जीवन की रक्षा करती है जैविक खेती

“जागरूक उपभोक्ता के लिए शिक्षित किसान”
· स्वस्थ जीवन के लिए जयपुर रग्‍स का सचेत प्रयास: इंजीनियर और चिकित्सक डैरिल डी सूजा टेडएक्‍स वक्‍ता हैं जिन्‍होंने जयपुर रग्स में आयोजन में “बड़े प्रभाव डालने वाले छोटे-छोटे बदलाव” विषय पर आयोजित 2 घंटे के सत्र में अपना वक्‍तव्‍य दिया।
· मेढफार्म खेती करने का आधुनिक उदाहरण है, जिसमें हमने बागवानी को शामिल किया है। “खेती के पुराने तरीके को शामिल करने वाली आधुनिक तकनीकें”
· सेमिनार में लगभग 50 किसानों ने भागीदारी की, जिनमें एक महिला किसान भी शामिल थीं।
· फार्म से निकलाताजा भोजन मेढ फार्म में पकाया जाता है और सभी प्रतिभागियों को परोसा जाता है।
· प्रो. सुभाष नलंगे ने “जैविक खेती कैसे करें?” विषय पर आयोजित सत्र में अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि गोबर, गोमूत्र का उपयोग किस तरह से किया जाता है। उन्‍होंने खेती के क्षेत्र में संपूर्ण हरित ऊर्जा (सौर उर्जा जैसे सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए) और खाद्य प्रक्रियाओं के उपयोग के बारे में जागरूक किया और बताया कि अतिरिक्त कचरे का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है।
· एक-दूसरे के ज्ञान को साझा करके एक समुदाय के रूप में साथ-साथ काम करने के लाभों को की जानकारी देते हुए, किसान क्लब या समुदाय की शुरुआत।
· जैविक प्रमाणीकरण के बारे में जागरूकता।

पिछले 40 वर्षों से कारीगरों के उत्थान और जागरूक उपभोक्तावाद के बारे में जागरूकता फैलाते हुए, जयपुर रग्स ने किसानों को शिक्षित करके उपभोक्ताओं के लिए जैविक (ऑर्गेनिक) भोजन उपलब्‍ध कराने का काम किया है। जयपुर रग्स ने एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें पूरे जयपुर के लगभग 50 किसानों ने भागीदारी की और जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) के बारे में सीखा। यह आयोजन जयपुर से 80 किलोमीटर दूर मेढ फार्म में संपन्‍न हुआ। किसानों ने खेती के काम में रसायन से जुड़ी समस्‍याओं, पानी की समस्या, खेत में कम उत्पादन होने की समस्याओं को साझा किया। इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से एक, महिला किसान सुशीला देवी रहीं, जो सेमिनार में भाग लेने के चाकसू गांव से आई थीं। वह स्‍वयं कई पीढ़ियों से खेती कर रही हैं। सुशीला देवी ने कीटनाशकों को लेकर अपनी चिंताएं साझा किया। वह जैविक खेती करके स्‍वस्‍थ कृषि उत्‍पादन करने वाले समुदाय में शामिल होने के लिए सहयोग करने को तैयार हैं।

सेमिनार के दौरान किसानों के लिए फार्म से निकला ताजा भोजन भी तैयार किया और परोसा गया। यह कदम स्वाद और लाभों में परिवर्तन और जैविक खेती से निकले उत्पादों के उपभोग और बिक्री के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उठाया गया है।

जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) के बारे में:जैविक खेती सूक्ष्म जीवों (जैसे केंचुआ, गोबर, गोमूत्र) यानी वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करके किया जाता है। मेढ फार्म स्‍थित जयपुर रग्स अपना स्‍वयं का जैविक खाद बनाते हैं। खेत की उपज का उपयोग किचन मेस में किया जाता है जो कंपनी के मुख्य कार्यालय के लगभग 100 से अधिक कर्मचारियों को भोजन उपलब्‍ध कराता है। जयपुर रग्स जल्द ही जैविक कृषि उत्‍पादों की बिक्री के लिए नए ब्रांड लॉन्च करने जा रहा है, जो सीधे उपभोक्ताओं को बेचा जायेगा।

इस सम्‍मेलन के बारे में बताते हुए, जयपुर रग्स के संस्‍थापक, नंद किशोर चौधरी ने कहा कि “अद्वितीय सामाजिक एवं आर्थिक मॉडल द्वारा कालीन उद्योग में बदलाव लाने के बाद, हमारा अगला कदम किसान और उपभोक्ता के सम्‍बंध बनने के तरीके को बदलना है। मैं आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना चाहता हूं, जहां हम किसानों को सशक्त बनाएंगे और बाजार से सीधे लिंकेज बनाने के बारे में उनको जागरूक करेंगे ताकि वे सीधे उपभोक्ता को जैविक उत्पाद बेच सकें। इसके साथ ही, मैं किसानों की चेतना में वृद्धि करना चाहता हूं ताकि वे जागरूक उपभोक्ताओं की जरूरतों की पूर्ति कर सकें।

जयपुर रग्‍स के बारे में:

जयपुर रग्स हजारों सशक्त बुनकरों की कहानी है।

अपने समुदायों की जीविका के साथ मौजूदा डिजाइनों को एकीकृत करते हुए, जयपुर रग्स बुनकरों की कला को सीधे घरों में पहुंचाता है और न केवल एक कालीन की आपूर्ति करता है, बल्कि एक परिवार का आशीर्वाद भी प्राप्‍त करता है। जयपुर रग्स ग्रामीण भारत में बनाये गये पारम्परिक और व्‍यापक रूप से चयन करके सचेत रूप से तैयार किये गये हस्तनिर्मित कालीन उपलब्‍ध कराता है।

जयपुर रग्स भारत के 600 गांवों में लगभग 40,000 कारीगरों के साथ काम करता है, जो उनके परिवारों को घर पर ही स्थायी आजीविका प्रदान करता है। हस्तनिर्मित कालीनों की कालातीत कला की संपूर्णता प्रदान करते हुए, हमारे प्रत्येक रग यानी गलीचे पर 180लोग अपने कौशल का योगदान देते हैं। हम बीकानेर की पुराने किस्‍म के ‘चरखे’ पर ही सूत कातने वाली 2500 से अधिक महिलाओं यानी यार्न स्पिनरों के साथ काम करते हैं, और यह हम सचेत रूप से करते हैं ताकि हाथ से काम करने वाले सैकड़ों स्पिनरों को मशीनों के कारण रोजगार से वंचित न होना पड़े।

हमारे डिजाइन स्‍थानीय रहवासी क्षेत्रों और बुद्धिमत्‍तापूर्ण कार्यक्षमता की समझ के साथ तैयार किये जाते हैं। जयपुर रग्स का उपभोक्ता न केवल अपनी पसंद की एक कलाकृति का मालिक बनता है, बल्कि बुनाई की प्रत्येक गाँठ में रची-बसी बुनकरों की भावनाओं से भी जुड़ता है। प्रत्येक गलीचा शहर में अपने बुनकर की कहानी लेकर आता है और जमीनी स्तर के जीवन को शहरी उपभोक्ताओं के साथ जोड़ता है।

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