डा. आईदान को लोक साहित्य सम्मान से किया सम्मानित

कवि सुरेंद्र दुबे को मरणोपरांत पदमश्री अवार्ड देने की केंद्र सरकार से मांग
शाहपुरा(भीलवाड़ा)-
साहित्य सृजन कला संगम के तत्वावधान में स्थानीय महलों का चोक में शनिवार को महलों का चैक में आयोजित 22 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व लोककवि मोहन मंडेला स्मृति लोक साहित्य सम्मान 2018 का भव्य आयोजन किया गया। रविवार को भोर होने तक चले इस आयोजन ने शाहपुरा के इतिहास में नया कीर्तिमान स्थापित किया।
विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित सम्मेलन में जोधपुर के कवि व साहित्यकार डा. आईदान सिंह भाटी को लोककवि मोहन मंडेला स्मृति लोक साहित्य सम्मान 2018 से सम्मानित किया गया। उनका सभी अतिथियों ने सम्मान करते हुए मानपत्र भेंट किया। खचाखच भरे पांडाल में अतिथियों के रूप में पूर्व सांसद हेमेंद्र सिंह बनेड़ा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामपाल शर्मा, एलएनजे ग्रुप के ओएसडी रजनीश वर्मा भी मौजूद रहे। इस मौके पर बूंदी के कवि देशबंधु दाधीच की काव्य रचनाओं के संग्रह गीतां की घूंघरमाल का भी अतिथियों व कवियों ने मंच पर विमोचन किया।
डा. कीर्ति काले ने कवि सम्म्ेलन के प्रांरभ में प्रसिद्ध कवि सुरेंद्र दुबे द्वारा मृत्यु से पूर्व लिखे गये अंतिम गीत “जाने कैसे मौसम उतरा, मेरे मन के भीतर बाहर, न तो गुप्प अंधेरा ही है, ना ही साफ दिखाई देता“ गीत की प्रस्तुति कर कवि सम्मेलन को उंचाईयां प्रदान करते हुए कवि सम्मेलन कवि सुरेंद्र दुबे समर्पित करने की घोषणा की। उन्होंने इस मौके पर केंद्र सरकार से प्रसिद्ध कवि सुरेंद्र दुबे को मरणोपंरात पदमश्री की उपाधि से नवाजे जाने का प्रस्ताव भी रखा जिसका सम्मेलन में उपस्थित श्रोताओं ने हाथ खड़े कर समर्थन किया।
कवि सम्मेलन का आगाज गीतकार सत्येंद्र मंडेला ने राजस्थानी भाषा में सरस्वती वंदना “झमक जाटणी बण माताजी गीतां घड़ो हिलाओ नी“। प्रस्तुत करके किया।
भीलवाड़ा के दीपक पारीक ने हास्य व्यंग्य की प्रसिद्ध रचनाएं सुनाते हुए “अपने भविष्य के अक्षर अपने हाथों काले मत करो, बच्चों को संस्कार दो कम उम्र में मोबाइल के हवाले मत करो” प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन को आनन्ददायी बना दिया।
ओज के कवि अशोक चारण ने चीनी सामान के विरोध स्वरूप अपनी कविता “सीमा पार खड़ा एक बौना, हमको नित धमकाता है, चिड़िया जैसी आंख नहीं, और हमको आंख दिखाता है” प्रस्तुत की। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध तिरंगा कविता का भी पाठ किया जिसका भरपूर समर्थन श्रोताआंें ने किया।
बूंदी के राजस्थानी गीतकार देशबंधु दाधीच ने अपनी भाषा में फैशन पर कविता “आज की कुुवारी छोरियां स्वर्ग में जावै जी” और अपनी प्रसिद्ध रचना बफर “डीनर मे खड़ा खड़ा ठांडा सा खाबौ बफर डीनर बाजै जी” प्रस्तुत की तो श्रोता लोटपोट हो गये।
लोकरंजन के ख्याति प्राप्त कवि राजकुमार बादल ने राजनीतिक टिप्पणियां करते हुए अपनी नवीन रचना पढ़ी और श्रृंगार की रचना “झूंठी हामल भर नट जाती, म्हारी सिली पड़ती छाती। बैठ्या सेल बैटरियां का पण टमको तो कर जाती” सुना कर कवि सम्मेलन को परवान चढ़ा दिया।
चैन्नई से आये मिठू मिठास ने राजस्थान पर अपनी रचना “अपनी पगड़ी ने चमकाज्यो रै, धरा को मान बढ़ाज्यो रै” और घर जंवाई पर हास्य कविता “हम उस घर के जंवाई है, जहां जमकर धुनाई होती है” प्रस्तुत कर आनन्दित किया।
टीवी चैनल के ख्याति प्राप्त लाफ्टर कवि पदम अलबेला ने अपनी हास्य पैरोड़ियो से भरपूर रस बिखेरा और अपनी प्रसिद्ध पैरोड़ी “कौनसी दफा में लेकर चला सिपईयां” प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थानी के प्रसिद्ध हास्य कवि दिनेश बंटी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में नेताओं व राजनीति पर व्यंग्य प्रस्तुत किया। “एक नेता को गुड़ से तोला तो गुड़ बोला, ये दूसरे पलड़े में किसको धर रहे हो, तुम तो गुड़ गोबर एक कर रहे हो” रचना सुनाकर माहौल को खुशनुमा कर दिया।
लोक कवि मोहन मंडेला स्मृति लोक साहित्य सम्मान 2018 से सम्मानित जोधपुर के वरिष्ठ साहित्यकार, कवि व आलोचक डा. आईदान सिंह भाटी ने राजस्थानी भाषा में अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सशक्त शैली में प्रस्तुत की। “मिनख मायलो डर देखो, आभै माही घर देखो उभा अंधेरो ताको मत धूप मायं तर देखो“ और “बलद बापड़ो इकल घाणी कांई हुवैला कुण जाणी” रचनाओं का पाठ करते हुए कवि सम्मेलन को उंचाई प्रदान की।
श्रृंगार की वरिष्ठ व अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री व मंच संचालिका डा. कीर्ति काले ने स्मृति के इस कार्यक्रम को बुलंन्दियों पर पहुंचाते हुए श्रेष्ठ गीतों का पाठ किया। “कुछ कहा भी नहीं कुछ सुना भी नहीं, बिन कहे बिन सुने बस यूं ही चल दिये और हर घड़ी हर पल बुलाती है मुझे चिर प्रतिक्षारत तुम्हार आर्त आंखे” । “बोलते है एक दर्पण छूटने को है और मिट्टी का कलश फूटने को है” जैसे कई गीतों का पाठ कर सम्मेलन की गरिमा को आकाश की बुलन्दियां प्रदान की।
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे उज्जेन के कवि अशोक भाटी ने अपनी प्रसिद्व रचना घंटी प्रस्तुत की। “तीन लोक के स्वामी दर्शन दे और मै नहीं बजूं ऐसा हो नहीं सकता” प्रस्तुत की जिस पर श्रोताओं ने भरपूर दाद दी। बेटी पर अपनी रचना प्रस्तुत की। “तू साहस है, शक्ति है तू भक्ति है रसखान की, तू बेटी हिन्दुस्तान” की भी सुनायी।
कवि सम्मेलन के सूत्रधार डा कैलाश मंडेला ने कवि सुरेंद्र दुबे की प्रसिद्व रचना “मेरे देश महान तुम्हारा क्या होगा, प्यारे हिन्दुस्तान तुम्हारा क्या होगा” प्रस्तुत की और अपनी ताजा पैरोड़ियां “मी टू मी टू क्या है” और ताजा राजनीति पर पैराड़ी “हमने देखी है इन चुनावों में भभकती बदबू, नाक को बंद किये चेलों को इल्जाम न दो, सिर्फ आभास है ये संूघ के महसूस करो, हार को हार ही रहने दो कोई नाम न दो,” प्रस्तुत की तो माहौल उन्मुक्त हो गया।
शाहपुरा के बारहठ परिवार के बलिदान पर लिखी हुई लोक कवि मोहन मंडेला की प्रसिद्व रचना बारहठां की बाड्या केशर हर हर बोल्या बम, अंत में प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन को बुलन्दियों पर पहुंचा दिया।
कवि सम्मेलन में इस वर्ष में दिवंगत हुए देश के शीर्ष कवि सुरेंद्र दुबे, बालकवि बैरागी, गोपालदास नीरज, अटलबिहारी वाजपेयी, प्रमोद तिवाड़ी, केडी शर्मा हाहाकारी, नवनीत हुल्लड़, अनवर जलालपुरी, दूधनाथ सिंह, चंद्रसेन विराट, तथा अन्य दिवंगत कवियों तथा शाहपुरा क्षेत्र के महत्वपूर्ण व्यक्तियों फतहसिंह मानव, रमेश रमण, वेणीगोपाल दीक्षित, कैलाश काबरा, लालचंद चेचाणी, शरीफ देशवाली, मुकुट बिहारी डोडिया, नंदलाल बहेड़िया, समर्थसिंह लोढ़ा आदि के दिवंगत होने पर सामूहिक रूप से श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।
मुख्य अतिथि मेघवाल ने शाहपुरा में 22 सालों से आयोजित कवि सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्षेत्र की साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने वाला है।
मूलचन्द पेसवानी

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