जयपुर: चौक चौराहों पर राजनीतिक दंगलबाजी और पैंतरेबाजी से दूर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से रंगे राजस्थान में बीते साल, प्रतिपक्ष अमूमन सोता रहा और कांग्रेसनीत सरकार चैन की बंसी बजाती रही। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जहां पूरे साल प्रतिपक्ष पर विपक्ष का धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाते रहे वहीं दूसरी ओर मुख्य प्रतिपक्ष की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी अपने ही घर में चल रहे उठा पटक के खेल में उलझी रही।
गहलोत ने प्रतिपक्ष के आरोप पर कहा, ‘‘प्रतिपक्ष का काम सरकार की कमियां उजागर कर जनता को लाभ पहुंचाना होता है, लेकिन प्रतिपक्षी भाजपा को अपने झगड़ों से फुर्सत मिले तो जनता का ध्यान आए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष का पता नहीं है, वे देश में हैं या विदेश में। उनकी पार्टी वाले खुद एक दूसरे से पूछते नजर आते हैं। नेता प्रतिपक्ष के बयान जरूर आ जाते हैं, लेकिन यह बयान जयपुर से आए, दिल्ली से या फिर विदेश से, इस बारे में पार्टी वाले खुद भी नहीं जानते। पार्टी खुद उनको ढूंढ रही है, जिस पार्टी के नेता का यह हाल हो उसे जनता की याद कहां से आएगी। इस बारे में मुझे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है, जनता और उनकी पार्टी वाले खुद समझते हैं।’’