राज्य की खुशहाली के लिए सन्तुलित पर्यावरण विकास

-आभा शर्मा-
राजस्थान जैसे विशाल भू-भाग वाले प्रदेश के सामने पर्यावरण संबंधी बहुत सी चुनौतियां हैं। राज्य के चिन्तन एवं चहुंमुखी विकास के लिए इन पर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है। किसी भी प्रदेश की तरक्की एवं आमजन की खुशहाली के लिए विकास आवश्यक है पर संवेदनशील सरकारों के सामने यह बड़ा उत्तरदायित्व है कि विकास की दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों को कोई क्षति न पहुंचे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।
पर्यावरण नीति 2010
राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है और विविध खनिजों एवं विशेषताओं से संपन्न इस प्रदेश के लिए कोई भी योजना बनाते समय सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाना जरुरी है। इस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने पर्यावरण नीति 2010 को बनाते वक्त कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग, पर्यटन, ऊर्जा, मूलभूत नगरीय सेवाओं एवं आधारभूत संरचनाओं से जुड़े मुद्दों का विशेष ध्यान रखा है। इसके साथ ही सरकार ने इस बात का भी खास ख्याल रखा है कि नई पर्यावरण नीति राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 के उद्देश्यों एवं सिद्घांतों के अनुरूप हो।
विकास की राह में बढ़ते हुए पर्यावरण संरक्षण में मुद्दों के साथ संतुलन बनाये रखना सहज नहीं है। खास तौर पर राजस्थान जैसे प्रदेश में जहाँ कृषि सिंचाई पर निर्भर है और शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण की व$जह से जल की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इसके कारण राज्य के बहुत से हिस्सों में भूमिगत जल का तेजी से क्षरण हो रहा है और दुर्भाग्यवश झीलें और नम भूमियां अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। कुछ संयोग ही ऐसा है राजस्थान पर इन्द्रदेव की मेहरबानी नियमित नहीं रहती और अक्सर वर्षा आवश्यकता से कम ही होती है। यह चिन्ता का विषय है क्योंकि यदि पहले से ही सीमति संसाधन कृषि में काम आने वाले रासायनिक कीटनाशकों व औद्योगिक अपशिष्ट से प्रदूषित हो जायेंगे तो गांव और शहर में रहने वाले हर आमजन को जल संकट से जूझना पड़ेगा। इसकी गाज आर्थिक रूप से कम$जोर नागरिकों पर और अधिक पड़ेगी राजस्थान के आर्थिक विकास के लिए जल संसाधनों का संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है। जल उपलब्धता जो 1000 होनी चाहिए, ये हमारे यहां महज 780 ही है।
गहलोत सरकार द्वारा इसीलिए पर्यावरण नीति बनाते समय राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की सीमाओं और सम्पूर्ण पर्यावरण के परिदृश्य पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसका पूरा आकलन किया गया है। इस नीति में पर्यावरण के क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों और उनसे निपटने की रणनीति को भी रेखांकित किया गया है। वर्ष 2008 में सत्ता में आने के बाद से ही सरकार सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की पक्षधर रही है ताकि सब वर्ग मिलकर राज्य की पर्यावरण समस्याओं का हल ढूँढने में सहायक सिद्घ हो सकें।
राजस्थान की पर्यावरण नीति का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण संसाधनों को संरक्षित रखना और विकास करना है ताकि मानव निॢमत और प्रकृति जन्य विरासत को संजो कर रखा जा सके। सभी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों को बनाते वक्त सरकार ने पर्यावरण के हित सम्बन्धी सभी मुद्दों एवं पहलुओं को समाहित किया जाना सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही सरकार ने पर्यावरण सुशासन को और बेहतर बनाने के लिए प्रशासनिक एवं आधारभूत संरचना में आवश्यक परिवर्तन भी किये हैं।
जनजागरण के प्रयास
यह आधारभूत तथ्य है कि सरकार द्वारा प्रारंभ की गयी कोई भी मुहिम नागरिकों के व्यापक सहयोग और समर्थन के बिना सफल नहीं हो सकती। सभी अभिनव प्रयासों की सफलता के लिए जनजागृति बहुत आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण के लिए खास तौर पर आमजन की व्यापक भागीदारी और जलवायु, वन, जीव जंतु सहित पर्यावरण से जुड़े हर मुद्दे पर समझ विकसित होनी आवश्यक है।
स्वस्थ एवं स्वच्छ पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्घता के स्मरण के लिए विशेष दिवसों पर आयोजन से बेहतर और क्या हो सकता है। राज्य पर्यावरण विभाग यह सुनिश्चित करता है कि सभी तीन महत्वर्पूण दिवसों-यथा पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) एवं ओजोन संरक्षण दिवस (16 सितम्बर)-पर जन जागृति हेतु सार्थक कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। राज्य सरकार द्वारा जिला पर्यावरण समितियों को जनता में पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता का सन्देश पहुंचाने के लिए आवश्यक राशि आवंटित की जाती है।
पर्यावरण के सन्देश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए समाचार पत्रों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यमों से इन विशेष दिवसों पर सन्देश प्रसारित किये जाते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व को पुरजोर तरीके से जनता में पहुंचाने के उद्देश्य से एक रैली का आयोजन भी किया गया।
ग्लोबल वार्मिंग
यह एक सर्वज्ञात तथ्य है कि आज जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वाॢमंग बहुत ही संवेदनशील विषय हैं। जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है, राजस्थान सरकार इस भूमण्डलीय तथ्य के प्रति सजग और जागरूक है। इसलिए राज्य सरकार ने राजस्थान पर्यावरण मिशन नाम से एक कार्य योजना भी बनाई है जिससे जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वाॢमंग से राज्य की अर्थ व्यवस्था पर पडऩे वाले कुप्रभावों का आकलन कर उनसे उबरने के प्रयास किये जा सकें। राज्य में पर्यावरण मिशन की स्थापना 18 फरवरी, 2010 को की गयी ताकि विभिन्न विभागों के बीच पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर बेहतर तालमेल स्थापित किया जा सके। एक मिशन डॉक्यूमेंट भी इस उद्देश्य से 20 अप्रेल, 2010 को स्वीकृत किया गया।
स्वच्छता प्रकोष्ठ एवं उपचार सयंत्र
स्वच्छ पर्यावरण के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की है। इस प्रकोष्ठ का मुख्य उद्देश्य हानिकारक गैसों के प्रभाव से रहित वातावरण के निर्माण की परिस्थितियां विकसित करना है। राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जागरूकता समितियां भी बनायीं हैं। पाली, बाड़मेर, जोधपुर, अलवर के जिला कलेक्टर को संयुक्त उपचार संयंत्रों के पर्यवेक्षण का उत्तरदायित्व भी दिया गया है राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य एवं केंद्र सरकार को जसोल (बाड़मेर) स्थित संयुक्त उपचार संयंत्र की क्षमता 2.5 से 6.5 बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा है जिससे उपचारित जल का फिर से बेहतर उपयोग हो सके। कुछ इसी प्रकार के प्रस्ताव बालोतरा (19 क्षमता) संयत्र एवं पाली के दो संयंत्रों (पांचवी एवं छठी इकाई) के लिए भी भेजे गए हैं। इनके लिए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सब्सिडी भी प्राप्त कर ली गयी है।
राज्य सरकार ने जोधपुर में स्थापित संयंत्र को क्रमोन्नत करने के लिए भी प्रस्ताव भेजा है। इसी सन्दर्भ में राज्य सरकार ने संयंत्र की अनुमानित लागत की 25 प्रतिशत राशि वहन करने की स्वीकृति भी जारी कर दी है। इसी प्रकार सरकार द्वारा पहले ही पाली स्थित दोनों संयंत्रों की पहली किश्त के रूप में दो करोड़ रुपये उपलब्ध करवा दिए हैं।
परिसंकटमय अपशिष्ट वेस्ट ट्रेकिंग सिस्टम
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर परिसंकटमय अपशिष्ट के प्रबंधन हेतु वेस्ट ट्रेकिंग शुरू की गयी है। इसके माध्यम से उद्योगों द्वारा परिसंकटमय अपशिष्ट के परिवहन से सम्बंधित जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकती है। इसके माध्यम से यह भी मालूम किया जा सकता है कि किस-किस उद्योग द्वारा परिसंकटमय अपशिष्ट को इसके समापन के लिए मावली तहसील स्थित गुडली गाँव, जिला उदयपुर पर किस मात्रा में भेजा गया। यहाँ पर विकसित सामूहिक उपचार, भण्डारण एवं निस्तारण सुविधा (जो अक्टूबर 2006 से प्रारंभ की गयी) पर अन्य स्थानों से भेजा गया परिसंकटमय अपशिष्ट कब एवं कितनी मात्रा में प्राप्त हुआ आदि जानकारी भी इस टे्रकिंग के माध्यम से प्राप्त हो सकती है।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निष्पादन हेतु भी एक अतिरिक्त सामूहिक उपचार, भण्डारण एवं व्यय सुविधा का निर्माण झालावाड़ में कर शुरुआत की गयी है।
प्लास्टिक कैरी बैग्स पर प्रतिबन्ध
राज्य सरकार इस तथ्य से परिचित है की अवरोधित नालियों और सड़कों पर एकत्र कचरे का एक प्रमुख कारण प्लास्टिक कैरी बैग्स हैं। पर्यावरण विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी कर 21 जुलाई, 2010 से राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग्स को प्रतिबंधित घोषित कर दिया गया एवं सम्पूर्ण राज्य को प्लास्टिक कैरी बैग मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया। इस सम्बन्ध में जनजागृति पैदा करने के लिए प्लास्टिक कैरी बैग्स को ना कहें विषयक विज्ञापन भी प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से प्रसारित किये गए। अधिसूचना के क्रियान्वयन के प्रभाव दिखाई पडऩे लगे हैं एवं अब सड़कों और खुले क्षेत्रों में प्लास्टिक कैरी बैग्स बिखरे हुए नहीं पाए जाते और नालियों के अवरुद्घ होने की घटनाओं में भी कमी हुई है।
अलवर के लिए पर्यावरणीय मास्टर प्लान
अलवर जिले के विकास में पर्यावरणीय आवश्यकताओं को समाहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा अलवर जिले का पर्यावरणीय मास्टर प्लान भी स्वीकृत किया गया है।
इसके अतिरिक्त पर्यावरण विभाग द्वारा 2124.55 लाख रुपये और 1714.28 रुपये भी केंद्रीय प्रवॢतत परियोजना के तहत राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना एवं राष्ट्रीय नदी संरक्षण परियोजना के राज्यांश के रूप में पर्यावरण विभाग के माध्यम से कार्यकारी एजेंसियों को उपलब्ध कराया गया।
पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र
माउंट आबू एक पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र है और राज्य सरकार ने इस इको सेंसिटिव जोन में भवन और संनिर्माण सामग्री के विक्रय और परिवहन के विनियमन के लिए 29 जून, 2010 को एक अधिसूचना जारी की है।
प्रोत्साहन एवं पुरस्कार
राज्य सरकार ने 5 जून (पर्यावरण दिवस ) के अवसर पर वर्ष 2012 से हर वर्ष पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति, संस्था, नगर निगम, नगर परिषद्, नगर पालिका को राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार प्रदान करने का निश्चय किया है। इसके तहत 5 लाख रुपये एवं रजत कमल ट्राफी संगठन, संस्थान को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए, 3 लाख रुपये एवं रजत कमल ट्रॉफी नगर निगम, परिषद् अथवा पालिका को और 2 लाख व रजत कमल ट्रॉफी व्यक्ति विशेष को पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिए जाने की घोषणा की गयी है। इस वर्ष के पुरस्कार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक राज्य स्तरीय समारोह में प्रदान किये गए।
राजस्थान के नागरिकों के लिए एक स्वच्छ एवं हरा भरा पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा पूरा प्रयास किया जा रहा है कि पर्यावरण नीति 2010 को प्रभावी रूप से लागू किया जाये।

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