आत्माराम भाटी का प्रथम व्यंग्य संग्रह लोकार्पित

बीकानेर। ”व्यंग्य में करूणा भी होती है और हास्य भी होता है। हास्य और व्यंग्य के साथ प्रासंगिक विषयों को इस संग्रह में रोचक भाषा के साथ उठाया गया है।” यह कहा साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा ने । वे व्यंग्यकार आत्माराम भाटी के प्रथम व्यंग्य् संग्रह ‘परनिंदा सम रस कहुं नाहिं’ का लोकार्पण समारोह को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। प्रज्ञालय संस्थान, बीकानेर द्वारा स्थानीय महाराजा नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में पुस्तक का लोकार्पण अतिथियों ने किया । मुख्य अतिथि भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि ”संग्रह की रोचकता उसके नये भाषिक उपयोग के कारण और भी बढ गयी है। मुख्य वक्ता डॉ.उमाकांत गुप्त ने कहा कि ”व्यंग्य सामाजिक सरोकार की सबसे बडी विधा है। व्यंग्य में दृष्टि की व्यापकता के साथ तीखापन होना आवश्यक तत्व है। विशिष्ट अतिथि डॉ.नीरज दईया ने कहा कि ”आत्माराम भाटी के व्यंग्य स्थानीय भाषा से पोषित शब्दावली और जन-जीवन की सांस्कृतिक दृश्या‍वली के कारण पाठकों को प्रभावित करते रहे हैं।’ इससे पूर्व प्रज्ञालय संस्थान के अध्यक्ष कमल रंगा ने स्वागत उद्बोधन दिया । उन्होंने खेल लेखन से देश भर में अलग पहचान बनाने वाले आत्माराम भाटी को व्यंग्य विधा में भी सफलता के नये मानदण्ड स्थापित करने की शुभकामनाएं दी।” कार्यक्रम के आरम्भ में व्यंग्यकार आत्माराम भाटी का परिचय संजय पुरोहित ने दिया । साथ ही उन्होंने लोकार्पित व्यंग्य संग्रह के एक व्यंग्य ‘मुझे पुरस्कार नहीं चाहिये’ का वाचन भी किया। आचार्य ज्योतिमित्र ने पत्रवाचन किया । व्यंग्यकार अशोक चक्रधर की भूमिका का वाचन कासिम बीकानेरी ने किया। इस अवसर पर व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी तथा नेशनल बुक ट्रस्ट के संपादक एवं व्यंग्यकार लालित्‍य ललित द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेशों की ऑडियो क्लिप भी प्रस्तुत की गई। अपनी बात रखते हुए आकाशवाणी बीकानेर की उद्घोषक रेखा भाटी ने लेखक के पीछे के द्वंद्व पर प्रकाश डाला। प्रज्ञालय संस्थाल की ओर से आभार गिरीराज पारीक ने व्यक्त किया।
-✍️ मोहन थानवी

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