अजमेर एसपी तो पकड़े गए अब इन्हें कौन पकडेगा

लाखन सालवी

कर दिया FIR का बलात्कार, क्या पुलिस करेगी अपनों के खिलाफ कार्यवाही ?
आपसी रंजिश के चलते एक समुदाय विशेष के लोगों के बीच झगड़ा हो गया। पवन मेघवाल व उसके पिता रामप्रताप मेघवाल पर धारदार हथियारों से वार किए गए। उनका ईलाज बारां व कोटा के सरकारी चिकित्सालय में हुआ। वहीं सरकारी अधिकारियों ने जमकर खेल खेला। किसी ने गलत मेडिकल रिपोर्ट जारी की (साधारण चोट बताया) तो किसी ने गलत एफआईआर दर्ज की (आरोपियों पर गंभीर अपराध की धाराएं ना जोड़कर)। यही नहीं एक बेबस बाप को पुलिस ने अकारण 3 घंटे तक हवालात में बंद रखा दूसरी तरफ धारदार हथियारों से तांडव खेलने वाले खुल्लेआम घूमते रहे। मौत के मुंह से निकलकर आया पवन मेघवाल आरोपियों के डर से कहीं दर-दर की ठोकरें खा रहा है। तो उसका बेबस पिता न्याय की उम्मीद में कभी पुलिस विभाग के अधिकारियों के तो कभी न्यायालय के चक्कर काट रहा है। इस मामले की सच्चाई से रूबरू कराती  वरिष्ठ पत्रकार लाखन सालवी की यह रिपोर्ट –

पवन मेघवाल

यह मामला 2 अक्टूबर का है, बारां जिले के नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के बजरंगगढ़ गांव के पवन मेघवाल (30 वर्ष) व उसके पिता रामप्रताप मेघवाल पर उन्हीं की बिरादरी के राजकुमार, धनराज, सोहनलाल, लेखराज, धन्नी बाई, सूरजीबाई, केला बाई, बद्री बाई, भैरू लाल, भागचन्द व द्वारिका लाल ने धारदार हथियारों से जानलेवा हमला कर दिया। धारदार हथियार (कूंट) से पवन मेघवाल के सिर पर वार किया जिससे उसे प्राणघातक चोटें आई। पवन के सिर में गंभीर चोट लगी थी वो गश खाकर वहीं गिर गया। बीच-बचाव कर रहे रामप्रताप को भी लाठियों से पीटा। पिटाई करने के बाद आरोपी भी वहां से भाग गए। प्रत्यक्षदर्शी लाला राम ने अनुसार वो लड़ाई का वो मंजर बहुत ही दर्दनाक था। आरोपी धारदार हथियारों से पवन व रामप्रताप पर वार कर रहे थे। उनका कहना है कि अगर रामप्रताप व रामभुजी बाई नहीं होती तो आरोपी पवन को मार देते।

कुछ प्रत्यक्षदर्शी और भी थे वहां लेकिन वो बयान देकर अपने आप को मुसीबत में नहीं डालना चाहते है। उनका मानना है कि अगर वो गवाही देंगे तो आरोपी बौंखला कर उन पर आक्रमण कर देंगे। वो कहते है कि धारदार हथियारों से खुल्लेआम घटना को अंजाम देने वालों को कोई भरोसा नहीं है और फिर पुलिस भी हमारी मदद नहीं करेंगी। उनका कहना है कि 2-3 प्रत्यक्षदर्शी तो घटना के वक्त ही वहां से भाग गए थे।

सबूत गायब, बनाई गलत रिपोर्ट

पवन के सिर में गंभीर चोट थी और घाव हो गया था जिससे खून बह रहा था। खून को रोकने के लिए उसके सिर पर साफी बांध दी और ईलाज के लिए उसे बारां के चिकित्सालय में ले गए। वहां कम्पाउण्डर ने पवन व रामप्रताप का उपचार शुरू किया। कुछ देर बाद डॅा. एच.सी. मीणा व नाहरगढ़ थाने का हेडकांस्टेबल गिरीराज शर्मा वहां आए। रामप्रताप का कहना है कि चिकित्सालय में गिरीराज ने डॅा. से कहा कि ये दोनों बाप-बेटे बदमाश है और ये पिट कर नहीं बल्कि दूसरों को पीट कर आए है। उसने पवन की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसके सिर पर मामूली चोट है और बेहोश होने का नाटक कर रहा है। गिरीराज ने वहां कुछ लिखा पढ़ी की और फिर चला गया। 2 अगस्त की रात को पवन मेघवाल को बारां चिकित्सालय में ही भर्ती रखा गया। वो पूरी रात बेहोशी की हालत में पड़ा रहा। दूसरे दिन 3 अक्टूबर को डॅा. एच.सी.मीणा और हेडकांस्टेबल गिरीराज शर्मा वापस आए और पूछा कि पवन के सिर पर चोट किससे लगी, जब उन्हें बताया कि कुटिया (हथियार) से वार करने पर लगी है तो उन्होंने उपहास करते हुए कहा कि यह तो साधारण चोट है। रामप्रताप ने बताया कि हेडकांस्टेबल ने बेहोशी की हालत में पड़े पवन के हाथ में पैन पकड़कर खुद ही हस्ताक्षर करवा लिए। 3 अगस्त को ही डॅा. एच.सी. मीणा ने पवन के सिर में साधारण चोट होने की मेडिकल रिपोर्ट जारी कर दी। पवन के सिर से बह रहे खून को रोकने के लिए बांधी गई साफी जो कि खून से लथपथ हो चुकी थी को भी गिरीराज अपने साथ ले गया।

कोटा के चिकित्सकों ने बताई सिर में प्राणघातक चोट

3 अगस्त को पवन मेघवाल को बारां चिकित्सालय से कोटा चिकित्सालय में रैफर कर दिया गया। वहां उसका सीटी स्कैन के साथ कई जांचे की गई। डॅाक्टरों ने बताया कि उसके सिर में फेक्चर है इसलिए सिर का ऑपरेशन करना पड़ेगा। पवन के पिता रामप्रताप से जैसे तैसे कर पैसों का इंतजाम किया और उसका ऑपरेशन करवाया। बाद में रामप्रताप ने अपनी आपबीती वहां के डॅाक्टरों को बताकर मेडिकल रिपोर्ट मांगी। कोटा के चिकित्सालय से 9 नवम्बर 2012 को जारी मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पवन मेघवाल के सिर की हड्डी में प्राणघातक फ्रेक्चर था।

प्रार्थी को ही पकड़ कर बंद कर दिया

10 अगस्त को रामप्रताप ने नाहरगढ़ थाने में जाकर पवन के सिर के ऑपरेशन की मेडिकल रिपोर्ट थानाधिकारी अनिल पाण्डे व हेडकॅान्स्टेबल को देकर मुकदमें में गंभीर अपराध की धाराएं जोड़ने का अनुरोध किया। लेकिन थानाधिकारी एवं हेड कॅान्स्टेबल ने मुकदमें में धाराएं जोड़ने की बजाए उन्हें दुत्कारते हुए लॅाकअप में बंद कर दिया। उन्होंने पवन को बुलाने के लिए दबाव बनाया। करीब 3 घंटे तक लॅाकअप में बंद रखने बाद छोड़ा।

सामान्य धाराओं में ही जांच कर पेश किया चालान

18 अगस्त को सामान्य धाराओं में ही जांच कर चालान पेश कर दिया। जहां न्यायालय ने आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया।

मीणा द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट में गफलत

पवन मेघवाल की 3 बार मेडिकल जांच हो चुकी है। पहली जांच डॅा. एच.के. मीणा द्वारा की गई जिसमें सिर में सामान्य चोट होना बताया। दूसरी जांच रिपोर्ट कोटा के नामचीन सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय के डॅाक्टरों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में पवन मेघवाल के सिर की हड्डी में प्राणघातक चोट बताई। थानाधिकारी, हेड़कांस्टेबल व डॅा. के खिलाफ दर्ज मुकदमें की जांच कर रहे पुलिस उपाधिक्षक ने बताया कि मेडिकल बोर्ड गठित कर पवन मेघवाल का मेडिकल करवाया है। मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार पवन मेघवाल के सिर में प्राणघातक चोट बताई गई है। मामला साफ है कि प्राणघातक चोट होने के बावजूद बारां चिकित्सालय के डॅा. एच.सी.मीणा ने सामान्य चोट होने की गलत मेडिकल रिपोर्ट जारी की। बड़ा सवाल है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया ?

 

वर्तमान स्थिति

न्यायालय के आदेश पर इन के खिलाफ नाहरगढ़ थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 201, 148, 307/34, 323, 324, 325, 342 तथा एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3 (2) (5) व (10) के तहत मुकदमा किया गया है। जिसकी जांच पुलिस वृत्ताधिकारी छोटू लाल मीणा कर रहे है।

‘‘आप’’ ने भी कुछ नहीं किया

रामप्रताप मेघवाल

रामप्रताप की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया है, कांग्रेस व बीजेपी के नेता आंखे मूंदे बैठे है। वहीं बारां जिले के मांगरोल कस्बे से सक्रिय हुई ‘‘आप’’ ने भी अभी तक इस मामले पर कोई कदम नहीं उठाया है। वहीं रामप्रताप का परिवार गहरे सदमें में है और काफी डरा हुआ। यह डर का ही आलम है कि उन्होंने बेटे पवन को भी कहीं और रखा है। उनका कहना है कि ‘‘हमें डर है कि हमारा बेटा वापस गांव में आए तो आरोपी फिर से उस पर हमला कर सकते है। इस कांग्रेस राज में हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।’’

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