विधानसभा सचिवालय का प्रशासनिक ढांचा चरमरा

राजस्थान विधानसभा सचिवालय का प्रशासनिक ढांचा पिछले दो साल से चरमरा गया है। 20 महीने से यहां सचिव नहीं हैं, वहीं उप सचिव के चारों पद खाली हो गए हैं। सहायक सचिव के भी 18 में से 9 ही पद भरे हैं। इससे नीचे के अधिकारियों के पद भी एक-एक करके खाली होते जा रहे हैं।

विधानसभा सचिवालय कामचलाऊ व्यवस्था से चल रहा है। ना तो पदोन्नतियां हुई और ना ही नई भर्तियां। अफसरों के पास दोहरा-तिहराभार है। इसका असर सचिवालय के कामकाज पर पड़ रहा है। देश की सभी विधानसभाओं का इतिहास देखें तो राजस्थान विधानसभा ही एकमात्र ऐसी है जो 20 महीने से बिना सचिव के चल रही है। ये भी पहला उदाहरण मिलेगा कि कामचलाऊ व्यवस्था से सेवानिवृत्त अधिकारी को सचिव की कुर्सी पर आसीन किया गया हो और जिनकी सेवाएं सत्र के दौरान नियमित सचिव की तरह ली गई हों। कामचलाऊ सचिव की व्यवस्था कर तीन सत्र निकाल दिए गए हैं।

नियमानुसार न्यायिक सेवा के अधिकारी को ही सचिव नियुक्त किया जाता है। एच.आर. कुड़ी 31 मार्च 2011 को सेवानिवृत्त हो गए थे, तब से ही यह पद खाली है। कुड़ी की सेवानिवृत्ति के बाद उप सचिव कृष्णमुरारी गुप्ता को कार्यवाहक सचिव बनाया गया, लेकिन गुप्ता भी जुलाई में सेवानिवृत्त हो गए। इस पर सेवानिवृत्ति अधिकारी प्रकाशचंद पिछोलिया को उनकी जगह आसीन किया गया।

सूत्रों के अनुसार सचिव की कुर्सी भरने के लिए पिछले दिनों राजभवन को दखल देना पड़ा, तब जाकर हलचल शुरू हुई। हाल ही में विधानसभा सचिवालय से एक चिट्ठी संसदीय कार्य विभाग को भेजी गई, वहां से हाईकोर्ट जाएगी।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस सरकार विधानसभा में सचिव पद पर किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति ही नहीं चाहती है, क्योंकि अगर न्यायिक सेवा का अधिकारी सरकार की मर्जी से नहीं बल्कि नियमों से निर्णय करेगा।

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