शाहपुरा में धूमधाम से मना जैन मुनि का दीक्षा दिवस

समारोह में प्रवचन करते हुए मुनि प्रसन्न सागर महाराज

शाहपुरा/ दिगंबर जैन मुनि प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि कभी-कभी संत के एक छोटे शब्द से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। जरूरत केवल शब्द का मनन कर जीवन में उतारने की होती है। वे स्थानीय दिगंबर जैन पंचायत भवन में आयोजित धर्मसभा में प्रवचन दे रहे थे। इस मौके पर पुष्पगिरि तीर्थ प्रणेता आचार्य पुष्प दंत महाराज के आत्मीय शिष्य जैन मुनि प्रसन्न सागरजी महाराज का दीक्षा जयंति समारोह धुमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मुनि ने जोर देकर कहा कि भक्ति व चर्या से गुरु की सेवा अर्चना करनी चाहिए।

समारोह में मौजूद श्रृद्वालुगण

मुनियों की सेवा करने से अपार आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन में धर्म का सम्मान कर उस पर अमल करना चाहिए। उन्होंने कहा अपनी इच्छाओं का दमन करना ही संयम व दीक्षा कहलाती है।
उन्होंने कहा कि संसार में आत्मा से सुंदर कुछ भी नहीं, क्योंकि आत्मा की चेतना से समता ओर आंतरिक शुद्धि होकर अंतरदीप प्रज्जवलित हो जाता है। मोक्ष का मार्ग वनवे है व संसार मार्ग हाइवे। मोक्षमार्ग की तरफ कदम बढ़ाते ही मानव का जीवन खुशियों से भर उठता है, क्योंकि संसार में दुख ही दुख है।
उन्होंने जीयों और जीने दो के सिद्धांत की व्याख्या करते हुए कहा कि इसमें सभी धर्मों का रहस्य छिपा है, क्योंकि संसार में कोई भी मरना नहीं चाहता। चाहे वह पौधा हो या चींटी। मुनि ने कहा कि सन्यास गेरूए वस्त्र धारण करने या वस्त्रों का त्याग कर देने से नहीं आता, बल्कि मन के कषाय छोडऩे व त्याग की भावना को प्रबल करने से आता है। उन्होंने शिक्षा दी कि भोजन को दवा समझकर खाओगे तो कभी बीमार नहीं पड़ोगे। यदि भोजन को दबा-दबाकर खाओगे तो जीवन भर दवा खानी पड़ेगी। शरीर को ज्यादा समय देने की बजाए आत्मा को समय दो। मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा।
धर्मसभा को मुनि प्रणीत सागर महाराज ने भी संबोधित किया। इस दौरान समारोह में जैन मुनि महाराजश्री का पाद प्रक्षालन किया। समाज की ओर  से शास्त्र भेंट किए गए। महाराज का पूजन व आरती उतारी। समारोह में बच्चों ने आध्यात्मिकता से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर समां बांध दिया।
इसके बाद समारोह में आए अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह में अनेक स्थानों सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
 -मूलचंद पेसवानी

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