अंतिम श्वांस तक दीये की भांति जीए शहीद हेमू कालानी – रेवंतसिंह राजपुरोहित

बीकानेर 21/1/2019 । व्यास काॅलोनी में आकाशवाणी के क्वार्टरों के पास का क्षेत्र सोमवार की देर शाम तक सिंधी देश भक्ति गीतों से गुंजायमान रहा। वहां स्थित शहीद हेमू कालानी सर्किल को साड़ियों और फूल मालाओं से सजा देख आते जाते लोग ठिठक रहे थे साथ ही समाज के लोगों को वहां पर दीपमाला सजाते देख शहीद हेमू कालानी के बारे में पूरी जानकारी लेते हुए शहीद को नमन भी कर रहे थे। यह विशेष आयोजन इसलिए हुआ कि भारतीय सिंधु सभा के तत्वावधान एवं समाजसेवी रेवंतसिंह राजपुरोहित और वयोवृद्ध मोहनलाल आहूजा के सान्निध्य में हेमू कालानी सर्किल व्यास कालोनी में शहीद कालानी के बलिदान दिवस 21 जनवरी की शाम को दीपमाला सजा कर सिंध के सपूत युवा हेमू कालानी की शहादत को सलाम किया गया। युवाओं ने मिलकर सर्किल को साड़ियों व फूलमालाओं से सजाया जिसको सराहा गया। राजपुरोहित ने कहा कि हेमू कालानी अंतिम श्वांस तक दीये की भांति जीए और सिंधु-भारत को स्वतंत्र करवाने के लिए हंसते-हंसते अपना बलिदान दिया । आहूजा ने सिंध में जीए अपने युवावस्था के जीवन के अनसुने प्रसंगों को साझा किया । अतिथियों सहित किशन सदारगानी, कमलेश सत्यानी, टीकम पारवानी, लक्ष्मण किशनानी, गणेश सदारगानी, मानसिंह मामनानी ने अमर शहीद हेमू कालानी के बलिदान को भारत की स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख अध्याय बताया। आनन्द सिंह जी बिट्टू, इतिहास प्रकलन समिति सदस्य,, श्याम आहूजा, राजेश खेसवानी, धर्मेन्द्र बलानी, अनिल डेम्बला , तेज़ प्रकाश वलिरमानी, अशोक खत्री , केके आहूजा, जगदीश गंगवानी, कन्हैया लाल वलिरमानी आदि मौजूद गणमान्यों ने शहीद की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर युवा शहीद हेमू को श्रद्धांजलि दी। सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर बीकानेर में सिंधी भाषा, साहित्य एवं कला-संस्कृति के प्रचार प्रसार में महिलाओं व बालकों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी एवं इस वर्ग को सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। सिंधी साहित्यकार मोहन थानवी ने अपने भेजे लिखित संदेश में बीकानेर में सिंधी समाज के विकास के लिए सिंधु भवन एवं पुस्तकालय निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। श्याम आहूजा व किशन सदारंगानी ने हेमू कालानी जैसे शहीदों के बारे में समाज के घर घर पहुंचकर बालकों को जानकारी देने के महती कार्य को करने पर सभी युवाओं को सराहा और सिंधियत के संवर्द्धन-संरक्षण कार्य में निरंतर जुटे रहने को कहा।

-✍️ मोहन थानवी ( साहित्यिक-सांस्कृतिक मंत्री भासिंस बीकानेर)

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