राग-द्वेष का त्याग करें-साध्वीश्री शशि प्रभाश्रीजी

बीकानेर, 16 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वी प्रवर्तिनी शशि प्रभाश्रीजी ने मंगलवार को बागड़ी मोहल्ले की ढढ््ढा कोटड़ी में प्रवचन में कहा कि राग-द्वेष का त्याग कर वीरराग वाणी का श्रवण, स्मरण व मनन, चिंतन कर श्रद्धा व समर्पण से अपने जीवन की शक्तियों को उजागर करें । वीत राग परमात्मा की वाणी को जीवन आचरण में उतारें।
उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा मूलमंत्र ’’राग-द्वेष को हटाकर जीवन को सहज, सरल व समतामय बनाना है। वर्तमान जीवन की अच्छाईयां, बुराइयां, कुसंस्कार व सुसंस्कार और धर्म व पाप कर्म अनेक भवों तक प्रभावी रहते है। श्रावक-श्राविकाओं को जीवन में बुराइयों व कुसंस्कारों का त्याग कर धर्म आराधना करनी चाहिए। देव, गुरु व धर्म के प्रति श्रद्धा, विश्वास व समर्पण रखने से जीवन उज्जवल होता है सही दिशा व मार्ग मिलता है। गुरु के अभाव में रावण भी अपना सपना पूर्ण नही ंकर सका। शिष्य गौतम स्वामी व एकलव्य जैसा होना चाहिए। गौतम स्वामी की गरिमा व महिमा भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा व समर्पण के कारण अनादि काल से वे पूजनीय, लब्धियों के निधान व गंुुणों के सागर के रूप में सम्मानीय व पूजनीय है। गौतम स्वामी के 50 हजार शिष्य केवल ज्ञानी बने । उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि विश्व शांति व मैत्री और सर्व कल्याण की भावना से शुक्रवार से शुरू होने वाले गौतम स्वामी के बेले की तपस्या में अधिकाधिक भागीदारी निभाते हुए धर्मलाभ लें।
पूर्व में साध्वीश्री सौम्यगुणाश्री ने भजन ’’नमो-नमो, गुरु ने नमो, नमो-नमो, हजार बार नमो’’ सुनाते हुए कहा कि मनुष्य को गुरु व सद्गुरु की सही परख कर जीवन में फैमिली सद्गुरु बनाना चाहिए। गुरु के प्रति श्रद्धा, निष्ठा व समर्पण रखना चाहिए। कलयुग में पाखंड़ी, भोग विलास में लिप्त तथा कथित गुरुओं से बचना चाहिए।

प्रेषक- हिमांशु सेठिया प्रचार मंत्री खरतरगच्छ युवा परिषद, बीकानेर मो.9529089035

error: Content is protected !!