एसकेआरएयूः विद्यार्थियों ने किया खजूर अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण

बीकानेर, 19 जुलाई। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के भारतीय कृषि प्रबंधन संस्थान (आईएबीएम) में चल रहे तीन दिवसीय ‘खजूर का उत्पादन और मूल्य संवर्धन’ विषयक प्रशिक्षण के दूसरे दिन शुक्रवार को विद्यार्थियों ने खजूर अनुसंधान केन्द्र का अवलोकन किया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि विद्यार्थियों को खजूर की विभिन्न किस्मों, इनके फल पकाव के समय एवं उपयोगिता के बारे में बताया गया। डाॅ. नरेन्द्र पारीक ने बताया कि यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत आयोजित हो रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को खजूर के मूल्य सवंर्धित उत्पादों की जानकारी देना तथा इनके विक्रय की संभावनाओं से रूबरू करवाना है। प्रायोगिक कार्य के तहत खजूर का छुहारा और जैम बनाने का प्रशिक्षण डाॅ. आर. के. नारोलिया एवं डाॅ. सुशील कुमार द्वारा दिया गया। खजूर में कीट एवं बीमारियों के प्रकोप एवं इससे बचाव संबंधी व्याख्यान डाॅ. ए. आर. नकवी ने दिया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को समाप्त होगा।
कम्प्यूनिटी साइंस की छात्राओं ने जानी गतिविधियां
गृह विज्ञान महाविद्यालय की कम्प्यूनिटी साइंस की बीएससी आॅनर्स प्रथम वर्ष की छात्राओं ने बीछवाल स्थित कृषि यंत्र एवं मशीनरी परीक्षण तथा प्रशिक्षण केन्द्र का अवलोकन किया। केन्द्र प्रभारी इंजी. विपिन लढ्ढा ने उन्हें मशीनरी प्रशिक्षण प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र, देशभर के 31 तथा राज्य के दो केन्द्रों में से एक है। अब तक यहां से प्रमाणित 432 प्रकार के कृषि यंत्र केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डाॅ. दीपाली धवन ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
आईएबीएम के विद्यार्थियों ने किया नर्सरी का अवलोकन
उधर, भारतीय कृषि प्रबंधन संस्थान के विद्यार्थियों ने एसकेआरएयू की नर्सरी का अवलोकन किया। भू-सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशालय के निदेशक प्रो. सुभाष चंद्र ने जल बचत के लिए बूंद-बूंद तथा ड्रिप सिंचाई पद्धति के बारे में बताया। उन्होंने नर्सरी द्वारा तैयार फलदार, छायादार, अलंकृत तथा औषधीय पौधों एवं इनके विक्रय प्रणाली की जानकारी दी। बागवानी सलाहकार डाॅ. इंद्रमोहन वर्मा ने नर्सरी द्वारा लगभग सवा लाख पौधे तैयार किए गए। यह पौधे आमजन को उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने जैव विविधता, नेट तथा पाॅली हाउस, बतख-मछली तथा खरगोश पालन के बारे में बताया। साथ ही मटका सिंचाई प्रणाली की उपयोगिता एवं आज के दौर में इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
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एसकेआरएयूः मूंगफली से संबंधित संस्थागत प्रशिक्षण आयोजित
बीकानेर, 19 जुलाई। स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा अखिल भारतीय समन्वित मूंगफली अनुसंधान परियोजना के तहत संस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
क्षेत्रीय निदेशक (अनुसंधान) प्रो. प्रकाश सिंह शेखावत ने किसानों को आदानों के समन्वित उपयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे लागत में कमी आएगी। डाॅ. शेखावत ने कहा कि मूंगफली के पीलापन को दूर करने के लिए हरा कसीस जैसे सस्ते व किफायती आदान का उपयोग करना चाहिए, जिससे अधिक लाभ लिया जा सके। डाॅ. एस. पी. सिंह ने खरपतवारों से होने वाले नुकसान तथा नियंत्रण की विधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खरपतवार नियंत्रण के लिए 40 ग्राम क्युजालफोप प्रति हेक्टेयर (800 मिली. व्यवसायिक उत्पाद) काम मे लिया जाए। साथ ही सिंचाई जल को बचाकर रखने का अनुरोध भी किया।
डाॅ. बी. डी. एस. नाथावत ने मूंगफली में होने वाले विभिन्न कीट व रोगों के बारे में बताया तथा कहा कि जहां जड़ गलन की समस्या है, वहां 6 किलोग्राम म्यूरेट आॅफ पोटाश या जिंक सल्फेट 33 चार किलोग्राम प्रति बीघा का प्रयोग करना चाहिए। टिक्का या पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए मेकोजेब 0.2 फीसदी घोल का छिड़काव करें व जरूरत के हिसाब से 10 से 15 दिनों के अंतर पर छिड़काव दोहराया जाए। सुशीला खंगारोत ने सफेद-लट नियंत्रण के बारे में बताया तथा कहा कि मानसून कि पहली अच्छी बरसात के बाद, जिस दिन भृंग उड़ना चालू हो उस दिन चयनित पेड़ो पर 2 मिली. प्रति लीटर इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करके उन्ही पेड़ो पर इनीसोल से संतृप्त रुएं लगाने चाहिए। जो लगातार 5 दिन तक बदलकर लगाये। यदि इस अवस्था पर चूक हो जाये तो सफेद लट के नियंत्रण हेतु बरसात के 18-20 दिन बाद 75 मिली. इमिडाक्लोप्रिड प्रति बीघा की दर से छिड़कने से ग्रब का अच्छी प्रकार से नियंत्रण होता है। प्रशिक्षण में देराजसर, चानी व अक्कासर के 40 किसानों ने भाग लिया। संचालन व आदान-वितरण सीताराम कुमावत व राजेन्द्र जुन्जाड़िया ने किया।

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