तीन सौ से अधिक बच्चों ने गटकी स्वर्णप्राशन की दवा

बीकानेर, 21 जनवरी। पुष्य नक्षत्र के अवसर पर सोमवार को लक्ष्मीनाथ मंदिर स्थित सत्संग भवन में 300 से अधिक बच्चों ने स्वर्णप्राशन की दवा ली। संस्कृति आर्य गुरुकुलम-राजकोट, हमारा उन्नति संस्थान और आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान् में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मधुसूदन व्यास ने स्वर्णप्राशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शून्य से 16 वर्ष तक के बच्चों को अलग-अलग मात्रा के अनुसार यह दवा दी जाती है। हिमांशु व्यास ने बताया कि ऐलोपैथी में जिस प्रकार टीकाकरण होता है, उसी प्रकार आयुर्वेद में स्वर्णप्राशन होता है। उन्होंने बताया कि स्वर्ण भस्म को शुद्ध करते हुए देशी गाय का घी, शहद, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शंखपुष्पी और वचा आदि का उपयोग स्वर्णप्राशन बनाने के लिए किया जाता है। केसरी चंद पुरोहित ने बताया कि संस्था द्वारा लगातार छठी बार यह दवा निःशुल्क पिलाई गई है। इसके लिए आॅनलाइन आवेदन लिए गए। नरेन्द्र सुथार ने बताया कि आमजन में धीरे-धीरे स्वर्णप्राशन के प्रति जागरुकता आई है।

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