युवाओं में बढते नशे की प्रवृत्ति पर कार्यशाला

आज दिनांक 06.10.18 को मानसिक रोग एवं नशामुक्ति विभाग में विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तीसरे दिन युवाओं में बढते नशे की प्रवृति पर कार्याशाला का आयोजन किया गया। अस्पताल में पधारे समस्त मरीजों एवं उनके परिजनों को इस कार्यशाला में विभाग के सहआचार्य डॉ. हरफूल सिंह बिश्नोई ने बताया कि 20 वर्ष से कम आयु के युवा वर्ग में 30 प्रतिशत युवा किसी न किसी प्रकार के नशे में लिप्त रहते हैं। युवाओं में गुटखा, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट, भांग से नशे की शुरूआत होती है जो आगे चलकर विभिन्न प्रकार के गंभीर नशे यानी की चरस, गांजा, अफीम, दारू, नशे की गोलिया, हिरोईन, स्मैक तक पहुंच जाती है। छोटी उम्र में चालु किया गया नशा विभिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक बिमारियों को जन्म देता है।
विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अनन्त राठी ने बताया कि किस प्रकार से समय रहते युवाओं में नशे की प्रवृति का पहचान करना चाहिए। उन्होनें इन्टरनेट एवं मोबाईल एडीक्सन के बारे में बताया। युवा वर्ग में नशामुक्ति एवं काउन्सलिंग के बारे में जानकारी दी। परिवार में बच्चों के साथ नियमित संवाद एवं उचित पारिवारिक माहोल व परामर्श से आने वाली पीढी को नशों के प्रवृति से बचाया जा सकता है।

डॉ के. के. वर्मा,
वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष
मनोरोग एवं नशामुक्ति विभाग
स.प. आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं,
सम्बद्ध चिकित्सालय पी.बी.एम. बीकानेर

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