260वां तेरापंथ स्थापना दिवस पर समारोह आयोजित

गंगाशहर। तेरापंथ स्थापना दिवस का समारोह मुनिश्री सुमतिकुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मंगलवार को आयोजित किया गया। प्रातःकाल गंगाशहर स्थित शान्ति निकेतन से शोभायात्रा प्रारम्भ होकर जैन मंदिर मार्ग से तेरापंथ भवन पहंुची। शोभा यात्रा में ‘तेरापंथ की क्या पहचान, एक गुरु और एक विधान’ के नारे लगाये जा रहे थे तथा ‘तेरापंथ रो भाग्य विधाता, श्रमण संघ रो सक्षम त्राता’ आदि गीत भी गा रहे थे। शोभायात्रा तेरापंथ भवन पहुंचकर समारोह में तब्दील हो गई। समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री सुमतिकुमारजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु की सत्य के प्रति आस्था के कारण तेरापंथ अस्तित्व में आया। मुनिश्री ने कहा कि उद्गम के समय बहुत कठिनाइयों का सामना आचार्य भिक्षु को करना पड़ा। प्रवास के लिए जगह सहज में प्राप्त नहीं होती थी तथा आहार भी पूरी मात्रा में नहीं मिलता था। स्थानकवासी सम्प्रदाय से अलग होने से पूर्व आचार्य भिक्षु ने अपने गुरु रघुनाथ जी को निवेदन किया था कि साधुओं की चर्या आगम अनुरूप नहीं है परन्तु उन्होंने पांचवें आरे की बात कहकर चर्या को दरकिनार करने की बात कही तो संत भीखण जी कुछ संतों के साथ संघ से अलग हो गए। फिर तेरापंथ की स्थापना आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन की गई। मुनिश्री ने कहा कि केवल मात्र तेरापंथ धर्म संघ में ही एक आचार्य के अनुशासन में संघ प्रवर्धमान है।
मुनिश्री आदित्यकुमार जी ने कहा कि हमारे भाग्य बड़े बलवान है जिससे हमें तेरापंथ मिला। हम अपने जीवन का कल्याण करने के लिए तेरापंथ के साधु बने हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी यह न सोचें कि समाज हमें क्या देता है अपितु यह सोचें कि हम समाज को क्या दे रहे हैं। मुनिश्री देवार्यकुमारजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम 260वां तेरापंथ स्थापना दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु वह होता है जो हमें ज्ञान प्रदान करता है तथा प्रेरणा देते हैं। तेरापंथ के प्रथम गुरु आचार्य भिक्षु हुए, उनका जीवन प्रेरणाओं से भरा हुआ है। मुनिश्री ने कहा कि आचार्य भिक्षु के जीवन से सफलता के अनेक गुर पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी भीखणजी आतापना का प्रयोग करते थे जिससे उनका आत्मबल बहुत मजबूत था। समारोह के शुभारम्भ में महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। समारोह में तेरापंथी सभा, महिला मंडल, युवक परिषद, किशोर मंडल, कन्या मंडल सहित समाज के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हुई।

अमरचन्द सोनी
मंत्री

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