बजरंगलाल सुथार देश के बेहतरीन 30 नायकों में शामिल

इंडिया 30 अवार्ड के तहत मोमासर गाँव के दिव्यांग चित्रकार श्री बजरंगलाल सुथार देश के बेहतरीन 30 नायकों में शामिल

युथ पार्लियामेंट ऑफ़ इंडिया(ख्याल संविधान और संस्कृति का) की ओर से मोमासर, तहसिलः डुंगरगढ़ जिला-बिकानेर के दिव्यांग बजरंगलाल सुथार का चयन चित्रकारी में अद्वितीय योगदान व दिव्यांगता को मात दे, उम्दा सृजनता के लिए इंडिया 30 अचीवर अवार्ड के लिए किया गया है। यूथ पार्लियामेंट की चेयरपर्सन पार्वती जांगिड़ ने बताया कि भारतवर्ष की अद्वितीय सम्मान सीरीज इंडिया30 अचीवर अवार्ड, जिसमे हर साल अलग अलग क्षेत्र से देश की 30 ऐसी प्रतिभाएंचुनी जा रही है, जो भारतवर्ष को उम्मीद के रंगों से संवार रहे हैं। वास्तव में यह सम्मान न सिर्फ बजरंगलाल सुथार का है वरन उस हर एक दिव्यांग अद्वित्य प्रतिभा का है जो गरीबी से लड़कर, अभावो को मात देकर राष्ट्र निर्माण में लगे है। ऐसेलोग अभावो का रोना नहीं रोते, सुविधाएं नहीं है तो कर्तव्य पथ से विमुख नहीं होते बल्कि अपने कर्म क्षेत्र में डटे रहते है।

जिजीविषा में भरा सुनहरा रंग, शरीर से लाचार दिव्यांग बजरंगलाल सुथार है औरों के लिए प्रेरणा

राजस्थान प्रदेश के बीकानेर का छोटा सा गाँव लेकिन सुसंस्कृत, सभ्य मोमासर गाँव। इसी गाँव में सुसंस्कृत, सभ्य सुथार परिवार में जन्म हुआ बजरंग सुथार का। पैतृक पेशे को अपनाकर वे सहज ही एक अच्छे सुथार के रूप में काम करनेलग गए। 19 वर्ष की उम्र में एक दुर्घटना ने बजरंग के जीवन में भूचाल ला दिया। दुर्घटना से कंधे से नीचे का शरीर शुन्य सा हो गया।
बजरंग की सोच दौड़ने लगी थी पर शरीर ठहर गया। इस दुर्घटना के बाद बालविवाहिता पत्नी को उसके माता पिता वापिस ले गए, और पुनर्विवाह कर दिया। बजरंग को यह विश्वाश हो गया की अब उसका शरीर औरो के भरोसे ही रहेगा। वेनिराश हो गए, जिंदगी अंधकारमय हो गई लेकिन बजरंग सोच अंदर ही अंदर दौड़ने लगी और कुदरत ने उसकी हाथ की कुछ अँगुलियों में हलकी सी गति आने लगी। बजरंग बार बार लिखने की कोसिस करने लगे, अपने बाएं हाथ की अंगुली व्अंगूठे से धीरे धीरे पेटिंग करने लगे। जयपुर के विनोद जोशी के सहयोग से उन्होने इस कला का और बेहतरीन रंग दिया। प्रदर्शनी लगने लगी।

error: Content is protected !!