कॉमरेड नूरा काठात का निधन एक अपूरणीय क्षति

*श्रीधर केसरी/रतन लाल दगदी*
राजस्थान विधान सभा मे वर्ष 1977 में 200 तारो के बीच प्रकाश पुंज की तरह चमकने वाले कॉमरेड नूरा काठात का निधन एक अपूरणीय क्षति। कॉमरेड नूरा काठात का कल मंगलवार 31 दिसम्बर की रात्रि को निधन हो गया था। जिनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव ग्राम जुंझारो का बाडिया में किया गया। कॉमरेड नूरा काठात का जन्म ग्राम जुंझारो का बाडिया सन 1928 में गरीब परिवार में हुआ था। शायद यही कारण रहा कि वे हमेशा गरीबों मजदूरो के हितैषी रहे। , आमजन के लाडले थे, और मुफलिसी और गरीबी से उठे हुऐ महान लीडर थे, जिन्होंने मील मजदूरी करते हुए लोगों का नेतृत्व करने का गुर सीखा और 1977 में मील में मजदूरी करते हुए राजस्थान की विधानसभा में मसूदा से विधायक बने। ऐसे कर्मशील परिश्रमी और जमीन से जुड़े नेता थे कॉमरेड नूरा काठात । कॉमरेड नूरा काठात ना केवल श्रमिक नेता थे बल्कि एक कुशल कम्युनिस्ट नेता के रूप में आपने संपूर्ण राजस्थान में लाल झंडे का परचम फेहराया था, चीता -मेहरात (काठात) समाज के आप 1993 से 2001 तक सदर भी रहे ।मुझे कॉमरेड नूरा काठात के साथ रहने का लम्बे समय तक रहने का शौभाग्य प्राप्त हुआ।कॉमरेड नूरा काठात के वे शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं जिसमे उन्होंने उनके पुत्रों से भी अधिक मेरे पर विश्वास करने के लिए कहा था। कॉमरेड नूरा काठात के निधन से चीता मेहरात काठात समाज ही नही हरेक वर्ग को अपूरणीय क्षति हुई हैं। बुधवार को उनके जनाजे में कम्युनिष्ट पार्टी जे राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष तारा सिंह सिद्धू, कॉमरेड डी के छंगाणी, कॉमरेड जगदीश, मसूदा विधायक राकेश पारीक, पूर्व मन्त्री सोहन सिंह, पँचायत समिति प्रधान नारायण सिंह रावत, दिनेश शर्मा, सहित हजारों लोगों ने भाग लिया। ऐसे महान व्यक्तित्व का हमारे बीच में से जाना वाकई अपूरणीय क्षति हुई हैं । ऐसी सख्शियत को नमन।

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