भरतपुर में तीन दिवसीय ब्रज होली महोत्‍सव 2022 का रंगारंग कार्यक्रम के साथ भव्य समापन

भरतपुर, 14 मार्च, 2022- भारत के प्रमुख पारंपरिक त्‍यौहारों में से एक होली का जश्‍न मनाने के लिए आयोजित तीन दिवसीय कार्निवल ब्रज होली महोत्‍सव 2022 का आज भरतपुर में भव्य समापन हुआ। भरतपुर, डीग और कामां के ब्रज क्षेत्र में यह आयोजन राजस्‍थान पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की ओर से किया जा गया । यह आयोजन सांस्‍कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्‍य के प्रमुख उत्‍सवों में से एक है।
अपनी विशि‍ष्‍ट संस्‍कृति के लिए विख्‍यात ब्रज क्षेत्र पूर्वी राजस्‍थान से लेकर पड़ोसी राज्‍य उत्‍तर प्रदेश तक फैला है। प्रेम और निश्‍छल आनंद के प्र‍तीक भगवान श्रीकृष्‍ण की भक्ति से सराबोर और प्रेरित होली महोत्‍सव को भरतपुर क्षेत्र के लोग अनूठे तरीके से मनाते हैं।
होली महोत्‍सव के बारे में राजस्‍थान के माननीय मुख्‍यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘भरतपुर ब्रज क्षेत्र का हिस्‍सा है जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने बचपन के बहुत वर्ष बिताए थे। इस क्षेत्र से श्रीकृष्‍ण की बाल लीलाओं की बहुत सी पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं जो अत्‍यंतक महत्‍व की हैं। यह क्षेत्र भक्ति संतों की कर्मस्‍थली भी रहा है जिन्‍होंने भारतीय समाज को महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रज होली महोत्‍सव हमारी समृद्ध परंपराओं और महान पौराणिक विरासत का महोत्‍सव है।’
राजस्‍थान सरकार के माननीय पर्यटन मंत्री श्री विश्‍वेंद्र सिंह ने बताया हमारा प्रयास भरतपुर को एक पर्यटन स्थल के रूप में आगे बढ़ाना है जहां संस्कृति और धर्म बहुत खूबसूरती से जुड़े हुए हैं। जहां एक ओर यहां का गोवर्धन परिक्रमा धार्मिक पर्यटकों के श्रद्धा का केन्द्र है, वही डीग के अद्वितीय रंगीन फव्वारे और जल महल भी प्रमुख आकर्षण हैं। भरतपुर जिले का दिल्ली, आगरा, वृंदावन से निकटता के कारण, ब्रज क्षेत्र को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की अपार संभावना है।
माननीय पर्यटन मंत्री ने कहा कि भरतपुर जिला, ब्रज क्षेत्र का प्रमुख हिस्सा है। ये ऐसी पवित्र भूमि है जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल्यकाल के कई वर्ष व्यतीत किये थे। भगवान श्री कृष्ण की बाल क्रीड़ाओं की कथाओं का हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व है। यह क्षेत्र अनेक संतों की तपो स्थली रहा है जिन्होंने भारतीय समाज में बहुमूल्य योगदान दिया है।
ब्रज होली महोत्‍सव के जश्‍न का आगाज भरतपुर में कई लोकप्रिय स्‍थानीय खेलों कबड्डी, खो-खो और रस्‍साकशी के साथ हुआ था । इसके बाद समृद्ध भारतीय परंपराओं को दर्शाती मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। रंगोली प्रतिस्‍पर्धा में भरतपुर सरकारी म्‍यूजियम में भारतीय लोक कलाओं का सुंदर और रंग-बिरंगी अभिव्‍यक्ति देखने को मिली। इसके बाद राजस्‍थान की शान पगड़ी बांधने और मूंछों की प्रतियोगिता हुई जिसका प्रतिभागियों और दर्शकों ने खूब लुत्‍फ उठाया। सांस्‍कृतिक संध्‍या में दिल्‍ली की विख्‍यात भारतीय गायिका विद्या शाह ने भगवान श्रीकृष्‍ण से संबंधित और अन्‍य भक्ति गीतों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। हवा में तैरती विद्या की सुरीली आवाज पर वहां मौजूद दर्शक भी गाते और थिरकते देखे गए।
ब्रज होली महोत्‍सव का दूसरा दिन डीग में आयोजित किया गया, जिसकी शुरुआत रस्‍साकशी और कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों के साथ हुआ इसमें बड़ी संख्‍या में स्‍थानीय लोग ने हिस्‍सा लिए । पर्यटकों को इस दौरान रंगबिरंगे फाउंटेन शो का नजारा भी देखने को मिला । दूसरे दिन की विशाल सांस्‍कृतिक संध्‍या पर मशहूर भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍यांगना और कोरियोग्राफर मंजरी चतुर्वेदी ने मंच पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया, उनका नाट्य प्रस्तुति देख सारे दर्शक मन्त्र मुग्ध दिखे। कार्यक्रम में अनिल बोडा ग्रुप मारवाड़ के लोक कलाकारों ने अपनी अपनी मूंछों का प्रदर्शन किया, जिसमें 32 फुट की मूंछ सबके आश्चर्य का केंद्र रहा । इसके अलावा अन्‍य राजस्‍थानी लोक कलाकारों ने भी अपनी प्रस्‍तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया ।
मोहत्‍सव के तीसरे और आखिरी दिन कामां के मंदिरों में विभिन्‍न प्रकार के होली समारोह आयोजित किये गए । इनमें प्रमुख आकर्षण लठमार होली थी जिसमें महिलाएं ने बांस या लकड़ी के डंडे लेकर पुरुषों को पीटा और पुरुषों ने ढाल से अपने आप को बचाया । ऐसी मान्‍यता है कि होली की यह परंपरा श्रीकृष्‍ण और उनकी प्रेयसी राधा के समय से चली आ रही है। गुलाल होली के रूप में रंगों की बौछार ब्रज क्षेत्र की फिजाओं में मस्‍ती भर देती है। होली के अन्‍य रूपों में फूलों की होली, दूध-दही की होली और लड्डू होली भी काफी लोकप्रिय हैं।
इसके बाद राजस्‍थानी लोक कलाकारों की ओर से गोपीनाथ मंदिर से वल्‍लभ जी मंदिर तक एक शोभा यात्रा निकाली गयी । इस मौके पर विमल कुंड पर एक भव्‍य आरती का आयोजन भी हुआ । ब्रज होली महोत्‍सव का समापन कृष्‍ण जीवन के सा‍र और चंचलता को दर्शाने वाले कृष्‍ण भजन गायन और ब्रज रसिया गायन के साथ हुआ ।

error: Content is protected !!