर्ष की यादें आंखो के सामने घूम रही है। …
हमारी एक बहुत बड़ी प्रेरणा की श्रोथ , और कर्मठ वरिष्ठ साथी । ग्यारसी बाईं का इस तरीके से चले जाना , हम सब के लिए बहुत बड़ा धक्का है। वो ना केवल सहेरिया समुदाय की लीडर थी, उन्होंने महिला आंदोलन, आदिवासी आंदोलन, मजदूर आंदोलन, सूचना के अधिकार आंदोलन, ज़मीन आंदोलन, बंधुआ मुक्ति आंदोलन, शिक्षा आंदोलन और नरेगा से जुड़े आंदोलनों को प्रेरणा दिया और रास्ता दिखाया । उनके अंतिम संस्कार में संकल्प सोसायटी के सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सेन, चंदालाल भार्गव, व जाग्रत महिला संगठन की जसोदा, शकुंतला, भगवान दे, कल्ली, मोहनी, बैजंती, कौशल्या, रीना, मीना, उदय सिंह, रूपबसन्त, श्रीलाल, सहित समस्त कार्यकर्ता शामिल थे ।

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