विवेकशून्य ही बना रहा शिक्षा निदेशालय कला छात्रों के प्रति

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स मे चल रहे कक्षाओं के अनिश्चितकालीन बहिष्कार के 21वें दिन प्राचार्या आशा बगोटिया को फिर से इस कॉलेज में नियुक्ति देने के विरोध में और आज हटाए गए अन्य अयोग्य शिक्षकों को भी वापस इसी संस्थान में नियुक्ति दे दी, इसका पता चलते ही क्रोधित छात्रों बहुत ही निराश हो गए और उनके क्रोध के उग्र रूप ले लिया स इन क्रोधित विद्यार्थियों हिम्मत गायरी, मक्खन सिंह गुर्जर और मुकेश कुमार ने महाविद्यालय की छत से कूद कर अपनी जान देने को उतारू हो गये, बड़ी मुश्किल से सभी साथियो द्वारा समझा-बुझा कर उन्हें नीचे लाया गया।
कला महाविद्यालय की छात्राएं कृतिका सोनी, आरती सोनी, नम्रता कंवर, शेफाली छिपा ज्योति कुमावत द्वारा लगातार २ः30 घण्टे तक अपनी परफोमिंग आर्ट के द्वारा विरोध जताया जिसमें उन्होंने खुद को काले कपड़े पहन कर और रंगीन ऊनी धागो को अपने शरीर पर लपेटकर ये दिखाया की अपनी तूलिका और रंगो से अपनी भावनाओ को अभिव्यक्त करने वाले हम कला विद्यार्थियों का भविष्य कितना अंधकारमय हो गया है।
निदेशालय के आयुक्त रुप्रदीपकुमारबोरड़ तो तब भी अपने आलिशान दफ्तर में बैठे चिलम खींचते रहे चुकी उन्होंने कल ही छात्रों से कह दिया था की ‘‘रुतुम्हारा भविष्य खराब होता है तो हो, हम कुछ नहीं कर सकते तुम्हे जो करना है कर लो, हमारे पास जो सरकारी आदेश है उसी के तहत हम अपना काम कर रहे है स यहाँ सवाल खड़ा होता है की आयुक्त को क्या सरकार ने आदेश दिए थे आशा बगोटिया को वापस इसी जगह प्राचार्या बना कर भेजने के लिए ???
अयोग्य प्राचार्य आशा बगोटिया से गुस्साए विद्यार्थी उनसे बात करने गये, लेकिन उन्होंने विद्यार्थियों की एक भी बात नही सुनी और कहा कि रुदेखो मुझे तुम्हारी पढ़ाई और भविष्य से कोई मतलब नही है, निदेशालय ने मुझे फिर से नियुक्त किया है बस, तुम्हे जो करना है करो स ये कहते हुए आशा बगोटिया सिर्फ यही नही रुकी वो बच्चो पर हाथ उठाने को उतारू हो गयी और महाविद्यालय की छात्रा आरती सोनी को जोर से धक्का मार दिया जिससे नीचे गिरी छात्रा आरती सोनी बेहोश हो गयी और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया स फिर पुलिस का जाप्ता बुलाया बच्चो को डरने और भगाने के लिए।
पुलिस जाप्ते को परिसर में देख छात्रों में ऐसा दर बैठ गया की दर के मारे रोने लगे घबराहट और अपने भविष्य की चिंता में दुबे कई छात्र – छात्राये बेहोश हो गए जिन्हे नजदीकी जयपुरिया अस्पताल ले जाया कर उनका उपचार करवाया गया।
बच्चो की ये हालत देख कर बहुत दुख हुआ कि इन्होने ऐसा क्या गलत माँगा है सिर्फ योग्य शिक्षक क्या ये इतनी गलत मांग है जो शिक्षा आयुक्त इन बच्चो को पुलिस के हवाले करे ?? क्या इतनी सी मांग को दबाने के लिए पुलिस को यहाँ आना चाहिए था ???
लेकिन सबसे दुखद बात ये है कि इतना सब कुछ होने पर भी गांधीवादी मुख्यमंत्री जी की सरकार भी राज्य के इस एकमात्र ललित कला महाविद्यालय को बचाने के लिए आगे नही आ रही है।
माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी मुझे लगता है की अब इस मामले में आपको ही हस्तक्षेप कर इस संस्था के लिए इन अयोग्य शिक्षकों एवं शिक्षा निदेशालय के आयुक्त को हटाकर स्वछ नियति से कला छात्रों के शिक्षा अधिकार की रक्षा कर इनका भविष्य उज्वल करे और साथ ही 150 वर्षो पुराणी इस कला संस्था को भी बचाये।

error: Content is protected !!