गहलोत ने स्व. जोशी को श्रद्धासुमन अर्पित किये

जयपुर। मुख्यमंत्राी श्री अशोक गहलोत ने सोमवार को विधानसभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्राी स्व. हरिदेव जोशी की जयन्ती पर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। स्व. जोशी को सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा, पूर्व विधायक श्री नवरंग सिंह, श्री संयम लोढा, विशेषाधिकारी श्री प्रकाश चन्द्र पिछोलिया सहित विधानसभा के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी पुष्प चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि दी। स्व. जोशी के सुपुत्रा श्री दिनेश जोशी और उनकी पुत्रावधु ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।
उल्लेखनीय है कि स्व. जोशी राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्राी रहे। स्व. जोशी असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद पर भी रहे। श्री जोशी का निधन 28 मार्च 1995 को मुम्बई में हुआ। स्व. जोशी ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत 1952 में की और वे लगातार 10 बार विधायक के रूप में चुने गये। स्व. जोशी 1957 से 1963 तक विधानसभा में मुख्य सचेतक तथा 1957 से 1965 तक विधानसभा की जनलेखा समिति के अध्यक्ष भी रहे।

राजस्थान रत्न से सम्मानित विभूतियों का योगदान प्रेरणादायी
जयपुर। मुख्यमंत्राी श्री अशोक गहलोत ने सोमवार को यहां जवाहर कला केन्द्र में राजस्थान रत्न सम्मान समारोह में ‘राजस्थान रत्न‘ से सम्मानित सभी विभूतियों एवं उनके परिजनों से मुलाकात की तथा प्रदेश की लोककला, साहित्य, संगीत एवं संस्कृति के क्षेत्रा में इनके अविस्मरणीय योगदान को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बताया।
समारोह में सम्मानित सभी विभूतियों एवं उनके परिजनों ने प्रदेश के मान-सम्मान में अभिवृद्धि करने की दिशा में मुख्यमंत्राी की इस नई पहल की सराहना की तथा उनके प्रति साधुवाद ज्ञापित किया।
श्री गहलोत ने वयोवृद्ध लेखिका श्रीमती लक्ष्मी कुमारी चंूडावत एवं वयोवृद्ध लेखक श्री विजयदान देथा से मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली तथा उनके स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की मंगल कामना की। मुख्यमंत्राी लोककला मर्मज्ञ स्व. कोमल कोठारी की धर्मपत्नी श्रीमती इंदिरा कोठारी तथा अन्य विभूतियों एवं उनके परिजनों से भी बड़ी आत्मीयता से मिले।
इस अवसर पर मुख्यमंत्राी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में एक से बढ़कर एक साहित्यकार, कलाकार एवं संगीतज्ञ हुए हैं जिन्हांेने अपना पूरा जीवन प्रदेश की लोककलाओं, लोकसंगीत एवं राजस्थानी साहित्य के संवर्द्धन के लिए समर्पित कर दिया। हम चाहेंगे कि ऐसी विभूतियों को प्रतिवर्ष ऐसा अवार्ड मिलता रहे। इसके चयन के लिए हम जल्दी ही कमेटी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह एक नई शुरूआत हुई है जिसका सभी ने स्वागत किया है।
उल्लेखनीय है कि श्री गहलोत ने राज्य बजट 2012-13 में इन पुरस्कारों की घोषणा की थी।

 

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