पारले की जब्त कैंडी वापस करने के निर्देश

खाद्य उत्पाद बनाने वाली दिग्गज कंपनी पारले बिस्किट प्राइवेट लिमिटेड को बंबई हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। अदालत ने खाद्य एवं दवा विभाग [एफडीए] को निर्देश दिया है कि वह लैक्टिक एसिड होने के आरोप में जब्त की गई कैंडी कच्चा मैंगो बाइट कंपनी को वापस करे। कोर्ट ने कहा कि कानून में लैक्टिक एसिड के इस्तेमाल पर कुछ नहीं कहा गया है। साथ ही विभाग ने ऐसे मामलों में दूसरी कंपनियों पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।

एफडीए ने पारले की नासिक और रायगढ़ फैक्ट्री में अक्टूबर में छापा मार कर करीब 2.36 करोड़ रुपये की कैंडी जब्त की थी। एफडीए ने इन्हें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए आरोप लगाया था कि कंपनी ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून [एफएसएस] का उल्लंघन करने के अलावा कैंडी में तय सीमा से ज्यादा रंग डाला है। एफडीए की इस कार्रवाई के बाद पारले ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। कंपनी का दावा था कि दही, पनीर, ब्रेड, मिल्क पाउडर, केचअप, गार्लिक पेस्ट जैसे उत्पाद बनाने में भी लैक्टिक एसिड का बहुतायत में इस्तेमाल होता है। एफडीए ने इन उत्पादकों के खिलाफ कभी कार्रवाई क्यों नहीं की।

पारले के वकील विराग तुलाजपुरकर ने कोर्ट में कहा कि विवादित उत्पाद 2004 से बनाया और बेचा जा रहा है। इस पर पहली बार कोई कार्रवाई की गई। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि जब्त किए गए 48 बैच में से केवल आठ में रंग ज्यादा पाया गया। हालांकि, लैक्टिक एसिड सभी में मौजूद था। जस्टिस एसजे वजीफदार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एफएसएस में लैक्टिक एसिड प्रतिबंधित सामग्री नहीं है। यह आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि विभाग दूसरी कंपनियों द्वारा लैक्टिक एसिड के इस्तेमाल पर मौन है। यहां तक कि पारले पर हुई कार्रवाई के बाद भी विभाग ने दूसरे उत्पादकों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया।

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