राजस्थान में 1 करोड़ से अधिक लोगों को डायबिटिज की सम्भावना

राईट टू हेल्थ में डायबिटिज को भी शामिल करने का सुझाव

जयपुर । दिनांक 2 मार्च: राजस्थान में करीब 17 प्रतिशत यानि एक करोड़ लोगो को डाइबिटिस होने की सम्भावना बताई गयी है, यहाँ वर्तमान में करीब 37 लाख लोग डाइबिटीज से ग्रस्त है शहरों की अपेक्षा गावों में डाइबिटीज के मरीज काम है उक्त जानकारी यहाँ चल रही चार दिवसीय डाइबिटीज इंडिया – 2019 में बताई गयी है
जसलोक अस्पताल मुंबई में कार्यरत और डाइबिटीज इंडिया – 2019 के प्रेजिडेंट डॉ एस. एम. सादिकोट ने कहा की आम जनता को डाइबिटीज ले लड़ना होगा स भारत में 7 करोड़ से अधिक लोगो को डाइबिटीज है, इसमें से अधिकांश को इसका अनुमान भी नहीं है। उन्होंने कहा की डाइबिटीज से ग्रसित लोगो की संख्या भारत में चीन से भी अधिक हो जाएगी। डॉ एस. एम. सादिकोट ने कहा की प्राइमरी हेल्थ केयर, डॉकर्स व् आम लोगों में जागरूकता की जरुरत है। उन्होंने बताया की डाइबिटिज से अंधता यानि ब्लाइंडनेस का खतरा बढ़ता जा रहा है डॉ एस. एम. सादिकोट ने कहा की हर व्यक्ति अपनी कमर का नाम लेकर पुरुष 90 से.मि. व् महिला 80 से.मि. डाइबिटीज के होने का अंदाजा लगा सकता है।
अहमदाबाद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बंसी साबू का भी मानना था की कमर कम करके डाइबिटीज पर कंट्रोल किया जा सकता है। वैज्ञानिक सत्रों के अध्यक्ष डॉ अरविन्द गुप्ता ने बताया की व्यक्ति को ब्रेकफास्ट कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योकि इसकी वजह से भी लोगो में 40 प्रतिशत डाइबिटीज होने की सम्भावना कम हो सकती है।
डॉ गुप्ता ने बताया की समोसा इंडियन ‘‘बम’’ से कम नहीं है, एक समोसा से 150 कैलोरी बढ़ जाती है, जिसको खपाने के लिए 5 की. मि. पैदल चलने की जरुरत पड़ती है।
कॉन्फ्रेंस के दौरान राजस्थान में ‘‘राइट टू हेल्थ’’ के तहत डाइबिटीज को शामिल करके आमजन को लाभान्वित करने का भी सुझाव दिया गया। इस सन्दर्भ में केरल सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी गयी।
केरल स्थित ज्योतिदेव डाइबिटीज एंड रिसर्च सेंटर के डॉ ज्योतिदेव ने बताया की नयी तकनीक के बारे में चिकित्सको को भी जानकारी नहीं है, जिससे डाइबिटीज से ग्रसित मरीजों की मृत्यु के आकड़े बढ़ रहे है उन्होंने बताया की टाइप-1 डाइबिटीज से ग्रसित बच्चो के लिए इन्सुलिन पंप अधिक लाभदायक होता है।
एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट, मुंबई के डॉ मनोज चावला ने बताया की इन्सुलिन लेने की जरुरत तब पड़ती है जब गोलियों से फायदा ना हो।
पी.जी.आई, चंडीगढ़ के डॉ अनिल भंसाली ने डाइबिटीज के अत्यनधिक इलाज की जानकारी देते हुए बताया की पायलट रिसर्च परियोजना के आधार पर स्टेम सेल्स थेरेपी को शामिल किया गया है जिसकी वजह से ग्लूकोज कंट्रोल होना संभव है उन्होंने कहा की सज्कारी अस्पताल होने की वजह से यहाँ स्टेम सेल्स थेरेपी कीमत 20 हजार रूपये के लगभग है।
जयपुर के डॉ प्रकाश केसवानी ने बच्चो में डाइबिटीज बढ़ने के खतरों को बताते हुए कहा की बच्चो में मानसिक तनाव भी एक बड़ा कारण है साथ ही जनक फूड के बढ़ते प्रचलन और कम शारीरक श्रम से भी डाइबिटीज का खतरा बना रहता है।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें:-

कल्याण सिंह कोठारी
मिडिया सलाहकार
94140 47744

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