रत्नत्रय की प्राप्ति से ही समाधि मरण संभव : आचार्य

जयपुर । श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर महाराज ने उपस्थित बंधुओं से कहा की मानव शरीर की शोभा चेहरे से, चेहरे की शोभा नाक आंख से, उसी प्रकार जिन मंदिर की शोभा शिखर से और शिखर की शोभा कलश से होती है उसी प्रकार हमारे संपूर्ण शरीर को सुंदर बनाना है इसको पवित्र बनाने के लिए रत्नत्रय की आवश्यकता होती है रत्नत्रय की पूर्णता सल्लेखना समाधि मरण से है समाधि उसी की होती है जो रत्नत्रय से परिपूर्ण हो रत्नत्रय धारक हो वही शीघ्रता से मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है जिसके पास रत्नत्रय नही है उसका समाधि मरण हो ही नहीं सकता रत्नत्रय का पुरुषार्थ करने वाला साधु श्रेष्ठ या पुरुष श्रेष्ठ होता है

संगठन मंत्री हेमेंद्र सेठी ने बताया कि इस अवसर पर परम पूज्य मुनि श्री 108 वैराग्य सागर महाराज ने कहा की समाधि पूर्वक हमारा मरण होता है तो समझ लो हमने जैन धर्म की प्रभावना की यदि समाधि मरण नही होता तो आपका जैन कुल में जन्म लेना व्यर्थ है ।

प्रचार संयोजक विनेश सोगानी ने बताया कि धर्म सभा का मंगलाचरण के माध्यम से विधिवत शुभारंभ श्राजेन्द्र सोनी ने किया एवं भगवान महावीर स्वामी व तपस्वी सम्राट आचार्य रत्न सुमति सागर महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर महाराज का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य निर्मला सेठी को प्राप्त हुआ । इस अवसर पर सभी सम्माननीय अतिथियों का तिलक एवं माल्यार्पण कर हेमेंद्र सेठी, राजेंद्र सोनी, विनेश सोगानी, विमल बाकलीवाल, सुशीला टोंग्या, कृष्णा जैन ने स्वागत किया।

error: Content is protected !!