अनूठी परंपरा सरहद पर मुस्लिम महिलाएं आज भी सुहाग का प्रतिक चूडा पहनती हैं

चंदन सिंह भाटी
जैसलमेर । भारत पकिस्तान की अन्तराष्ट्रीय सरहद पर बसा जैसलमेर जिला सांप्रदायिक सद्भावना की मिशाल कायम कर रहा है ,पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिलों और पकिस्तान के सिंध प्रान्त के बीच रोटी ,बेटी का रिश्ता है । सरहदी गाँवो में रह रहे सिन्धी मुस्लमान परिवारों में आज भी हिन्दू संस्कृति ,रीती रिवाजों और परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है । विभाजन से पहले जहाँ हिन्दू मुस्लिम एक साथ रह रहे थे, वही दोनों समुदायों की परम्परा व तथा संस्कृति में ज्यादा फर्क नहीं था। विभाजन के बाद भारतीय सरहद में रह गए सिन्धी मुस्लिम परिवारों में कई रीती रिवाज हिन्दुओ की भांति है, तो कई परम्पराए भी. मुस्लिम परिवारों का पहनावा भी हिन्दू महिलाओ की तरह ही है, सबसे बड़ी बात कीजहाँ पुरे विश्व में मुस्लिम महिलाओ को श्रृंगार की वस्तुए पहनने की आज़ादी नहीं है, वंही सरहदी जिले में आज भी मुस्लिम महिलाये हिन्दू परिवारों की महिलाओ की भांति सुहाग का प्रतिक चूडा पहनती है ,चूडा सुहाग का प्रतिक माना जाता हैं ,बाड़मेर जिले के पाकिस्तानी सरहद के समीप बसे सैंकड़ो मुस्लिम बाहुल्य गांवों में मुस्लिम परिवारों में आज भी महिलाए सुहाग का प्रतिक चूडा पहन के इठलाती है । मुस्लिम परिवारों में शादी शुदा महिलाओ को सुहाग का प्रतिक चूडा पहना अनिवार्य है, शादी विवाह सगाई तीज त्योहारों पर मुस्लिम महिलाए हाथी दांत का बना चूडा पहनती है।धनी परिवार की मुस्लिम महिलाएं चूड़े को चांदी में मढ़वा के भी पहनती हैं , सामान्यतः मुस्लिम परिवार की महिलाये प्लास्टिक का चूडा ही पहनती है, इन मुस्लिम परिवारों में चूड़े को लाल रंग से पहने से पहले रंगा जाता है , कई महिलाए बिना रंगे सफ़ेद चूडा भी पहनती है ,विश्व भर में कंही भी मुस्लिम महिलाए चूडा नहीं पहनती मगर पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर ,जैसलमेर जिलो में बसे लाखो मुस्लिम परिवारों में महिलाए चूडा पहनती है ,देवीकोट गाँव निवासी इतिया ने बताया की उनके परिवार में कई पीढियों से महिलाए चूडा पहनती आ रही है, चूड़े को सुहाग का प्रतिक माना जाता है, अपने पतियों को अजर अमर रखने के लिए तथा उन पर कोई जीवन संकट नहीं आ जाए इसीलिए चूडा पहनती है । एक अन्य मुस्लिम महिला सक्खी ने बताया की शुरू से हम लोग हिन्दू परिवारों के बीच रहे है । सिंध में साहू {राजपूत }तथा मेघवाल परिवारों के बीच रहे आपस में भाई चारा था,तीज त्योहारों पर या शादी विवाह जैसे समारोह में भी आना जाना था,उस वक़्त हिन्दू मुस्लिम वाली कोई बात नहीं थी, हां सभी अपनी मर्यादा में रहते थे ,हिन्दू मुस्लिम में कोई फर्क नहीं लगता। आज भी हमने उसी परंपरा को अपना रखा है । खाली चूडा ही क्यों हम लोगो का पहनावा भी हिन्दू परिवारों की तरह है । खान पान रीती रिवाज़ सब कुछ एक जैसा ,बहरहाल पुरे देश में जहाँ कट्टरपंथी सांप्रदायिक भावनाए भड़का कर हिन्दू मुस्लिमो के बीच खाई पैदा कर रहे हें वही सरहद पर अमन का इतना असर है कि हिन्दू मुस्लिम में कोई फर्क नज़र नहीं आता ,

ये आभूषण पहनती हे
अमूमन देश में मुस्लिम महिलाएं आभूषण नहीं पहनती ,मगर पश्चिमी राजस्थान के सरहदी इलाको में मुस्लिम महिलाए अक्सर चांदी के भारी भरकम आभीषन बड़े शौक से परम्परागत रूप से ,पहनती हैं। नाक में नथ ,कान में बाले ,गले हंसली, सहित कई पारम्परिक आभूषण सामान्यतः पहनती हैं

हिन्दू देवी देवताओ की पूजा
सरहदी गांवों के सिंधी मुस्लिम स्थानीय हिन्दू लोक देवी देवताओ के प्रति न केवल पूरी आस्था रखते हैं बल्कि मंदिरो में जाकर पूजा अर्चना भी करते हैं ,बच्चो की जात भी करते हैं,मुस्लिम तनोट माता ,लोक देवता खेतपाल को पूरी श्रद्धा के साथ पूजते हैं ,हिंगलाज माता के प्रति भी इनकी प्रगाढ़ आस्था हैं ,इसी समुदाय के राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद ने भगवन शिव का अभिषेक करवाया वहीं शाले मोहम्मद मंदिरो में पूजा अर्चना करते हैं

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