ओरण व गोचर भूमि वन विभाग को नहीं देंगे – राठौड़

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव आज़ाद सिंह राठौड़ ने बताया कि ओरण व गोचर भूमि हमारी धरोहर है। हमे इससे अलग नहीं किया जा सकता। इससे हमारी आस्थाएं जुड़ी हुई है , ओरण भूमि देवभूमि है जो हमारे पुरखों ने पर्यावरण संरक्षण, पशुधन की चराई के लिए देवताओं के नाम पर छोड़ी गयी थी। इस ओरण भूमि में हरे वृक्षों की कटाई पर पूर्णतः प्रतिबंध था तथा इस भूमि में गांव के पशु चराई व पानी पीने के लिये ही उपयोग किया जाता रहा है। ओरण में स्थित तालाब, बेरियाँ व जलाशय मानव के लिए भी पेयजल का बड़ा स्त्रोत रहा है। ओरण व चारागाहों को वन भूमि घोषित कर वन विभाग के अधीन कर देना हमारे जन-जीवन पर गहरा आघात होगा। यह ओरण व मानव का एक दूसरे के पूरक रह कर पर्यावरण व जीवन को सामूहिक रूप से आगे बढ़ाने पर बड़ी भी चोट होगी।

राठौड़ ने बताया कि वन विभाग राजस्थान सरकार द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय संख्या 202 / 1995 आई.ए. संख्या 41723/ 2022 में ओरण एवं पारिस्थितिकी क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किये जाने के संबंध में दिनांक 01.02.2024 को विज्ञप्ति जारी कर के संबंध में आपत्तियां मांगी गई है। अगर हम दिये गये समय तक आपत्ति दर्ज नहीं कराते है तो हमारे ओरण हम से छीने जा कर वन विभाग के अधीन हो सकते है।

राठौड़ ने बताया कि हालाँकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 1132 / 2011 जगपाल सिंह व अन्य बनाम पंजाब राज्य व अन्य में पारित निर्णय दिनांक 28.01.2011 में चारागाह भूमि, जोहड़ पायतन ( Catchment of a pond / water reservoirs) और तालाबों (ponds) की भूमियों यथा चारागाह, ओरण, जोहड़, शमसान कब्रिस्तान आदि शामलात भूमियों को ग्रामसभा / ग्राम पंचायत के शामलात उपयोग हेतु संरक्षित करने के निर्देश दिये गये है एवं राजस्थान भू राजस्व (भू अभिलेख ) नियम, 1957 के नियम 164 के तहत शामलात भूमियों को राजस्व रेकर्ड में अलग से दर्ज करने के प्रावधान निहित होते है तथा उक्त शामलात भूमियों की कस्टोडियन ग्राम पंचायत होने से उक्त भूमियों को ग्राम पंचायत के अलावा अन्य किसी विभाग या वन विभाग को हस्तान्तरित नही किया जा सकता है।

राठौड़ ने कहा कि 2004 की कपूर समिति की रिपोर्ट में चिन्हित की गई भूमियों ओर वर्तमान में इस विज्ञप्ति जारी होने के समय दर्शायी गयी भूमियों में भी जमीन आसमान का अंतर है। हमारे क्षेत्र के बारे में हमसे बिना पूछे फैसला किया जा रहा है, सरकार ने डीम्ड फारेस्ट पर आपत्तियां मांगी है डीम्ड फारेस्ट की कार्य प्रणाली क्या रहेगी, उसके कानून क्या होंगे, जो भूमिया चिन्हित हुई उस पर कोनसा कानून, परिपत्र गाइड लाइन, लागू होंगे जो इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फारेस्ट विभाग द्वारा पब्लिक डोमेन में किसी भी प्रकार की जनसूचना नहीं है।

राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज ओरण की देखभाल जनमानस सामूहिक रूप से करते है, हमारे ओरण व ग्राम वासी अपनी मौजूदगी को एक दूसरे पूरक पाते है। दोनों का जीवन कमोबेश एक दूसरे पर बहुत सी निर्भरता लिये है। राठौड़ ने कहा कि कि ओरण हम सभी धर्मावलम्बियों के आस्था स्थल है तथा पूजा स्थल होने से नियमित पूजा आदि कार्य भी होते है साथ ही ओरण भूमि में तालाब तथा उन तालाबों का जल संग्रहण / कैचमेंट एरिया भी होता है जो यहाँ के लोगो के लिये पीने के पानी का बड़ा साधन है। यहाँ आने-जाने पर अगर रोक लग सकती है तो उस परिप्रेक्ष्य में यह अपूरणीय क्षति होगी। यदि ओरण भूमि को डीम्ड फारेस्ट घोषित किया जाएगा तो ग्रामीणों को अपने पशु चराना असम्भव होगा, पशुपालकों की आजीविका पर संकट आ जाएगा। इससे आने-जाने व नये रास्तों पर भी रोक लग सकती है। अधिकतर गाँवों में श्मशान भूमि भी औरण या गोचर क्षेत्र में बने है। पश्चिमी राजस्थान में अधिकतर ग्रामीणों का रोजगार पशुपालन ही है , यहां के लोगों के बड़े बड़े रेवड, भेड़, बकरियों को चराने का एक मात्र साधन ओरण ही है।

इस तरह तो हमारे पूरे स्थानीय इको सिस्टम को बिगाड़ दिया जाएगा और हमारे लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं हो पा रही है। यह संविधान प्रदत्त हमारे अधिकारों का हनन है, ओरण भूमि को डीम्ड फारेस्ट घोषित किये जाने से पूर्व जनमानस से किसी भी प्रकार की चर्चा, जनसुनवाई नहीं करके, जनता को भ्रम में रख कर मात्र कागज की ख़ानापूर्ति करने में लगी है। जबकि सरकार को सही ढंग से जनता को पूरा मामला अवगत करवा कर आपत्तियाँ माँगनी चाहिये। हमारे जनप्रतिनिधियों का व्यवहार भी इस प्रकरण में जैसे रोम जल रहा है और नीरो बांसुरी बजा रहा है सा प्रतीत होता है। राजस्थान सरकार तुरंत पंचायत स्तर पर कैम्प कर न्यायालय में विचाराधीन इस प्रकरण की जानकारी ग्रामीणों को देकर उनसे इस बाबत आपतियाँ माँगे।

हमारी धरोहर सुरक्षित करने की जिम्मेदारी हमारी है, हम सबको अपने अधिकारों की लड़ाई में भाग लेना होगा। अगर यह बहरी ओर गूंगी समय पर नहीं जागी और समय रहते हमारी मांग को गंभीरता से लेकर इस पर विचार व इसका समाधान नहीं किया तो हर जगह भारी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

आजाद सिंह राठौड़, बाड़मेर
सचिव, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी

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