दो दिन नेट बन्द क्या हुआ,परंपरागत खेल याद आ गए सबको

जैसलमेर संचार क्रांति ने राजस्थान ही नही देश भरके लोगो को मोबाइल,कम्प्यूटर,लेपटॉप में उलझा के रख दिया।।नेट के चक्कर मे स्थानीय लोग अपनी परंपरागत और सांस्कृतिक खेलो के प्रति मोहभंग कर बेठे।।अपने बचत समय को व्हाटसप सहित फेसबुक,इंस्टाग्राम में खपाते खपाते पारंपरिक खेलो को भूल गए।।हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या पर दिए फैसले के बाद प्रशासन द्वारा एहतियात के तौर पर दो दिन नेट बन्द कर दिया।नेट बन्द होने से स्थानीय लोगो का टाइम पास करना मुश्किल हो गया ऐसे में शहर के कई मोहल्लों में लोगो को अपने पुराने टाइम पास खेलो मसलन चर भर ,चौपड़, शतरंज,आदि की खेल सामग्री को झाड़ पौंछ कर बाहर निकल समूहों के रूप में खेलते देखा।कई सालों बाद स्वर्ण नगरी के मोहल्लों के ओटो (चबूतरा) पर समूहों को स्थानीय परंपरागत खेल खेलते देखा।।जब से नेट आया तब से चौपाले लगनी बन्द हो गई तो परंपरागत खेलो को भी लोग भूलने लग गए थे।कोई वक़्त था जब किले की हवा प्रोल में बैठकर कई मोहलो के लोग अपने अपने समूह में बैठ चर भर,शतरंज, चौपड़ आदि परंपरागत खेल बचत समय मे खेलते।दो दिन नेट बन्द रहने पर एक बार फिर वर्षों बाद यह दृश्य दिखाई दिया जो शकुन भरा था।।सोसल मीडिया पर अब लोगो ने मुहीम छेड़ दी हे की सप्ताह में एक दिन नेट बंद रखा जाए ताकि सामाजिक सरोकार निभा सके ,युवा वर्ग बड़ी तेजी से इस मेसेज को वायरल कर समर्थन मांग रहे हैं ,नेट और सोसल मिडिया के चलते लोगो के सामाजिक दायरे सिमित हो गए ,दो दिन नेट बंद रहने के कारन लोगो को को सामाजिक सरोकार निभाने का पूरा वक़्त मिल गया ,जैसलमेर में कोई वक़्त चौपड़ और चर भर जैसे खेल बड़े चाव के साथ खेले जाते थे,संचार क्रांति सोसल मिडिया आने के बाद लोगो परम्परागत खेलो से दूर होते गए ,

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