*सुपार्श्वनाथ पार्क में दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना*
भीलवाड़ा, 13 सितम्बर। आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में दसलक्षण (पर्युषण) महापर्व की आराधना शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में छठे दिन भी श्रद्धा व भक्तिभावना के साथ जारी रही। दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना की गई। प्रवचन में मुनि शुभमकीर्तिजी महाराज ने कहा कि अपने विचारों व इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखते हुए अपने स्वभाव में स्थिर रहना ही संयम है। मन,वचन व काया को नियंत्रित रखकर संयम का पालन करना ओर श्रद्धा ज्ञानपूर्वक शुभाशुभ इच्छाओं को रोककर अहिंसा सदाचार का पालन करना है। उन्होंने कहा कि समीचीन रूप से यम का पालन करना ही संयम है। छह काय के जीवों की रक्षा करना ही संयम है। पांचों इन्द्रियों ओर मन को रोकना ही संयम है। अपनी आत्मा के विकारी भावों को नष्ट करना ही उत्तम संयम है। जीवन को सुनिश्चित कर लेना ही उत्तम संयम है। जीवन में यदि उन्नति चाहते हो तो संयम जरूरी है। चिंता ओर विकल्पों से रहित होने के लिए संयम होना जरूरी है। मुनिश्री ने कहा कि अपनी संकल्प शक्ति से इन्द्रियों ओर मन को संयमित करके सही दिशा दे देना ही धर्म हमारी चेतना को पतन से बचाने में सहायक होगा यहीं संयम धर्म है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि दशलक्षण पर्व के छठे दिन सुपार्श्वनाथ मंदिर में मुख्य शांतिधारा व आरती का सौभाग्य गुलाबचंद,मनीष,नीरज, प्रियांश, आर्ष शाह परिवार ने लिया। सौधर्मेन्द्र का इन्द्र व आरती का सौभाग्य राजकुमार,शकुन्तला, हिमांशु, मेघा,दिव्यांशु, लक्षिका बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में उत्तम संयम धर्म पर पूजा अर्चना मय भक्ति संगीत के साथ हुई। जिसका कई श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। पूजा के पूर्व श्रीजी को जुलूस के साथ श्रद्धालुओं द्वारा पांडाल में ले जाया गया। सुगन्ध दशमी होने से दोपहर में सुपार्श्वनाथ मंदिर में समाज द्वारा सामूहिक धूप क्षेपण किया गया। इससे पूर्व सुबह आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में 5 उपवास करने वाले त्यागी वृतियों, तप त्याग करने वालों को पारणा करवाया गया। शाम को सामायिक एवं प्रतिक्रमण हुआ। दशलक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की आराधना होगी। इस दौरान प्रतिदिन सुबह 5 बजे ध्यान, सुबह 6.15 बजे नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा, सुबह 7.30 बजे से श्रीजी का पांडाल में आगमन, सुबह 7.45 बजे से संगीतमय पूजन एवं मंगल प्रवचन हो रहे है। आहारचर्या के बाद दोपहर 2 बजे से तत्वार्थसूत्र पूजन,सरस्वती पूजन व तत्वार्थ सूत्र वाचन किया जा रहा है। शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण एवं सामायिक, शाम 7.15 बजे से श्रीजी की आरती एवं शाम 7.40 बजे से आचार्यश्री की भक्तिमय आरती की जा रही है।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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